Tuesday, May 13, 2025
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इसरो के पूर्व प्रमुख कृष्णास्वामी कस्तूरीरंगन का निधन, 84 साल की आयु में बेंगलुरु में ली अंतिम सांस

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पूर्व अध्यक्ष डॉ. के. कस्तूरीरंगन का शुक्रवार को बेंगलुरु में निधन हो गया।

Reported By : T Raghavan Edited By : Mangal Yadav Published : Apr 25, 2025 13:45 IST, Updated : Apr 25, 2025 13:55 IST
ISRO के पूर्व प्रमुख कृष्णास्वामी कस्तूरीरंगन
Image Source : INDIA TV ISRO के पूर्व प्रमुख कृष्णास्वामी कस्तूरीरंगन

बेंगलुरु: इसरो के पूर्व अध्यक्ष कृष्णस्वामी कस्तूरीरंगन का शुक्रवार को बेंगलुरु में निधन हो गया। बेंगलुरु आवास पर उन्होंने 84 साल की आयु में अंतिम सांस ली। सुबह 10 बजे के करीब उनकी मौत हुई। रविवार को अंतिम संस्कार से पहले रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट में उनके पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा।

स्पेस साइंटिस्ट के तौर पर दी सेवाएं

कस्तूरीरंगन सबसे लम्बे समय तक इसरो चीफ के पद पर कार्यरत रहे हैं। वह 10 साल तक इसरो के चेयरमैन रहे। इसके अलावा कस्तूरी रंगन के सरकारी नीतियों के फार्मूलेशन में भी योगदान दिया। डॉ कस्तूरीरंगन ने 27 अगस्त, 2003 को रिटायरमेंट से पहले भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन, अंतरिक्ष आयोग के अध्यक्ष और अंतरिक्ष विभाग में भारत सरकार के सचिव के रूप में 9 वर्षों से अधिक समय तक काम किया। 

डॉ. कस्तूरीरंगन के नेतृत्व में इसरो ने रचा इतिहास

डॉ. कस्तूरीरंगन के नेतृत्व में इसरो ने भारत के ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) के सफल प्रक्षेपण और संचालन सहित कई उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल की। डॉ. कस्तूरीरंगन ने जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (जीएसएलवी) के पहले सफल उड़ान परीक्षण की भी देखरेख की। उनके कार्यकाल में आईआरएस-1सी और 1डी सहित प्रमुख उपग्रहों का विकास और प्रक्षेपण और दूसरी और तीसरी पीढ़ी के इनसैट उपग्रहों की शुरुआत हुई। इन प्रगति ने भारत को वैश्विक अंतरिक्ष क्षेत्र में एक प्रमुख शक्ति के रूप में मजबूती से स्थापित कर दिया। 

 इसरो के अध्यक्ष बनने से पहले डॉ. कस्तूरीरंगन इसरो उपग्रह केंद्र के निदेशक थे, जहां उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय उपग्रह (इनसैट-2) और भारतीय सुदूर संवेदन उपग्रहों (आईआरएस-1ए और आईआरएस-1बी) जैसे अगली पीढ़ी के अंतरिक्ष यान के विकास का नेतृत्व किया। उपग्रह आईआरएस-1ए के विकास में उनका योगदान भारत की उपग्रह क्षमताओं के विस्तार में महत्वपूर्ण था।

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