Highlights
- 4 बड़े धार्मिक मामलों पर आज कोर्ट में सुनवाई
- ज्ञानवापी मामले में नहीं बदलेगा कोर्ट कमिश्नर
- ताजमहल केस में याचिकाकर्ता को लगी फटकार
Gyanvapi-Taj Mahal-Janmabhoomi-Bhojshala: देश में आज 4 अलग-अलग बड़े धार्मिक विवादों पर संबंधित अदालतों में सुनवाई हुई। जहां एक ओर काशी की ज्ञानवापी मस्जिद में सर्वे को लेकर कोर्ट में सुनवाई हुई तो दूसरी तरफ आगरा के ताजमहल में 22 कमरों को खुलवाने को लेकर दाखिल याचिका पर अदालत ने अपना फैसला सुनाया। गुरुवार को ही मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी आदेश दिया है। मध्य प्रदेश के धार में भी भोजशाला विवाद को लेकर उच्च न्यायालय ने हिंदू संगठन की याचिका स्वीकार कर ली।
ज्ञानवापी मामले में मुस्लिम पक्ष को झटका
वाराणसी की एक जिला अदालत ने ज्ञानवापी-शृंगार गौरी परिसर का वीडियोग्राफी-सर्वेक्षण करने के लिए अदालत द्वारा नियुक्त कोर्ट कमिश्नर को बदलने की मांग बृहस्पतिवार को खारिज कर दी। कोर्ट के निर्देश के अनुसार कमिश्नर अजय कुमार मिश्रा नहीं बदले जाएंगे। उनके साथ दो और कोर्ट कमिश्नर नियुक्त किए जाएंगे। साथ ही अदालत ने 17 मई तक सर्वे का काम पूरा कर रिपोर्ट सौंपने का भी निर्देश दिया।
सिविल जज (सीनियर डिवीजन) रवि कुमार दिवाकर की अदालत ने हिंदू और मुस्लिम दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद यह फैसला सुनाया। ज्ञानवापी मस्जिद प्रबंधन समिति की तरफ से एक अधिवक्ता ने अदालत के अधिकारी अजय कुमार मिश्रा को बदलने की मांग करते हुए एक आवेदन दिया था, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि वह निष्पक्ष रूप से काम नहीं कर रहे हैं।
ताजमहल केस में याचिकाकर्ता को फटकार
आगरा के ताजमहल में 22 कमरों को खुलवाने वाली याचिका पर सुनवाई के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने याचिका को खारिज कर दिया। सुनवाई के दौरान इलाहाबाद हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता को फटकार लगाई है। कोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि हम यहां इसलिए नहीं बैठे हैं कि किस सब्जेक्ट रिसर्च होना चाहिए या नहीं। सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि यह मामला कोर्ट के बाहर का है और इतिहासकारों के ऊपर इसे छोड़ देना चाहिए।
जस्टिस डीके उपाध्याय ने कहा कि PIL व्यवस्था का मजाक ना बनाया जाए, इसका दुरुपयोग ना किया जाए। कोर्ट ने कहा कि ताजमहल किसने बनवाया इस पर जाकर रिसर्च करो। यूनिवर्सिटी जाओ, PHD करो तब कोर्ट आना। जस्टिस डीके उपाध्याय ने याचिकाकर्ता को फटकारते हुए पूछा कि क्या इतिहास आपके मुताबिक पढ़ा जाएगा। कोर्ट ने कहा कि अगर कोई रिसर्च करने से रोके, तब हमारे पास आना।
मथुरा विवाद में 4 महीने में हो अर्जियों का निपटारा
मथुरा श्री कृष्ण जन्मभूमि विवाद पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गुरुवार को सुनाया की। इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मथुरा कोर्ट को चार महीने में मूल वाद से जुड़े सभी प्रार्थना पत्रों को जल्द से जल्द निपटाने का निर्देश दिया। इतना ही नहीं उच्च न्यायलय ने सुन्नी वक्फ बोर्ड व अन्य पक्षकारों के सुनवाई में शामिल ना होने पर एकपक्षीय आदेश जारी करने का दिया निर्देश दिया है।
बता दें कि मथुरा की एक अदालत में श्री कृष्ण जन्मभूमि की 13.37 एकड़ भूमि के स्वामित्व की मांग को लेकर याचिका दाखिल की गई है। ये अर्जी मथुरा की अदालत में श्री कृष्ण जन्मभूमि विवाद से जुड़े सभी मुकदमों की सुनवाई जल्द से जल्द पूरी करने और उनका निस्तारण किए जाने की मांग को लेकर दाखिल की गई थी।
भोजशाला पर दावे को लेकर कोर्ट ने मांगा जवाब
मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने ऐतिहासिक धार शहर की भोजशाला पर हिंदू पक्ष के दावे को लेकर बुधवार को केंद्र और राज्य की सरकारों के साथ ही भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया। इसके साथ ही भोजशाला का पुराना विवाद एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है।
उच्च न्यायालय की इंदौर पीठ के न्यायमूर्ति विवेक रुसिया और न्यायमूर्ति अमरनाथ केशरवानी ने "हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस" नामक संगठन और हिन्दू पक्ष के अन्य लोगों की ओर से दायर दो जनहित याचिकाओं को सुनवाई के लिए मंजूर करते हुए नोटिस जारी किए। अदालत ने धार के भोजशाला परिसर की मस्जिद से जुड़ी मौलाना कमालुद्दीन वेलफेयर सोसायटी को भी नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।