Monday, May 06, 2024
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भारत के संविधान से जुड़े ये राज नहीं जानते होंगे आप, जानिए किसने लिखी मूल प्रति और इसके लिए मिले कितने रुपये

भारत का संविधान दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान है। संविधान को लिखने में 2 साल 11 महीने और 17 दिन लगे थे। वहीं इसे अंग्रेजी और हिंदी में लिखा गया था। संविधान की असली प्रति संसद भवन की सेंट्रल लाइब्रेरी में रखी है।

Sudhanshu Gaur Written By: Sudhanshu Gaur @SudhanshuGaur24
Updated on: January 25, 2024 18:35 IST
Indian Constitution- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV भारतीय संविधान

नई दिल्ली: 26 जनवरी को भारत अपने 75वां गणतंत्र दिवस मना रहा है। देश को आजादी 15 अगस्त 1947 को मिल गई थी लेकिन हमारा संविधान 26 जनवरी 1950 को ही लागू किया गया था। देश का संविधान बनाने के लिए संविधान सभा को 2 साल 11 महीने और 17 दिन लगे थे। इस दौरान संविधान की सभा की कई सभाएं हुई थीं और संविधान की प्रति पर 284 सदस्यों ने अपने हस्ताक्षर किए थे। इन 284 लोगों में 15 महिलाएं भी शामिल थीं।

किसने लिखा भारत का संविधान?

अगर आपसे कोई पूछे कि देश का संविधान किसने लिखा था तो शायद आपका जवाब होगा कि डॉक्टर भीमराव आम्बेडकर ने। आपका यह जवाब ठीक भी होगा, लेकिन बीआर आम्बेडकर मसौदा समिति के प्रमुख थे। उन्हीं की देखरेख में संविधान को तैयार किया गाया था। लेकिन इसकी मूल प्रति को किसी और शख्स ने लिखकर तैयार किया था। बता दें कि दुनिया के सबसे बड़े संविधान को ना तो प्रिंट किया गया था और ना ही मुद्रित किया गया था। इसे एक भारतीय ने अपने हाथों से लिखा और सजाया था। संविधान की अंग्रेजी वाली कॉपी को प्रेम बिहारी नारायण रायजादा था। प्रेम बिहारी ने इसे कैलीग्राफी में लिखा था और लिखते हुए उन्होंने एक भी गलती नहीं की थी। इसके साथ ही लिखने के दौरान 303 निब, 354 इंक की बोतल लगीं। वहीं इस दौरान उन्हें 6 महीने का समय लगा।

सिर्फ एक शर्त पर लिखा संविधान 

माना जाता है कि देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु ने उनकी प्रतिभा से कायल थे और उन्होंने ने ही उनसे संविधान को हाथ से लिखने के लिए मनाया था। वहीं जब सरकार ने उनसे इस काम के लिए पैसे पूछे तो उन्होंने इसके जवाब में कहा कि वह एक ऐसा काम कर रहे है, जिसका कोई मूल्य नहीं लगाया जा सकता है। इसके साथ ही उन्होंने मांग की कि वह पैसों के बदले संविधान के हर पन्ने पर अपना नाम लिखना चाहते हैं। सरकार ने उनकी यह शर्त मान ली। जिसके बाद उन्होंने पन्ने के निचले भाग में अपना नाम 'प्रेम' लिख दिया।

हिंदी प्रति बसंत कृष्ण वैद्य ने लिखी

इसके साथ ही संविधान की हिंदी प्रति बसंत कृष्ण वैद्य ने लिखी थी। इतिहासकारों के अनुसार, वैद्य ने इसके लिए बकायद मेहनताना लिया था। हालांकि इतना साफ़ नहीं है कि उन्होंने इसके लिए कितने रुपए लिए थे। इसके साथ ही संविधान के पन्नों को शांति निकेतन के नंदलाल बोस, राम मनोहर सिन्हा और उनकी 22 सदस्यीय टीम ने सजाया था। 

संविधान की मूल कॉपी 22 इंच लंबी और 16 इंच चौड़ी

बता दें कि संविधान की मूल कॉपी 22 इंच लंबी और 16 इंच चौड़ी थी। इसका वजन लगभग 13 किलो है और  इस समय यह हस्तलिखित प्रतियां संसद भवन की पुस्तकालय में रखी हुई हैं। यहां इन्हें हीलियम के एक डिब्बे में रखा गया है, जिसमें नाइट्रोजन गैस भरी हुई है। इस वजह से अब तक यह हस्तलिखित प्रतियां ख़राब नहीं हुई हैं।

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