Friday, April 26, 2024
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दुश्मन देशों को नाकों चने चबवाने के लिए सरकार का बड़ा कदम, ख़रीदे जाएंगे 39,125 करोड़ रुपये के हथियार

केंद्रीय रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि ये सौदे रक्षा बलों की स्वदेशी क्षमताओं को और सुदृढ बनाएंगे, इससे विदेशी मुद्रा की बचत होगी और भविष्य में विदेशी मूल के उपकरण निर्माताओं पर निर्भरता कम होगी।

Sudhanshu Gaur Edited By: Sudhanshu Gaur @SudhanshuGaur24
Published on: March 01, 2024 17:26 IST
देश की सेनाओं होंगी और भी मजबूत- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV देश की सेनाओं होंगी और भी मजबूत

नई दिल्ली: भारत की दो सीमाएं पाकिस्तान और चीन से घिरी हुई हैं। यह दोनों देश जबतब भारत को आंख दिखाते रहते हैं। इनकी हरकतों का जवाब भारतीय सेनाएं भी मजबूती से देती हैं। सरकार भी सेना और जवानों के लिए सैन्य उपकरण का विशेष ख्याल रखती है। वक्त-वक्त पर इन्हें अपडेट करती रहती है। सरकार इस समय रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा दे रही है। इसी क्रम में रक्षा मंत्रालय ने आज 39,125.39 करोड़ रुपये के पांच प्रमुख पूंजी अधिग्रहण अनुबंधों पर हस्ताक्षर किए हैं। 

पांच अनुबंधों में से, एक अनुबंध मिग-29 विमान के लिए एयरो-इंजन की खरीद के लिए मेसर्स हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के साथ किया गया, दो अन्य समझौते क्लोज-इन वेपन सिस्टम (सीआईडब्ल्यूएस) की खरीद और हाई-पावर रडार (एचपीआर) की खरीद के लिए मेसर्स लार्सन एंड टुब्रो लिमिटेड के साथ। दो अन्य समझौते ब्रह्मोस मिसाइलों और भारतीय रक्षा बलों के लिए जहाज से संचालित ब्रह्मोस प्रणाली की खरीद के लिए मेसर्स ब्रह्मोस एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड (बीएपीएल) के साथ हुआ है।

मिग-29 विमानों के लिए आरडी-33 एयरो इंजन के लिए HAL से डील

मिग-29 विमानों के लिए आरडी-33 एयरो इंजन के लिए मेसर्स हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के साथ 5,249.72 करोड़ रुपये की लागत का अनुबंध किया गया है। इन एयरोइंजनों का निर्माण एचएएल के कोरापुट डिवीजन द्वारा किया जाएगा। इन एयरो इंजनों से पुराने हो रहे मिग-29 बेड़े की परिचालन क्षमता को बनाए रखने के लिए भारतीय वायु सेना (आईएएफ) की आवश्यकताएं पूरा होने की उम्मीद है। एयरो-इंजन का निर्माण रूसी ओईएम से प्रौद्योगिकी हस्तांतरण (टीओटी) लाइसेंस के तहत किया जाएगा। यह कार्यक्रम कई उच्च लागत वाले महत्वपूर्ण घटकों के स्वदेशीकरण पर ध्यान केंद्रित करेगा, जो आरडी-33 एयरो-इंजन के भविष्य की आवश्यकताओं और संपूर्ण देखभाल कार्यों के लिए देश में ही निर्मित सामग्री को बढ़ाने में मदद करेगा।

MiG-29 aircraft

Image Source : फाइल
मिग-29 विमान

सीआईडब्ल्यूएस की खरीद के लिए L&T से डील

वहीं सीआईडब्ल्यूएस की खरीद के लिए मैसर्स लार्सन एंड टुब्रो लिमिटेड के साथ 7,668.82 करोड़ रुपये की लागत से अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए हैं। यह सीआईडब्ल्यूएस  देश के चुनिंदा स्थानों पर टर्मिनल एयर डिफेंस प्रदान करेगा। यह परियोजना भारतीय एयरोस्पेस, रक्षा और सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम सहित संबंधित उद्योगों की सक्रिय भागीदारी को बढ़ावा देगी और प्रोत्साहित करेगी। इस परियोजना से पांच वर्षों की अवधि में लगभग 2,400 व्यक्ति/वर्ष रोजगार सृजित किए जाएंगे।

सीआईडब्ल्यूएस

Image Source : FILE
सीआईडब्ल्यूएस सिस्टम

हाई पावर रडार की खरीद के लिए मैसर्स लार्सन एंड टुब्रो लिमिटेड के साथ 5,700.13 करोड़ रुपये की लागत से अनुबंध पर भी हस्ताक्षर किए गए हैं। यह उन्नत निगरानी सुविधाओं के साथ आधुनिक सक्रिय एपर्चर चरणबद्ध सरणी आधारित एचपीआर के साथ भारतीय वायु सेना के मौजूदा लंबी दूरी के रडार को बदल देगा। यह छोटे रडार क्रॉस सेक्शन लक्ष्यों का पता लगाने में सक्षम परिष्कृत सेंसर के एकीकरण के साथ भारतीय वायुसेना की जमीनी वायु रक्षा क्षमताओं में काफी वृद्धि करेगा। इससे स्वदेशी रडार निर्माण प्रौद्योगिकी को बढ़ावा मिलेगा क्योंकि यह भारत में निजी क्षेत्र द्वारा निर्मित अपनी तरह का पहला रडार होगा। इस परियोजना द्वारा पांच वर्षों की अवधि में औसतन 1,000 व्यक्ति/वर्ष रोजगार सृजित किया जाएगा।

हाई पावर रडार

Image Source : FILE
हाई पावर रडार

ब्रह्मोस मिसाइलों की खरीद के लिए मेसर्स ब्रह्मोस एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड (बीएपीएल) के साथ 19,518.65 करोड़ रुपये की लागत से अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए हैं। इन मिसाइलों का उपयोग भारतीय नौसेना की लड़ाकू पोशाक और प्रशिक्षण आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए किया जाएगा। इस परियोजना से देश के संयुक्त उद्यम इकाई में नौ लाख मानव दिवस और सहायक उद्योगों (एमएसएमई सहित) में लगभग 135 लाख मानव दिवस का रोजगार सृजित होने की आशा है।

ब्रह्मोस प्रणाली

Image Source : FILE
ब्रह्मोस प्रणाली

जहाज द्वारा संचालित ब्रह्मोस प्रणाली की खरीद के लिए मैसर्स ब्रह्मोस एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड (बीएपीएल) के साथ 988.07 करोड़ रुपये की लागत का अनुबंध भी किया गया है। यह प्रणाली विभिन्न फ्रंटलाइन युद्धपोतों पर लगाए गए समुद्री हमले के संचालन के लिए भारतीय नौसेना का प्राथमिक हथियार है। यह प्रणाली सुपरसोनिक गति पर पिनपॉइंट सटीकता के साथ विस्तारित रेंज से भूमि या समुद्री लक्ष्यों पर प्रहार करने में सक्षम है। इस परियोजना से 7-8 वर्षों की अवधि में लगभग 60,000 श्रम दिवस रोजगार सृजित होने की आशा है।

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