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जस्टिस बीआर गवई बने देश के 52वें CJI, शपथ के बाद मां के छुए पैर, PM मोदी से मिलाया हाथ

जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई ने देश के 52वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में आज पद की शपथ ली। शपथ लेने के बाद उन्होंने अपनी मां के पैर छुए।

Edited By: Malaika Imam @MalaikaImam1
Published : May 14, 2025 10:38 am IST, Updated : May 14, 2025 11:09 am IST
चीफ जस्टिस बीआर गवई- India TV Hindi
Image Source : ANI चीफ जस्टिस बीआर गवई

सुप्रीम कोर्ट के 52वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई ने बुधवार को अपने पद की शपथ ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने जस्टिस बीआर गवई को भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) के रूप में शपथ दिलाई। शपथ ग्रहण के समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद और अन्य गणमान्य मौजूद रहे।

शपथ लेने के बाद मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने सभी का अभिवादन किया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हाथ मिलाते हुए आगे बढ़े। इस दौरान उन्होंने अपनी मां का आशीर्वाद लिया। उन्होंने अपनी मां कमलताई गवई के पैर छुए।

नए CJI का कार्यकाल 6 महीने का होगा

जस्टिस बीआर गवई भारत के पहले बौद्ध चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया हैं। आजादी के बाद, वे दलित समुदाय से दूसरे सीजेआई हैं। उनका कार्यकाल छह महीने का होगा।

जस्टिस गवई के जज के रूप में अहम फैसले

जस्टिस बीआर गवई के मुख्य फैसलों में बुलडोजर जस्टिस, अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को बरकरार रखना, डिमोनेटाइजेशन को बरकरार रखना, अनुसूचित जाति कोटे में उप-वर्गीकरण को बरकरार रखना, शराब नीति में के कविता को जमानत देना, तेलंगाना के सीएम रेवंत रेड्डी की दो बार आलोचना करना शामिल हैं।

मुख्य न्यायाधीश के बारे में

नए CJI बीआर गवई का जन्म 24 नवंबर 1960 को महाराष्ट्र के अमरावती में हुआ था। उन्होंने 16 मार्च 1985 को वकालत शुरू की। शुरुआती सालों में उन्होंने बार. राजा एस. भोसले (पूर्व महाधिवक्ता एवं उच्च न्यायालय के न्यायाधीश) के साथ 1987 तक कार्य किया। इसके बाद 1987 से 1990 तक उन्होंने बॉम्बे हाई कोर्ट में स्वतंत्र रूप से प्रैक्टिस की। जस्टिस गवई ने 1990 के बाद मुख्य रूप से बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बेचं में प्रैक्टिस की, जिसमें संवैधानिक और प्रशासनिक कानून विशेष क्षेत्र रहे। वह नागपुर नगर निगम, अमरावती नगर निगम और अमरावती विश्वविद्यालय के लिए स्थायी वकील रहे। इसके अलावा, उन्होंने सीकोम, डीसीवीएल जैसी विभिन्न स्वायत्त संस्थाओं और निगमों, विदर्भ क्षेत्र की कई नगर परिषदों के लिए नियमित रूप से पैरवी की।

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