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कन्नड लेखिका बानू मुश्ताक ने रच दिया इतिहास, बुकर पुरस्कार किया अपने नाम

प्रसिद्ध कन्नड लेखिका बानू मुश्ताक ने इतिहास रच दिया है। दरअसल उन्हें उनकी किताब हार्ट लैंप के लिए बुकर पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। बता दें कि हार्ट लैंप बानू की किताब हसीना एंड अदर स्टोरीज का अंग्रेजी वर्जन है।

Written By: Avinash Rai @RaisahabUp61
Published : May 21, 2025 9:16 IST, Updated : May 21, 2025 10:56 IST
Kannada writer Banu Mushtaq creates history wins Booker Prize
Image Source : AP कन्नड लेखिका बानू मुश्ताक ने रच दिया इतिहास

प्रसिद्ध कन्नड लेखिका बानू मुश्ताक को उनकी पहली किताब हार्ट लैंप के लिए बुकर पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। बानू की किताब हसीना एंड अदर स्टोरीज (Haseena and other Stories) का अग्रेजी में अनुवाद दीपा भस्ती ने किया था। अंग्रेजी में इस किताब का नाम 'हार्ट लैंप है। इस किताब ने अब अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार 2025 जीता है। बता दें कि बानू मुश्ताक की किताब को बुकर पुरस्कार के लिए शॉर्ट लिस्ट किया गया था। लेकिन दुनियाभर में 5 अन्य किताबों को पछाड़ने के बाद इसे आखिरकार बुकर पुरस्कार मिल ही गया। 

बानू मुश्ताक को मिला बुकर प्राइज

बता दें कि इंटरनेशनल बुकर प्राइज 2025 की घोषणा 20 मई को मंगलवार के दिन लंदन में की गई। बता दें कि बुकर पुरस्कार राशि 50 हजार पाउंड है। बानू मुश्ताक इस राशि को दीपा भस्ती के साथ साझा करेंगी जिन्होंने इस किताब का अंग्रेजी में अनुवाद किया था। रिपोर्ट के मुताबिक, बानू मुश्ताक ने साल 1950 के दशक में अपनी पहली शॉर्ट स्टोरी लिखी थी। तब वह कर्नाटक के हासन शहर में मिडिल स्कूल में पढ़ाई कर रही थीं। बता दें कि बानू मुश्ताक की आयु फिलहाल 77 वर्ष है। बुकर प्राइज जीतकर बानू ने इतिहास रच दिया है। बता दें कि बानू बुकर प्राइज जीतने वाली पहली कन्नड लेखिका बन गई हैं। 

क्या बोलीं बानू मुश्ताक

बता दें कि बानू मुश्ताक की बुकर प्राइज 2025 विजेता पुस्तक हार्ट लैंप 30 सालों के दौरान लिखी गई उनकी 12 शॉर्ट स्टोरीज यानी लघु कहानियों का एक संग्रह है। इस किताब में कर्नाटक में मुस्लिम महिलाओं के रोजमर्रा के जीवन को बुद्धि और संतुलन के साथ बेहतरीन ढंग से दर्शाया है। लंदन में आयोजित इस समारोह में बानू मुश्ताक ने कहा, यह ऐसा पल है मानों हजारों जुगनू एक साथ एक ही आकाश को रौशन कर रहे हैं। वहीं दीपा भस्ती अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार जीतने वाली पहली भारतीय अनुवादक बन गई हैं। 

क्या होता है बुकर प्राइज?

बुकर प्राइज (Booker Prize) एक प्रतिष्ठित साहित्यिक पुरस्कार है, जो हर साल अंग्रेजी भाषा में लिखे गए सर्वश्रेष्ठ उपन्यास को दिया जाता है। इसे पहली बार 1969 में शुरू किया गया था और इसे विश्व के सबसे महत्वपूर्ण साहित्यिक पुरस्कारों में से एक माना जाता है। पहले इसे मैन बुकर प्राइज के नाम से जाना जाता था, लेकिन 2019 से इसका नाम केवल बुकर प्राइज कर दिया गया, जब मैन ग्रुप ने अपनी प्रायोजकता समाप्त की। यह पुरस्कार अंग्रेजी में लिखे गए उत्कृष्ट उपन्यास को सम्मानित करता है, जो आमतौर पर यूनाइटेड किंगडम, आयरलैंड या राष्ट्रमंडल देशों के लेखकों द्वारा लिखा जाता है। 2014 से, इसे सभी देशों के अंग्रेजी लेखकों के लिए खोल दिया गया।

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