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Rajat Sharma's Blog | राष्ट्रपति के भाषण में दिये गए संदेश को समझें

राष्ट्रपति ने विस्तार में बताया कि दस साल में सरकार ने कौन-कौन से बड़े काम किए हैं, किस तरह से जनहित की योजनाओं को लागू किया है, नौजवानों, महिलाओं, पिछड़ों, दलितों और आदिवासियों के हितों की रक्षा करने वाले फ़ैसले लिए हैं।

Written By: Rajat Sharma @RajatSharmaLive
Published : Jun 28, 2024 16:02 IST, Updated : Jun 28, 2024 16:02 IST
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Image Source : INDIA TV इंडिया टीवी के चेयरमैन एवं एडिटर-इन-चीफ रजत शर्मा।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गुरुवार को संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को संबोधित किया। उनके भाषण से सरकार का इरादा पता चला, आने वाले दिनों में प्रधानमंत्री मोदी के एक्शन प्लान के संकेत मिले। मैं इसकी कुछ ख़ास ख़ास बातें आपको बता देता हूं। पहली बात, आने वाले बजट में सरकार के बड़े और ऐतिहासिक फ़ैसले देखने को मिलेंगे। आगामी बजट सरकार की दूरगामी नीतियों और भावी दिशाओं का एक प्रभावी दस्तावेज़ होगा। राष्ट्रपति ने दूसरी ख़ास बात संचार माध्यमों के दुरूपयोग को लेकर कही। अफ़वाहें फैलाने में सोशल मीडिया के इस्तेमाल पर चिंता ज़ाहिर की। द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि देश विरोधी ताकतें संचार टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल लोकतन्त्र को कमज़ोर करने और समाज में दरार पैदा करने के लिए कर रही हैं, सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स और दूसरे कम्युनिकेशन टूल्स का इस्तेमाल करके देश के ख़िलाफ़ साज़िश की जा रही है। द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि हम विकसित भारत की दिशा में सही रास्ते पर हैं लेकिन जिस तरह से से जनता को गुमराह करने में तमाम तरह की अफ़वाहें फैलाने में, गलत सूचनाओं का सहारा लिया जा रहा है, वह  गंभीर चिंता का विषय है। राष्ट्रपति ने कहा कि इस तरह की हरकतों को बेरोकटोक नहीं चलने दिया जा सकता, सरकार इसे रोकने के रास्ते खोजेगी।

राष्ट्रपति ने विस्तार में बताया कि दस साल में सरकार ने कौन-कौन से बड़े काम किए हैं, किस तरह से जनहित की योजनाओं को लागू किया है, नौजवानों, महिलाओं, पिछड़ों, दलितों और आदिवासियों के हितों की रक्षा करने वाले फ़ैसले लिए हैं, देश वैश्विक स्तर पर कहां से कहां पहुंचा है, दुनिया में भारत की छवि कैसे बदली है। इन सारी बातों की ज़िक्र राष्ट्रपति के अभिभाषण में हुआ। आगे सरकार क्या करेगी, अगले पांच साल के लिए कौन-कौन से लक्ष्य रखे गए हैं, सरकार की दिशा कैसी होगी, इसका अंदाज़ा भी राष्ट्रपति के अभिभाषण से मिला। लेकिन सबसे पहले बात करूंगा संचार टैक्नोलॉजी के दुरुपयोग को लेकर। राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा, "आज की संचार क्रांति के युग में विघटनकारी ताकतें, लोकतंत्र को कमजोर करने और समाज में दरारें डालने की साजिशें रच रही हैं। ये ताकतें देश के भीतर भी हैं और देश के बाहर से भी संचालित हो रही हैं। इनके द्वारा अफवाह फैलाने का, जनता को भ्रम में डालने का, मिसइंफर्मेशन का सहारा लिया जा रहा है। इस स्थिति को ऐसे ही बेरोक-टोक नहीं चलने दिया जा सकता। आज के समय में टेक्नॉलॉजी हर दिन और उन्नत हो रही है। ऐसे में मानवता के विरुद्ध इनका गलत उपयोग बहुत घातक है। भारत ने विश्व मंच पर भी इन चिंताओं को प्रकट किया है और एक ग्लोबल फ्रेमवर्क की वकालत की है। हम सभी का दायित्व है कि इस प्रवृत्ति को रोकें, इस चुनौती से निपटने के लिए नए रास्ते खोजें।"

राष्ट्रपति ने इस बात के भी संकेत मिले कि मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला बजट कैसा होगा। हालांकि अभी ये तय नहीं है कि बजट किस दिन पेश किया जाएगा। चूंकि संसद का मॉनसून सेशन 22 जुलाई से शुरू होने वाला है और उम्मीद है कि 23 या 24 जुलाई को बजट आ सकता है। राष्ट्रपति ने कहा कि आने वाले में बजट में सरकार कुछ बड़े और एतिहासिक फैसले करेगी। जैसे ही राष्ट्रपति ने इमरजेंसी का जिक्र किया तो कांग्रेस के सांसदों ने शोर मचाना शुरू कर दिया। राष्ट्रपति ने कहा कि 25 जून 1975 को लागू हुआ आपातकाल, संविधान पर सीधे हमले का सबसे बड़ा और काला अध्याय था। तब पूरे देश में हाहाकार मच गया था, लेकिन देश की जनता ने संविधान को कुचलने वाली ताकतों को हराया, देश में फिर संविधान का राज स्थापित किया। राष्ट्रपति के भाषण को गहराई से समझने की ज़रूरत है। संसद में उन्होंने जो कहा इसका मतलब जानने की ज़रूरत है। राष्ट्रपति ने वो सारी बातें कह दीं जो नरेंद्र मोदी जनता को बताना  चाहते हैं। पहली बात तो ये, कि तीसरी बार मोदी सरकार आई है जो कि निरन्तरता का द्योतक है, ये पिछली दो सरकारों का extension है। दूसरी बात, मोदी की तीसरी सरकार पहले की तरह कड़े और कड़वे फ़ैसले लेगी, आने वाले कुछ दिनों में इन फ़ैसलों का असर नज़र आएगा। तीसरी बात परोक्ष रूप से कही गई, कि डिजिटल मीडिया का इस्तेमाल झूठ फ़ैलाने और पब्लिक ओपिनियन को प्रभावित करने के लिए किया जा रहा है। इसमें घरेलू और विदेशी ताकतें दोनों शामिल हैं, और ये एक साज़िश है।

ये बात चुनाव के संदर्भ में कही गई क्योंकि बीजेपी के नेता मानते हैं कि चुनाव के दौरान डिजिटल मीडिया के ज़रिए संविधान, डॉक्टर अंबेडकर, आरक्षण, जातिगत जनगणना इन सबको मिलाकर एक फ़ेक नैरेटिव फैलाया गया जिसका बीजेपी को उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में ख़ासा नुक़सान हुआ। जब राष्ट्रपति के अभिभाषण पर संसद में बहस होगी तो ये बातें और खुलकर सामने आएंगी। राष्ट्रपति के भाषण में एक और बात थी जो कांग्रेस को काफ़ी चुभी। वो था इमरजेंसी का ज़िक्र। इमरजेंसी कांग्रेस के शासनकाल के दौरान लगी थी, संविधान, न्यायपालिका और मीडिया का गला घोंट दिया गया था और कांग्रेस के पास इसका कोई जवाब नहीं है। इसीलिए कांग्रेस के नेता चाहते हैं कि इमरजेंसी के उन काले दिनों को लोग भूल जाएं, इस पर बात ना हो। लेकिन आजकल कांग्रेस की तरफ़ से लोकतंत्र की हत्या की बात तो की जाती है, संविधान को ख़त्म करने की बात भी होती है, अघोषित इमरजेंसी का ज़िक्र होता है, तो फ़िर 50 साल पहले के काले दिनों को याद करने में क्या आपत्ति है? ये ठीक है कि इमरजेंसी का काला अध्याय कांग्रेस की दुखती रग़ है, लेकिन कोई भी देश इतिहास में हुई ग़लतियों से सीखता है। इसीलिए उसे याद करने की ज़रूरत तो है। (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 27 जून, 2024 का पूरा एपिसोड

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