Sunday, April 28, 2024
Advertisement

Rajat Sharma’s Blog | तवांग में झड़प: सैन्य नीति पर फैसला बंद कमरों में होता है, सार्वजनिक बहस से नहीं

चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के सैनिक इंडियन आर्मी की चौकियों पर कब्जा करना चाहते थे, और उन्होंने इसकी पूरी प्लानिंग कर रखी थी।

Rajat Sharma Written By: Rajat Sharma
Published on: December 14, 2022 18:59 IST
Rajat Sharma Blog, Rajat Sharma Blog on Tawang, Rajat Sharma Blog on Indian Army- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV India TV Chairman and Editor-in-Chief Rajat Sharma.

एक तरफ अरुणाचल प्रदेश के तवांग में भारतीय सेना के जवानों और चीनी सैनिकों के बीच हिंसक झड़प के बारे में पूरे ब्यौरे छन-छन कर सामने आ रहे हैं, तो दूसरी तरफ अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र ने हालात पर चिंता व्यक्त की है। अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि वह वास्तविक नियंत्रण रेखा की स्थिति पर बारीकी से नजर रखे हुए  है। पेंटागन के प्रेस सचिव वायु सेना ब्रिगेडियर जनरल पैट राइडर ने आरोप लगाया कि चीन  ‘LAC पर अपनी फौज को इकट्ठा कर रहा है और सेना के लिए बुनियादी ढांचों का निर्माण कर रहा है ’। उन्होंने कहा, चीन तेजी से आक्रामक होता जा रहा है और भारत-प्रशांत क्षेत्र में अमेरिका के मित्र देशों और साझेदारों के इलाकों में ज़रूरत से ज्यादा सक्रियता दिखा रहा है।

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस के प्रवक्ता ने दोनों देशों से अपील की कि वे आपसी तनाव को कम करें। प्रवक्ता ने कहा, ‘हम सभी से अपील कर रहे हैं कि उस क्षेत्र (तवांग सेक्टर) में तनाव न बढ़े।’

मंगलवार की रात अपने प्राइम टाइम शो ‘आज की बात’ में हमने बताया, कैसे 300 से ज्यादा चीनी सैनिक रात के अंधेरे में यांग्त्से में हमारी सेना की चौकी को तबाह करने के लिए करीब 3 बजे भारतीय इलाके में घुस आए, लेकिन तुरंत रीइंफोर्समेंट आने की वजह से हमारे बहादुर जवानों ने दुश्मन को खदेड़ दिया। हिंसक झड़प के दौरान हमारे जवानों ने जिस तरह की बहादुरी दिखाई, उसके बार में जानने के बाद आप भी भारतीय फौज के बहादुर जवानों की जाबांजी पर गर्व करेंगे। हालांकि संवेदनशील मुद्दा होने की वजह से सरकार ने घटना के बारे में ज्यादा कुछ नहीं बताया, लेकिन मुझे जो जानकारी मिली है उससे साफ पता चलता है कि झड़प के दौरान वक्त पर मिली रीइंफोर्समेंट की वजह से चीन की फौज को अपने घायल सैनिकों को स्ट्रेचर पर लादकर वापस भागना पड़ा।

 
यांगत्से में 8-9 दिसंबर की रात को क्या हुआ था?

चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के सैनिक इंडियन आर्मी की चौकियों पर कब्जा करना चाहते थे, और उन्होंने इसकी पूरी प्लानिंग कर रखी थी। चीनियों को पता था कि किस वक्त भारतीय चौकी पर जवानों की संख्या कम होती है। उन्होंने घुसपैठ के लिए रात का वक्त चुना और कील लगे लकड़ी के डंडे, लोहे के कांटेदार पंजे, नुकीले पत्थरों, टेज़र गन जैसे हथियारों से लैस होकर आए। उनकी संख्या 300 से ज्यादा की थी और वे 17 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित भारतीय चौकियों पर कब्जा करने की नीयत से आए थे। उन्होंने हमले के लिए वह दिन चुना जब इंडियन आर्मी के जवान रोटेट होते हैं, और पुराने जवानों की जगह नए जवान आते हैं।

जब चीनी सैनिकों ने हमला किया, उस वक्त यांगत्से की पोस्ट पर जम्मू-कश्मीर लाइट इन्फैंट्री के लगभग 75 जवान तैनात थे। चीनी सैनिकों को लगा था कि वे रात के अंधेरे में बड़ी आसानी से भारतीय चौकी पर कब्जा कर लेंगे। जब हमारे जवानों ने उन्हें ललकारा, तो  चीनी सैनिकों ने पत्थरों से हमला कर दिया और साथ ही कील लगे लकड़ी के डंडे, लोहे के कांटेदार पंजे और टेजर गन निकाल ली। 30 मिनट के अंदर ही यांग्त्से पोस्ट पर रीइन्फोर्समेंट पहुंच गई और चीनी घुसपैठियों को घेर लिया। इसके बाद हुई हिंसक झड़प में चीन के दर्जनों सैनिक बुरी तरह जख्मी हो गए और सूरज निकलने से पहले ही पीठ दिखाकर वापस भाग गए।

दो दिन बाद, 10-11 दिसंबर की रात को चीन के कुछ सैनिकों ने एक बार फिर घुसपैठ की कोशिश की, लेकिन मौके पर तैनात भारत के जवानों ने उन्हें बुरी तरह पीटा। चीन के कुछ सैनिकों की तो हालत इतनी खराब थी कि वे अपने पैरों पर खड़े होकर वापस भाग भी नहीं पाए, उन्हें उनके कुछ साथी कंधों पर लादकर ले गए। उसी दिन, दोनों पक्षों के स्थानीय कमांडरों ने एक फ्लैग मीटिंग की और इस मामले को आगे नहीं बढ़ाने पर सहमत हुए।

मैंने कई रक्षा विशेषज्ञों से अरुणाचल प्रदेश में तवांग इलाके के सामरिक महत्व के बारे में बात की और यह जानने की कोशिश की कि चीन अक्सर यहां LAC का उल्लंघन क्यों कर रहा है। उन्होंने बताया कि इस इलाके में हमारे जवान ऊंचाई वाले ठिकानों पर काबिज़ हैं, जहां से वे चीनी सैनिकों की गतिविधियों पर आसानी से नजर रखते हैं। भारत की सेना ने 17,000 फीट की ऊंचाई पर पोस्ट बना रखी है, जबकि दूसरी तरफ चीनी पोस्ट कम ऊंचाई पर है। काफी ऊंचाई पर भारतीय जवानों द्वारा लगातार निगरानी रखे जाने के कारण चीनी अधिकारियों को लगता है कि यह उनके रसद मार्ग और बाकी चौकियों के लिए खतरा बन सकता है। पिछले साल अक्टूबर में भी इसी तरह की झड़प हुई थी।

2006 से अब तक तवांग के अलग-अलग पोस्ट पर भारत और चीन के सैनिकों के बीच 15-16 बार झड़पें हो चुकी है, और हर बार चीनी सैनिकों को पीछे हटना पड़ा । चीन की हरकतों पर हर वक्त नजर रखने के लिए हमारी सेना से सरहद पर हाई टेक सर्विलांस सिस्टम लगा रखे हैं। पूरे LAC पर तैनात भारतीय जवानों को बिना हथियार के, खाली हाथ दुश्मनों से लोहा लेने की ट्रेनिंग दी जा रही है। इतनी ऊंचाई पर ऑक्सीजन की कमी हो जाती है, भयंकर ठंड पड़ती है, हमेशा चौकस रहना पड़ता है, इसलिए जवानों को योग और पराम्परिक भारतीय युद्ध कलाओं का भी प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

दूसरी तरफ चीनी सेना अपने इलाकों में कैंप, सड़कें और पुल बना रही है। कुछ इलाकों में तो उसने अपने सैनिकों के लिए नए गांव भी बसा दिए हैं। भारत भी चीन से लगने वाली सीमा के पास ऑल वेदर रोड, हेलीपैड और पुल बनाकर बुनियादी ढांचा विकसित कर रहा है। चूंकि सड़कें बन चुकी हैं, इसीलिए हमारे जवानों तक रीइन्फोर्समेंट कुछ ही मिनटों में पहुंच जाता है। चीनी अधिकारियों को यही बात खटक रही है।

संसद के दोनों सदनों में विपक्षी दलों के नेता, कांग्रेस की अगुआई में मंगलवार से ही तवांग के हालात पर बहस कराने की लगातार मांग कर रहे हैं। दोनों सदनों में सभापतियों ने इस मुद्दे की संवेदनशीलता को देखते हुए पिछली कई घटनाओं का हवाला दिया और बहस की इजाज़त नहीं दी। गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, 'भारत की एक इंच जमीन पर भी कोई कब्जा नहीं कर सकता। 8 दिसंबर की रात को हमारे जवानों ने जो वीरता दिखाई है, मैं उसकी भूरि-भूरि प्रशंसा करता हूं। उन्होंने चीनियों को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया।' लेकिन विपक्ष इतने से संतुष्ट नहीं है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने बुधवार को 17 विपक्षी दलों के नेताओं के साथ बैठक की। दोनों सदनों में इन पार्टियों ने फिर से बहस की मांग उठाई और बाद में वॉकआउट कर दिया।

कांग्रेस नेता शशि थरूर ने कहा, ‘सरकार कम से कम हमें पूरे हालात के बारे में विहंगम जानकारी तो दे, और जनता को तो बताए कि हालात के बारे में उसकी क्या समझ है और कुछ सवालों के जवाब दे। यह तो सामान्य बात है। 1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान पंडित नेहरू ने संसद में बहस कराई थी और जवाब देने से पहले उन्होंने संसद में कम से 100 सदस्यों की बातों को सुना। हम इसी तरह की रचनात्मक विमर्श की बात कर रहे हैं। हम पिछले कुछ समय से यही कह रहे हैं कि संसद इसी काम के लिए होती है। यह एक ऐसा मंच है जहां सरकार की जनता के प्रति जवाबदेही बनती है। 2017 में डोकलाम के बाद से गलवान घाटी, डेपसांग और अब तवांग में पिछले 5 साल से चीन LAC पर हमारे इलाकों को थोड़ी-थोड़ी हथियाने की कोशिश करता आ रहा है। इस पर बहस होनी चाहिए।’

AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने आरोप लगाया कि चीन ने हमारी 7 हजार वर्ग किलोमीटर जमीन पर कब्जा कर लिया है, और LAC से 8 किलोमीटर अंदर तक भारतीय सीमा में घुसकर बैठा है। उन्होंने कहा, ‘अगर सरकार वाकई में कुछ छिपा नहीं रही, तो सभी पार्टियों के नेताओं को लेकर तवांग का दौरा क्यों नहीं कराती ताकि सांसद खुद हालात को अपनी आंखों से देख सकें?’

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खर्गे ने तो यहां तक कह दिया कि ‘सरकार की कमजोरी की वजह से देश के जवान शहीद हो रहे हैं। रक्षा मंत्री तो बयान देकर चले गए। उन्होंने न तो सफाई दी और न ही हमें सवाल पूछने दिया।’ समाजवादी पार्टी के नेता रामगोपाल यादव ने कहा, ‘LAC पर झड़प इसीलिए हुई क्योंकि चीन की सेना हमारे इलाके में घुसी थी। हमारे जवानों ने तो अपना फर्ज निभा दिया, लेकिन सवाल यह है कि सरकार क्या कर रही है?’

इसमें कोई शक नहीं है कि चीन ने हमारी सीमा में घुसने की कोशिश की, और हमारी चौकी पर कब्जे की नीयत से हमला किया। यह भी सही है कि हमारे जांबाज़ जवानों ने चीन के सैनिकों को मुंहतोड़ जवाब दिया, जो हमलावर पैदल आए थे, उन्हें घायल कर उनके साथियों के कंधों पर लाद कर वापस भेजा। सेना ने इस बात की पुष्टि की है कि हमारा कोई भी जवान गंभीर रूप से घायल नहीं है। जिन 6 जवानों के घायल होने की खबर है, उन्हें भी मामूली चोटें आई हैं। सेना ने यह भी साफ कर दिया है कि हमारी एक इंच जमीन पर भी चीन का कब्जा नहीं हुआ है।

सेना द्वारा ये सारी बातें साफ करने के बाद भी अगर कोई शक करता है, सवाल उठाता है, तो ये हमारे जवानों की बहादुरी पर और देश के लिए मर मिटने के उनके जज्बे का अपमान है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि इस तरह की झड़पें पहले भी होती रही हैं, लेकिन उस वक्त हमारे सैनिकों की तैयारी उस लेवल की नहीं होती थी, उस इलाके में इन्फ्रास्ट्रक्टर नहीं था, इसलिए रीइन्फोर्समेंट पहुचने में वक्त लगता था। लेकिन अब वक्त बदल गया है। LAC से सड़कें जुड़ी हुई हैं, हर मौसम में खुली रहने वाली सड़कें हैं, पुल और सुरंगे बन गई हैं।

हमारी सेना का मूवमेंट बहुत तेज हो गया है, और अब हमें इसका फायदा भी नजर आ रहा है। चीन के सैनिकों ने घुसपैठ की कोशिश की, कुछ ही देर में वहां तैनात फौजियों के पास मदद पहुंच गई, और इसीलिए चीन के सौनिकों को उल्टे पांव भागना पड़ा। दुनिया के किसी जिम्मेदार मुल्क में देश की सुरक्षा से जुड़े इस तरह के सवाल सार्वजनिक तौर पर नहीं उठाए जाते। लोकतंत्र और देशों में भी है, लेकिन जब सीमा पर तनाव होता है तो दुश्मन मुल्क से निपटने की रणनीति का ऐलान संसद में नहीं किया जाता।

दुश्मन का मुकाबला कैसे करना है, यह सेना तय करती है, और ये काम बंद कमरों के अन्दर होता है, सार्वजनिक बहस करा कर नहीं।

--क्या विपक्ष चाहता है कि सरकार संसद में ये बता दे कि हमारे कितने सैनिक LAC के पास तैनात हैं, और उनके पास कितने और कैसे हथियार हैं? हमारी फौज का बैकअप क्या है?

--क्या विपक्ष चाहता है कि सरकार चीन को खुलकर जंग के लिए ललकारें?

--क्या हम मोदी से अपेक्षा करते हैं कि वह युद्ध जैसे हालात पैदा कर दें? आज के जमाने में युद्ध, हथियारों से कम और दिमाग से ज्यादा लड़े जाते हैं। इसीलिए ऐसे संवेदनशील सवालों पर चर्चा करने से बचा जाता है। कुछ ऐसे लोग हो सकते हैं जिनको लगता है कि उनकी पार्टी चुनावों में तो मोदी को हरा नहीं पा रही, तो शायद शी जिनपिंग उनका काम कर दें। (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 13 दिसंबर, 2022 का पूरा एपिसोड

Latest India News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। National News in Hindi के लिए क्लिक करें भारत सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement