Thursday, May 02, 2024
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सूर्य से आ रहा शक्तिशाली सौर तूफान, पूरी दुनिया में बंद हो जाएगा इंटरनेट? जानें कितना है खतरनाक

सूर्य से निकलने वाले अरबों गर्म प्लाज्मा धरती की तरफ बढ़ रहे हैं। ये तूफान पहले भी धरती को प्रभावित कर चुका है लेकिन ऐसा दावा किया जा रहा है कि इस बार इसका असर सबसे तेज होगा।

Khushbu Rawal Edited By: Khushbu Rawal @khushburawal2
Updated on: January 06, 2024 10:29 IST
solar storm- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO सौर तूफान

अंतरिक्ष में हर पल कई हजारों गतिविधियां होती रहती हैं और कई बार हमारे सौरमंडल में होने वाली घटनाएं धरती पर प्रभाव डालती हैं। दुनियाभर में इस वक्त इस बात की चर्चा तेज है कि धरती पर कई सप्ताह के लिए इंटरनेट ठप हो सकता है। इसकी वजह सूरज से आने वाला एक ऐसा तूफान है जो सैटेलाइट्स को निष्क्रिय कर देगा। इस तूफान को सोलर स्ट्रॉम या सोलर मैक्सिमम के नाम से जाना जाता है।

नासा ने चेतावनी जारी की थी कि सूर्य से निकलने वाले अरबों गर्म प्लाज्मा धरती की तरफ बढ़ रहे हैं। ये तूफान पहले भी धरती को प्रभावित कर चुका है लेकिन ऐसा दावा किया जा रहा है कि इस बार इसका असर सबसे तेज होगा।  

क्या है सोलर स्टॉर्म?

आपको बता दें कि सूरज में हर वक्त कई विस्फोट होते रहते हैं। इन विस्फोटों से तेज गर्मी और रेडिएशन निकलती है। इस दौरान अरबों टन की मात्रा में सोलर प्लाज्मा या सोलर फ्लेयर निकलता है जो अंतरिक्ष में फैल जाता है। ये प्लाज्मा धरती तक भी आता है और यहां ये तूफान का रूप ले लेता है। सोलर प्लाज्मा का तूफान जिसमें हाई लेवल रेडिएशन होते हैं। इस तूफान को सोलर स्टॉर्म (सौर तूफान) कहा जाता है। इसकी रफ्तार 250 किलोमीटर प्रति सेकंड से 3000 किलोमीटर प्रति सेकंड तक हो सकती है। इस तूफान में सूरज से निकलने वाले चार्ज्ड प्रोटोन और इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन होते हैं जो धरती के चारों ओर स्थित सैटेलाइट्स को प्रभावित करते हैं। ये रेडिएशन धरती के लिए बेहद नुकसानदायक होते हैं।

 
ISRO के अनुसार सूरज की साईकल 11 साल की होती है और हर 11 साल में एक बार ये रेडिएशन का तूफान यानी सोलर मैक्सिमम आता है। भारतीय वैज्ञानिकों की चेतावनी के अनुसार के सोलर स्टॉर्म जनवरी 2024 के शुरुआत में ही सकता है।

सोलर स्टॉर्म का क्या प्रभाव पड़ेगा?

  1. ये रेडिएशन धरती के ऊपरी सतह को ज्यादा प्रभावित करती है।
  2. इसका असर धरती की आबादी पर तो नहीं पड़ता है लेकिन धरती के कक्ष में चक्कर लगा रहे सैटेलाइट्स पर पड़ता है।
  3. उल्ट्रावॉयलेट रेज की वजह से धरती की ऊपरी सतह का तापमान तेजी से बढ़ता है और गर्मी काफी बढ़ जाती है।
  4. गर्मी बढ़ने से सैटेलाइट्सप्रभावित होते हैं और उनकी उम्र कम हो जाती है।
  5. जो सैटेलाइट धरती की ऑर्बिट से जितनी ज्यादा दूरी पर होती है उस पर इस तूफान का उतना ज्यादा असर पड़ता है।
  6. इसके प्रभाव से टेलीकम्यूनिकेशन पर असर पड़ता है और इस तरह इंटरनेट, टेलीविजन, नेट बैंकिंग यानी कुल मिलाकर वो सारे काम जो सैटेलाइट्स की मदद से मुमकिन हैं हफ्तों के लिए प्रभावित हो सकते हैं।

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