Thursday, May 02, 2024
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EWS के लिए 10% आरक्षण मामले पर सोमवार को आएगा 'सुप्रीम' फैसला, संविधान में 103 वें संशोधन को दी गई है चुनौती

साल 2019 के जनवरी में 103वें संविधान संशोधन के तहत EWS कोटा लागू किया गया था। इस कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। पांच जजों की संवैधानिक बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही थी। अब सोमवार को इस मामले में फैसला सुनाया जायेगा।

Sudhanshu Gaur Written By: Sudhanshu Gaur @SudhanshuGaur24
Published on: November 05, 2022 22:19 IST
सुप्रीम कोर्ट - India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO सुप्रीम कोर्ट

सोमवार को सुप्रीम कोर्ट कई मामलों को लेकर सुनवाई करने वाला है। इसके साथ ही कोर्ट कई बड़े और चर्चित मामलों में फैसला ही सुनाएगा। इन्हीं में से एक फैसला शिक्षा और सार्वजनिक रोजगार में आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (EWS) के लिए 10 फीसदी आरक्षण की शुरुआत करने वाले 103वें संवैधानिक संशोधन की वैधता का निर्धारण करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट सोमवार 7 नवंबर को फैसला सुनाएगा। सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने पिछले महीने 103वें संवैधानिक संशोधन को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रखा था।

पांच जजों की बेंच ने इस मामले की सुनवाई की

भारत के मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी, जस्टिस एस रवींद्र भट, जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस जेबी पारदीवाला की 5 जजों की बेंच ने इस मामले की सुनवाई की, जो सात दिनों तक चली। उल्लेखनीय है कि मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित 8 नवंबर 2022 को सेवानिवृत्त होने वाले हैं। जानकारी के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट सोमवार को सुबह 10.30 बजे 10% ईडब्ल्यूएस कोटा कानून की वैधता पर अपना फैसला सुनाएगा। CJI उदय उमेश ललित और न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट दो अलग-अलग फैसले सुनाएंगे।

अचिकाओं में दी गई है संविधान के 103 वें संसोधन को चुनौती 

याचिकाओं ने संविधान (103वां) संशोधन अधिनियम 2019 की वैधता को चुनौती दी थी। जनवरी 2019 में संसद द्वारा पारित संशोधन के माध्यम से संविधान के अनुच्छेद 15 और 16 में खंड (6) को सम्मिलित करके नौकरियों और शिक्षा में आर्थिक आरक्षण प्रदान करने का प्रस्ताव किया गया था। नव सम्मिलित अनुच्छेद 15(6) ने राज्य को शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण सहित नागरिकों के किसी भी आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग की उन्नति के लिए विशेष प्रावधान करने में सक्षम बनाया। 

इसमें कहा गया है कि इस तरह का आरक्षण अनुच्छेद 30 (1) के तहत आने वाले अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थानों को छोड़कर निजी संस्थानों सहित किसी भी शैक्षणिक संस्थान में किया जा सकता है, चाहे वह सहायता प्राप्त हो या गैर-सहायता प्राप्त। इसमें आगे कहा गया है कि आरक्षण की ऊपरी सीमा दस प्रतिशत होगी, जो मौजूदा आरक्षण के अतिरिक्त होगी।

यह आरक्षण SEBC के लिए निर्धारित 50% कोटे में हस्तक्षेप किए बिना दिया गया

केंद्र सरकार ने मामले में सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में कहा कि, अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST) और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के लिए ‘‘पूरी तरह से स्वतंत्र’’ आरक्षण को खत्म किए बिना आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) को पहली बार सामान्य वर्ग की 50 प्रतिशत सीटों में से दाखिले और नौकरियों में 10 प्रतिशत आरक्षण दिया गया है। यह संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन नहीं करता है, क्योंकि इसे सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों (SEBC) के लिए निर्धारित 50 प्रतिशत कोटे में हस्तक्षेप किए बिना दिया गया है।

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