Wednesday, April 17, 2024
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उन्नाव दुष्कर्म पीड़िता सड़क हादसे में सेंगर समेत अन्य 5 हुए बरी, जानें- पूरा मामला

अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट रवींद्र कुमार पांडे ने आदेश में कहा, "पीड़िता या उसके सदस्यों को जान से मारने की धमकी देने की आपराधिक साजिश के संबंध में कुलदीप सिंह सिंगर को आरोपित करने के लिए कोई प्रथम दृष्टया सबूत नहीं है। उसके खिलाफ कोई आरोप नहीं लगाया जा सकता है।"

IANS Edited by: IANS
Updated on: December 21, 2021 7:00 IST
 कुलदीप सिंह सेंगर- India TV Hindi
Image Source : PTI  कुलदीप सिंह सेंगर

Highlights

  • दिल्ली की अदालत ने उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं पाया
  • सेंगर के अलावा उनके सहयोगी ज्ञानेंद्र सिंह, कोमल सिंह, अरुण सिंह, रिंकू सिंह और अवधेश सिंह को भी बरी कर दिया गया है
  • मामला 28 जुलाई, 2019 को एक दुर्घटना से संबंधित है

नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश से निष्कासित भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर और पांच अन्य को सोमवार को उन्नाव दुष्कर्म पीड़िता के साथ सड़क हादसा मामले में बरी कर दिया गया। दिल्ली की एक अदालत ने उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं पाया। अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट रवींद्र कुमार पांडे ने आदेश में कहा, "पीड़िता या उसके सदस्यों को जान से मारने की धमकी देने की आपराधिक साजिश के संबंध में कुलदीप सिंह सिंगर को आरोपित करने के लिए कोई प्रथम दृष्टया सबूत नहीं है। उसके खिलाफ कोई आरोप नहीं लगाया जा सकता है।"

सेंगर के अलावा उनके सहयोगी ज्ञानेंद्र सिंह, कोमल सिंह, अरुण सिंह, रिंकू सिंह और अवधेश सिंह को भी इस मामले में बरी कर दिया गया है। हालांकि, आरोपी आशीष कुमार पाल, विनोद मिश्रा, हरिपाल सिंह और नवीन सिंह पर आईपीसी की धारा 506 (2) के साथ-साथ आईपीसी की 34 के तहत आरोप लगाए गए थे।

मामला 28 जुलाई, 2019 को एक दुर्घटना से संबंधित है, जब एक ट्रक उस वाहन से टकरा गया था जिसमें दुष्कर्म पीड़िता, उसका वकील और दो रिश्तेदार रायबरेली जा रहे थे। दुष्कर्म पीड़िता और वकील को गंभीर चोटें आईं, जबकि दो अन्य की मौके पर ही मौत हो गई।

दुर्घटना के संबंध में सेंगर और नौ अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी।इससे पहले, उन्हें दिसंबर 2019 में उन्नाव दुष्कर्म मामले में दोषी ठहराया गया था और 25 लाख रुपये के जुर्माने के अलावा उन्हें जीवन भर कारावास की सजा सुनाई गई थी।

उन्नाव की बांगरमऊ सीट से भाजपा के पूर्व विधायक सेंगर पर 2017 में राजनीतिक तूफान पैदा करने वाला दुष्कर्म का आरोप लगा था।

साथ ही मार्च 2020 में, एक विशेष अदालत ने सेंगर, उनके भाई अतुल सिंह और पांच अन्य को 2018 में उन्नाव दुष्कर्म पीड़िता के पिता की मौत से जुड़े दो मामलों में 10 साल की कैद की सजा सुनाई थी।

निचली अदालत द्वारा दोषी ठहराए जाने के बाद कुलदीप सेंगर को भाजपा से निष्कासित कर दिया गया और विधानसभा के सदस्य के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया गया।

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