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पश्चिम बंगाल में ट्रेन हादसा, क्या मालगाड़ी चालक की थी गलती? जानें क्या है सच्चाई?

पश्चिम बंगाल में सोमवार को भीषण ट्रेन हादसा देखने को मिला। इस हादसे में कुल 9 लोगों की मौत हो गई है और दर्जन भर से अधिक लोग घायल हो गए हैं। इस बीच यह जानकारी सामने आई है कि मालगाड़ी चालक की कोई गलती नहीं थी।

Edited By: Avinash Rai @RaisahabUp61
Published : Jun 17, 2024 20:48 IST, Updated : Jun 17, 2024 20:48 IST
West Bengal Train accident was it the fault of the goods train driver Know what is the truth?- India TV Hindi
Image Source : PTI पश्चिम बंगाल ट्रेन हादसा

पश्चिम बंगाल में रानीपतरा रेलवे स्टेशन और चत्तर हाट जंक्शन के बीच सोमवार को कंचनजंघा एक्सप्रेस को पीछे से टक्कर मारने वाली मालगाड़ी को स्वचालित सिग्नलिंग ‘‘विफल’’ हो जाने के कारण सभी लाल सिग्नल पार करने की अनुमति दी गई थी। रेलवे के आंतरिक दस्तावेज से यह पता चला है। रेलवे के एक सूत्र ने कहा कि रानीपतरा के स्टेशन मास्टर द्वारा मालगाड़ी के चालक को टीए 912 नामक एक लिखित मंजूरी दी गई थी, जिसमें उसे सभी लाल सिग्नल पार करने का अधिकार दिया गया था। इस अधिकार पत्र में कहा गया, ‘‘स्वचालित सिग्नलिंग विफल हो गई है और आपको आरएनआई (रानीपतरा रेलवे स्टेशन) और सीएटी (चत्तर हाट जंक्शन) के बीच सभी स्वचालित सिग्नलों को पार करने के लिए अधिकृत किया जाता है।’’ 

ट्रेन की सिग्नल सिस्टम सुबह से थी खराब

इसमें यह भी उल्लेख किया गया कि आरएनआई और सीएटी के बीच नौ सिग्नल हैं और मालगाड़ी चालक को सभी सिग्नल को तेजी से पार करने का अधिकार है, भले ही वे लाल या सावधानी (पीले या दोहरे पीले) संकेत दिखा रहे हों। रेलवे सूत्र ने बताया, ‘‘टीए 912 तब जारी किया जाता है जब उस सेक्शन में लाइन पर कोई अवरोध या कोई ट्रेन नहीं होती है और यह ड्राइवर को लाल या सावधानी सिग्नल पार करने का अधिकार देता है। यह जांच का विषय है कि स्टेशन मास्टर ने ऐसा क्यों किया। हो सकता है कि उसे यह गलतफहमी हो गई हो कि पिछली ट्रेन स्टेशन सेक्शन को पार करके दूसरे सेक्शन में प्रवेश कर गई है।’’ सूत्र के अनुसार, आरएनआई और सीएटी के बीच स्वचालित सिग्नलिंग प्रणाली सोमवार सुबह 5.50 बजे से खराब थी। 

ट्रेन के रुकने का कारण नहीं पता

सूत्र ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘ट्रेन संख्या 13174 (सियालदह-कंचनजंघा एक्सप्रेस) सुबह 8:27 बजे रंगापानी स्टेशन से रवाना हुई और आरएनआई और सीएटी के बीच रुकी रही। ट्रेन के रुकने का कारण पता नहीं है।’’ रेलवे के एक अन्य अधिकारी के अनुसार जब स्वचालित सिग्नलिंग प्रणाली विफल हो जाती है, तो स्टेशन मास्टर टीए 912 नामक एक लिखित अधिकार पत्र जारी करता है, जो चालक को गड़बड़ी के कारण सेक्शन में सभी लाल सिग्नल को पार करने के लिए अधिकृत करता है। 

मरने वालों की संख्या 9

सूत्र ने बताया, ‘‘रानीपतरा के स्टेशन मास्टर ने ट्रेन नंबर 13174 (सियालदह-कंचनजंघा एक्सप्रेस) को टीए 912 जारी किया था।’’ उन्होंने बताया कि ‘‘लगभग उसी समय एक मालगाड़ी, जीएफसीजे, सुबह 8:42 बजे रंगापानी से रवाना हुई और 8:55 बजे कंचनजंघा एक्सप्रेस को पीछे से टक्कर मार दी, जिसके परिणामस्वरूप गार्ड का कोच, दो पार्सल कोच और एक सामान्य सीटिंग कोच (यात्री ट्रेन का) पटरी से उतर गया।’’ रेलवे बोर्ड ने अपने शुरुआती बयान में कहा कि मालगाड़ी के चालक ने सिग्नल की अनदेखी की। उसने मरने वालों की कुल संख्या नौ बताई। इसके अलावा, नौ लोग गंभीर रूप से घायल हैं और 32 को मामूली चोटें आई हैं। 

जया वर्मा सिन्हा ने बताया संभावित "मानवीय भूल"

रेलवे बोर्ड की अध्यक्ष जया वर्मा सिन्हा ने मालगाड़ी के चालक की ओर से संभावित “मानवीय भूल” की ओर इशारा करते हुए कहा कि न्यू जलपाईगुड़ी के निकट टक्कर संभवतः इसलिए हुई क्योंकि मालगाड़ी ने सिग्नल की अनदेखी की और अगरतला से सियालदह जा रही कंचनजंघा एक्सप्रेस को टक्कर मार दी। लोको पायलट संगठन ने रेलवे के इस बयान पर सवाल उठाया है कि चालक ने रेल सिग्नल का उल्लंघन किया। भारतीय रेलवे लोको रनिंगमैन संगठन (आईआरएलआरओ) के कार्यकारी अध्यक्ष संजय पांधी ने कहा, ‘‘अब, दस्तावेज़ से यह स्पष्ट है कि गड़बड़ी के कारण मालगाड़ी के लोको पायलट को लाल सिग्नल पार करने का अधिकार दिया गया था। यह रेलवे प्रशासन की विफलता है, न कि ड्राइवर की गलती।’’ उन्होंने कहा, ‘‘लोको पायलट की मौत हो जाने और सीआरएस जांच लंबित होने के बावजूद लोको पायलट को ही जिम्मेदार घोषित करना अत्यंत आपत्तिजनक है।’’ 

(इनपुट-भाषा)

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