Monday, April 29, 2024
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कौन जीतेगा गुजरात चुनाव? मतदान की तारीखों की घोषणा के साथ ही शुरू हुआ चुनावी घमासान

चुनाव आयोग द्वारा गुजरात विधानसभा चुनाव की घोषणा होने के साथ ही प्रदेश में हंगामेदार चुनावी माहौल के लिए मंच तैयार हो गया है। दो चरणों में होने वाले इस चुनाव में सीधी टक्कर भाजपा और कांग्रेस के बीच होनी है

IndiaTV Hindi Desk Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: October 25, 2017 20:57 IST
Rahul gandhi and Narendra Modi- India TV Hindi
Rahul gandhi and Narendra Modi

अहमदाबाद: चुनाव आयोग द्वारा गुजरात विधानसभा चुनाव की घोषणा होने के साथ ही प्रदेश में हंगामेदार चुनावी माहौल के लिए मंच तैयार हो गया है। दो चरणों में होने वाले इस चुनाव में सीधी टक्कर भाजपा और कांग्रेस के बीच होनी है और अंदाजा लगाया जा रहा है कि प्रदेश का चुनाव परिणाम 2019 लोकसभा चुनावों को भी प्रभावित करेगा। आज घोषित कार्यक्रम के अनुसार, प्रदेश में 9 और 14 दिसंबर को दो चरणों में मतदान होगा और मतगणना 18 दिसंबर को होगी। 

चुनाव के दोनों मुख्य दावेदार दलों ने प्रधानमंत्री मोदी और कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के नेतृत्व में आक्रामक चुनाव प्रचार शुरू भी कर दिया है। दोनों नेताओं ने प्रदेश में कई रैलियों को संबोधित किया है। राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी एक-दूसरे के खिलाफ सोशल मीडिया पर आक्रामक अभियान चला रहे हैं। 

गुजरात विधानसभा चुनाव को मोदी की लोकप्रियता और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के चुनावी प्रबंधन की अग्निपरीक्षा माना जा रहा है क्योंकि दोनों नेता इसी प्रदेश से हैं। 

यह चुनाव माल एवं सेवा कर (GST) लागू करने और नोटबंदी सहित मोदी सरकार की विभिन्न आर्थिक नीतियों और आर्थिक सुधारों पर जनमत संग्रह जैसा भी होगा, क्योंकि सरकार के इन बड़े आर्थिक फैसलों का सबसे ज्यादा असर गुजरात के बड़े व्यापारिक समुदाय पर ही पड़ा है। प्रदेश का चुनाव कांग्रेस एवं पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी के लिए भी इतना ही महत्वपूर्ण है, क्योंकि वह ऐसे वक्त में प्रचार की कमान संभाले हुए हैं जब उन्हें कांग्रेस अध्यक्ष बनाए जाने की अटकलें चल रही हैं। गुजरात चुनाव में कांग्रेस की जीत राहुल के लिए बहुत बड़ा तमगा होगा, क्योंकि अभी तक ज्यादातर राज्यों में विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को हार ही हाथ लगी है। 

भाजपा की हिन्दुत्व की राजनीति का गढ़ माने जाने वाले पश्चिमी राज्य में पिछले कुछ वक्त से लगातार सरकार के खिलाफ प्रदर्शन हो रहे हें। सबसे बड़ा और उग्र प्रदर्शन सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में आरक्षण को लेकर पटेल समुदाय के लोगों ने किया। गौरतलब है कि इससे पहले तक वैश्यों और अन्य अगड़ी जातियों के अलावा पटेल समुदाय के लोग भाजपा के मुख्य मतदाता हुआ करते थे। ऐसे में पटेलों का समर्थन हटने के बाद पिछले दो शक से ज्यादा वक्त से प्रदेश में शासन चला रही भाजपा के लिए स्थिति थोड़ी नाजुक हो सकती है। 

वहीं कांग्रेस को पार्टी के वरिष्ठ नेता शंकर सिंह वघेला के पार्टी छोड़ने और अपने दम पर चुनाव लड़ने के फैसले से बड़ा नुकसान हुआ है। वघेला के पार्टी छोड़ने से उनके प्रति वफादारी रखने वाले कई विधायकों ने कांग्रेस से इस्तीफा देकर भाजपा का दामन थाम लिया। बहरहाल, ओबीसी नेता अल्पेश ठाकोर का साथ मिलने से कांग्रेस को कुछ आसानी जरूर हुई। 

भाजपा की बात करें तो मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद राज्य में पार्टी के पास कोई लोकप्रिय जननेता नहीं बचा है। लोकप्रिय चेहरे की कमी के कारण पार्टी अभी भी पूरे तौर पर मोदी पर निर्भर है। चुनाव में भाजपा को बारिश की कमी के कारण पिछले तीन वर्षों से दिक्कत झोल रहे ग्रामीण क्षेत्रों की परेशानियों से भी निपटना होगा। इस संबंध में मोदी का माटी का बेटा वाला नारा शायद काम आ जाए। गुजरात में लोकप्रिय चेहरे की कमी से कांग्रेस भी जूझ रही है। 

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