Monday, April 29, 2024
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Ahoi Ashtami 2017: इस विधि से पूजा कर रखें अहोई अष्टमी का निर्जला व्रत, ये है शुभ मुहूर्त

कार्तिक कृष्ण अष्टमी के दिन व्रत रखा जाता है। उत्तर भारत में और विशेष रूप से राजस्थान में महिलाएं बड़ी निष्ठा के साथ इस व्रत को करती हैं। यहनिर्जला व्रत संतान की लंबी आयु के लिए रखा जाता है। जानिए पूजा विधि, कथा और शुभ मुहूर्त के बारें में...

India TV Lifestyle Desk Edited by: India TV Lifestyle Desk
Updated on: October 12, 2017 7:04 IST

ahoi astmi

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अगर बनाया हो चांदी की अहोई
अगर आप चांदी का अहोई बनाकर पूजा करते है जिसे बोलचाल की भाषा में स्याऊ कहते है। इसमें आप चांदी के दो मोती डालकर विशेष पूजा करें। इसके लिए एक धागे में अहोई और दोनों चांदी के दानें डाल लें। इसके बाद अहोई की रोली, चावल और दूध से पूजा करें। साथ ही एक लोटे में जल भर कर सातिया बना लें।

एक कटोरी में हलवा तथा रुपए का बायना निकालकर रख दें और सात दाने गेहूं के लेकर अहोई माता की कथा सुनने के बाद अहोई की माला गले में पहन लें, जो बायना निकाल कर रखा है उसे सास की चरण छूकर उन्हें दे दें। इसके बाद चंद्रमा को जल चढ़ाकर भोजन कर व्रत खोलें।

दीवाली के बाद किसी शुभ दिन इस अहोई माला को गले से उतार कर इसमें गुड का भोग और जल से आचमन करके और नमस्कार कर इस किसी अच्छी जगह पर रख दें। इसके बाद अपनी सास को रोली का तिलक लगा कर उनके पैर छूकर इस व्रत का उद्यापन कर सकते है।

अगली स्लाइड में पढ़े कथा के बारें में

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