Friday, May 03, 2024
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यश बल, धन-धान्य की न हो कमी, तो ऐसे करें मां कुष्मांडा की पूजा

मां कूष्माण्डा अत्यल्प सेवा और भक्ति से प्रसन्न होने वाली हैं। इनकी आराधना करने से भक्तों को तेज, ज्ञान, प्रेम, ऊर्जा, वर्चस्व, आयु, यश, बल, आरोग्य और संतान का सुख प्राप्त होता है। जानिए इनकी पूजा विधि के बारें में।

India TV Lifestyle Desk India TV Lifestyle Desk
Updated on: October 03, 2016 16:49 IST
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धर्म डेस्क: नवरात्र के चौथे दिन मां दुर्गा के चौथे स्वरूप मां कुष्मांडा देवी की पूजा की जाती है। शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि इन्होने ब्रह्मांड की रचना की है। जब सृष्टि में चारों ओर अंधकार था और कोई भी जीव-जंतु नही था। तब मां ने सृष्टि का रचना की। इसी कारण इन्हें कुष्मांडा देनी के नाम से जाना जाता है। आदिशक्ति दुर्गा के कूष्माण्डा रूप में चौथा स्वरूप भक्तों को संतति सुख प्रदान करने वाला है।

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कुष्मांडा का मतलब है कि अपनी फूलों सी मुस्कान से सम्पूर्ण ब्रहमाण्ड को अपने गर्भ में उत्पन्न किया है वही है मां कुष्माण्डा है। मां की उपासना से भक्तों के समस्त रोग-शोक मिट जाते हैं। इनकी भक्ति से आयु, यश, बल और आरोग्य की वृद्धि होती है।

मां कूष्माण्डा अत्यल्प सेवा और भक्ति से प्रसन्न होने वाली हैं। इनकी आराधना करने से भक्तों को तेज, ज्ञान, प्रेम, ऊर्जा, वर्चस्व, आयु, यश, बल, आरोग्य और संतान का सुख प्राप्त होता है। जानिए इनकी पूजा विधि के बारें में।

ऐसे करें पूजा

दुर्गा पूजा के चौथे दिन माता कुष्मांडा की अच्छी तरह से विधिवत पूजा अर्चना करनी चाहिए फिर मन को अनहत चक्र में स्थापित करने हेतु मां का आशीर्वाद लेना चाहिए। अगर इनकी पूजा सच्चे मन से की जाए, तो आपको मां जरुर हर क्षेत्र में सफलता देगी।

माता कूष्माण्डा की पूजा उसी तरह की जाती है जैसे कि देवी ब्रह्मचारिणी और चन्द्रघंटा की पूजा की जाती है। इस दिन भी आप सबसे पहले कलश और उसमें विराजमान देवी देवता की पूजा करें फिर माता के परिवार में शामिल देवी देवता की पूजा करें जो देवी की प्रतिमा के दोनों तरफ विरजामन हैं।

अगली स्लाइड में पढ़े और कैसे करनी चाहिए पूजा

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