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बिना किसी आधार के पति पर चारित्रिक लांछन लगाना ‘‘क्रूरता’’, कोर्ट ने कहा- गुजारा भत्ते की हकदार नहीं है पत्नी

महिला के पति की ओर से कहा गया कि उसकी पत्नी जान-बूझकर उसके साथ नहीं रहना चाहती और उस पर माता-पिता से अलग रहने का दबाव बनाती है। इसके बाद फैमिली कोर्ट ने कहा कि महिला ने बिना किसी पर्याप्त कारण के अपने पति को छोड़ दिया है और वह किसी तरह की भरण-पोषण राशि पाने की हकदार नहीं है।

Edited By: Khushbu Rawal @khushburawal2
Published : Mar 29, 2024 13:04 IST, Updated : Mar 29, 2024 13:04 IST
couple divorce- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO प्रतीकात्मक तस्वीर

इंदौर की फैमिली कोर्ट ने एक आदेश में कहा है कि पत्नी द्वारा अपने पति पर बिना किसी आधार के चारित्रिक लांछन लगाना क्रूरता है। कोर्ट ने शहर की 38 वर्षीय महिला की गुजारा भत्ते की याचिका खारिज करते हुए यह टिप्पणी की। याचिका में महिला ने मुख्य तौर पर यह आरोप लगाया था कि उसके 42 वर्षीय पति के एक अन्य महिला से अवैध संबंधों को लेकर आपत्ति जताए जाने के बाद उसे प्रताड़ित करके घर से बाहर निकाल दिया गया है।

ढाई साल से अलग रह रही है महिला

फैमिली कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश एन.पी. सिंह ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद 7 मार्च को यह अर्जी खारिज कर दी। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा,‘‘(पत्नी द्वारा) बिना किसी आधार के पति पर चारित्रिक दोष लगाना क्रूरता है।’’ फैमिली कोर्ट में याचिका दायर करने वाली महिला अपने पति से करीब ढाई साल से अलग रह रही है। उसने इस अर्जी के जरिये अदालत से गुहार की थी कि उसे उसके पति से हर महीने 20,000 रुपये का गुजारा भत्ता दिलाया जाए।

पति के पास हैं बेटा-बेटी

फैमिली कोर्ट ने कहा कि वह इस निष्कर्ष पर पहुंची है कि महिला ने बिना किसी पर्याप्त कारण के अपने पति को छोड़ दिया है और वह किसी तरह की भरण-पोषण राशि पाने की हकदार नहीं है। अदालत ने कहा, ‘‘यह बात विशेष रूप से उल्लेखनीय है कि इस दम्पति की अवयस्क संतानें प्रतिवादी (पति) के पास हैं और वही उनका भरण-पोषण कर रहा है।’’ महिला ने दो लाख रुपये के दहेज के लिए प्रताड़ित किए जाने का आरोप लगाते हुए अपने पति और सास-ससुर के खिलाफ एक स्थानीय पुलिस थाने में वर्ष 2021 के दौरान एफआईआर भी दर्ज कराई थी। फैमिली कोर्ट ने रेखांकित किया कि महिला ने इस प्राथमिकी में संबंधित महिला से अपने पति के कथित अवैध संबंधों को लेकर किसी विवाद का कोई उल्लेख नहीं किया।

2007 में हुई थी शादी

उधर, महिला के पति की ओर से फैमिली कोर्ट में कहा गया कि उसकी पत्नी जान-बूझकर उसके साथ नहीं रहना चाहती और उस पर उसके माता-पिता से अलग रहने का दबाव बनाती है। महिला का पति इंदौर नगर निगम का कर्मचारी है। इस व्यक्ति ने अदालत में कहा कि उसकी पत्नी सिलाई-कढ़ाई करके हर महीने 20,000 रुपये से 25,000 रुपये कमा रही है और खुद का भरण-पोषण कर सकती है। बचाव पक्ष की वकील प्रीति मेहना ने बताया कि महिला का उनके मुवक्किल से वर्ष 2007 में विवाह हुआ था और इस दम्पति का 13 वर्षीय बेटा और नौ वर्षीय बेटी हैं। (भाषा)

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