Saturday, April 27, 2024
Advertisement

धार में भोजशाला परिसर का ASI सर्वे शुक्रवार सुबह से शुरू होगा, हाई कोर्ट को 6 सप्ताह में सौंपनी होगी रिपोर्ट

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के आदेश के मुताबिक भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) धार के विवादास्पद भोजशाला परिसर का वैज्ञानिक सर्वेक्षण शुक्रवार अलसुबह से शुरू करेगा।

Mangal Yadav Edited By: Mangal Yadav @MangalyYadav
Updated on: March 21, 2024 17:02 IST
भोजशाला परिसर - India TV Hindi
Image Source : FILE- ANI भोजशाला परिसर

मध्य प्रदेश के धार की ऐतिहासिक भोजशाला एएसआई (भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण) सर्वेक्षण शुक्रवार यानी 22 मार्च से शुरू होगा। इंदौर हाई कोर्ट के आदेश के बाद यह सर्वे किया जाएगा। हाई कोर्ट  के आदेश के मुताबिक भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) धार के विवादास्पद भोजशाला परिसर का वैज्ञानिक सर्वेक्षण शुक्रवार अलसुबह से शुरू करेगा। 

6 सप्ताह में सौंपनी होगी रिपोर्ट

हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस की याचिका पर हाई कोर्ट ने आदेश जारी करते हुए दो न्यायाधीशों की बेंच ने एएसआई के 5 सदस्यों की एक कमेटी गठित कर दो पीटीशनरो की मौजूदगी में पूरे मामले पर सर्वे कर बंद लिफाफे में रिपोर्ट 6 सप्ताह के अंदर पेश किए जाने की बात कही गई है , जिसमें यह तय किया जाएगा की भोजशाला पर आखिर अधिकार किसका है। 

कड़ी सुरक्षा के बीच होगा सर्वे

अधिकारियों के मुताबिक एएसआई की ओर से स्थानीय पुलिस और प्रशासन को भेजे गए पत्र में कहा गया है कि हाई कोर्ट की इंदौर पीठ के आदेश के अनुसार भोजशाला परिसर का पुरातत्व सर्वेक्षण या वैज्ञानिक जांच अथवा खुदाई 22 मार्च (शुक्रवार) की अलसुबह से शुरू की जाएगी। धार के पुलिस अधीक्षक मनोज कुमार सिंह ने एएसआई का यह पत्र मिलने की पुष्टि की है। उन्होंने बताया कि भोजशाला परिसर में एएसआई के शुक्रवार अलसुबह से प्रस्तावित सर्वेक्षण के मद्देनजर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए जा रहे हैं।

क्या है विवाद

एएसआई के संरक्षित ऐतिहासिक भोजशाला परिसर को हिन्दू वाग्देवी (सरस्वती) का मंदिर मानते हैं, जबकि मुस्लिम समुदाय इसे कमाल मौला की मस्जिद बताता है। हाई कोर्ट की इंदौर पीठ ने 11 मार्च को सुनाए आदेश में कहा था, ‘‘ इस अदालत ने केवल एक निष्कर्ष निकाला है कि भोजशाला मंदिर-सह-कमाल मौला मस्जिद परिसर का जल्द से जल्द वैज्ञानिक सर्वेक्षण और अध्ययन कराना एएसआई का संवैधानिक और कानूनी दायित्व है।

हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस ने दाखिल की थी याचिका

अदालत ने ‘हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस’ नामक संगठन की अर्जी मंजूर करते हुए यह आदेश सुनाया था। मामले में अगली सुनवाई 29 अप्रैल को होनी है। एएसआई के सात अप्रैल 2003 को जारी आदेश के अनुसार जारी व्यवस्था के मुताबिक हिंदुओं को प्रत्येक मंगलवार भोजशाला में पूजा करने की अनुमति है, जबकि मुस्लिमों को हर शुक्रवार इस जगह नमाज अदा करने की इजाजत दी गई है।

एएसआई के करीब 21 साल पुराने आदेश को चुनौती देते हुए ‘हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस’ की ओर से उच्च न्यायालय में कहा गया था कि यह फरमान भोजशाला परिसर की वैज्ञानिक जांच के बगैर जारी किया गया था और नियम-कायदों के मुताबिक किसी भी मंदिर में नमाज अदा किए जाने की इजाजत नहीं दी जा सकती। हाई कोर्ट में बहस के दौरान एएसआई की ओर से कहा गया था कि उसने 1902 और 1903 में भोजशाला परिसर की स्थिति का जायजा लिया था और इस परिसर की वैज्ञानिक जांच की मौजूदा गुहार को लेकर उसे कोई भी आपत्ति नहीं है।

मुस्लिम ने किया था विरोध

मुस्लिम समुदाय भोजशाला परिसर को कमाल मौला की मस्जिद बताता है। इस मस्जिद से जुड़ी ‘मौलाना कमालुद्दीन वेलफेयर सोसायटी’ ने एएसआई द्वारा भोजशाला परिसर की वैज्ञानिक जांच के लिए ‘हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस’ की दायर अर्जी पर उच्च न्यायालय में आपत्ति जताई थी।

रिपोर्ट- एकता शर्मा

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। News in Hindi के लिए क्लिक करें मध्य-प्रदेश सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement