मध्य प्रदेश की सियासत में एक नया ट्विस्ट आ रहा है। अब कांग्रेस वो करते दिखेगी जो बरसों से बीजेपी करती आई है। कांग्रेस ने अपने जिला अध्यक्षों को जनता से जुड़ाव स्थापित करने के लिए प्रभात फेरी श्रमदान और गौ सेवा करने के निर्देश दिए हैं। लेकिन बीजेपी इसे कांग्रेस का चुनावी स्टंट करार दे रही है। वहीं हिंदू संगठनों ने कांग्रेस की इस पहल का स्वागत किया है।
क्या है पूरा मामला?
मध्य प्रदेश में कांग्रेस 2003 के बाद के 22 सालों में से 2 साल छोड़ दे तो सत्ता से बाहर है। यही वजह है कि लंबे वनवास के बाद कांग्रेस अब राहुल गांधी की महत्वाकांक्षी संगठन सृजन अभियान के तहत चुने गए जिला अध्यक्षों के द्वारा गांव-गांव शहर प्रभात फेरी निकालना श्रमदान और गौ सेवा कराने जा रही है।
बीजेपी ने बताया 'चुनावी स्टंट'
लंबे समय से सत्ता से दूर कांग्रेस जन जन तक पहुंचने के लिए उन कार्यक्रमों का सहारा ले रही है जो बरसों से बीजेपी का एजेंडा रहे हैं। गौ सेवा और प्रभात फेरी के जरिये भाजपा ने गांव से लेकर शहर तक हिंदुत्व और सनातन का झंडा फहराया है यही वजह है कि कांग्रेस के कार्यक्रम को भाजपा चुनावी स्टंट बता रही है।
कांग्रेस ने सरेराह गो माता की हत्या कर गोमांस खाया- मंत्री
एमपी के मंत्री विश्वास कैलाश सारंग ने कहा, कांग्रेस ने गौ सेवा करने की बात कहकर बहुत देर कर दी। राहुल गांधी जिन तेजस्वी के साथ आज भाई-भाई बने हैं, उन्होंने सावन में ही मांस खाया। कांग्रेस केवल चुनावी स्टंट कर रही है इसका कोई फायदा नहीं। यही वह कांग्रेस है जिसने गौ मांस खाने की सिफारिश की थी, कांग्रेस ने सरेराह गो माता की हत्या कर गौमांस खाया है।
बीजेपी के एजेंडे को कांग्रेस ने बनाया अपना हथियार
दिलचस्प बात ये है कांग्रेस पर हमेशा हिंदुत्व विरोधी होने का टैग लगाने वाले हिंदू संगठन कांग्रेस की इस मुहिम पर उसका स्वागत करते नजर आ रहे हैं। हालांकि कांग्रेस का कहना है ये अभियान शुरू से पार्टी करती आई है और अब नए स्वरूप में फिर से करेगी। लेकिन भाजपा की तरह यह दिखावा नहीं है। महात्मा गांधी के समय से रघुपति राघव राजा राम के नारों के साथ प्रभात फेरी निकलती रही है तो गाय बछड़ा कांग्रेस का चुनावी निशान रहा है।
कांग्रेस का नया एजेंडा प्रभात फेरी से लेकर गौ सेवा तक क्या उसे सत्ता के सूखे से बाहर निकालेगा या भाजपा के बयान की तरह यह जनता से जुड़ाव नहीं महज चुनावी स्टंट बनकर रह जाएगा? मध्य प्रदेश की सियासत में फिलहाल बड़ा सवाल यही है।
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