Wednesday, April 24, 2024
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MP Corona Update: मध्यप्रदेश में कोरोना वायरस के 735 नए मामले, जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल जारी

मध्यप्रदेश में रविवार को कोरोना वायरस संक्रमण के 735 नए मामले सामने आए और इसके साथ ही प्रदेश में इस वायरस से अब तक संक्रमित पाए गए लोगों की कुल संख्या 7,85,196 तक पहुंच गयी।

IndiaTV Hindi Desk Written by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: June 06, 2021 22:51 IST
मध्यप्रदेश में कोरोना वायरस के 735 नए मामले, 42 लोगों की मौत - India TV Hindi
Image Source : PTI FILE PHOTO मध्यप्रदेश में कोरोना वायरस के 735 नए मामले, 42 लोगों की मौत 

भोपाल। मध्यप्रदेश में रविवार को कोरोना वायरस संक्रमण के 735 नए मामले सामने आए और इसके साथ ही प्रदेश में इस वायरस से अब तक संक्रमित पाए गए लोगों की कुल संख्या 7,85,196 तक पहुंच गयी। एक अधिकारी ने इसकी जानकारी दी । अधिकारी ने बताया कि राज्य में पिछले 24 घंटों में इस बीमारी से प्रदेश में 42 और व्यक्तियों की मौत हुई है।

प्रदेश में अब तक इस बीमारी से मरने वालों की संख्या 8,337 हो गयी है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के 52 जिलों में से दो जिलों अलीराजपुर एवं बुरहानपुर में पिछले 24 घंटों में एक भी नया कोरोना संक्रमित व्यक्ति नहीं पाया गया।

उन्होंने कहा कि प्रदेश में रविवार को कोविड-19 के 298 नये मामले इंदौर में आये, जबकि भोपाल में 137 एवं जबलपुर में 56 नये मामले आये। अधिकारी ने बताया कि प्रदेश में कुल 7,85,196 संक्रमितों में से अब तक 7,66,756 मरीज स्वस्थ हो गये हैं और 10,103 मरीजों का इलाज चल रहा है। उन्होंने कहा कि रविवार को कोविड-19 के 1,934 रोगी स्वस्थ हुए हैं। 

जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल सातवें दिन भी जारी, बातचीत बेनतीजा 

कोरोना वायरस महामारी के बीच मध्यप्रदेश सरकार और हड़ताल कर रहे छह शासकीय मेडिकल कॉलेज के जूनियर डॉक्टरों के बीच यहां खींचतान जारी है। अपनी मांगों को लेकर प्रदेश के लगभग 3,000 जूनियर डॉक्टर रविवार को सातवें दिन भी हड़ताल पर रहे, जिससे इन अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाएं बुरी तरह से प्रभावित हुई हैं। हड़ताल पर गये इन जूनियर डॉक्टरों का एक दल रविवार शाम को प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग से मिला, लेकिन उनके बीच हुई यह मुलाकात भी बेनतीजा रही।

सारंग ने बताया, ‘‘मुझे पता चला कि वे (जूनियर डॉक्टरों का दल) मेरे निवास पर आये हुए हैं। उस वक्त मैं घर पर नहीं था। जैसे ही मुझे पता चला, मैं तुरंत उनसे मिलने अपने आवास पर आया। हालांकि, उन्होंने मेरे से मुलाकात करने का समय नहीं लिया था।’’ उन्होंने कहा कि मैंने उनसे कहा कि कोरोना वायरस महामारी के इस कठिन समय में मरीजों के हित में काम पर लौट आएं। सारंग ने बताया, ‘‘मैंने उन्हें कहा कि यहां तक मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने भी आपकी इस हड़ताल को अवैध करार दिया है और 24 घंटे के भीतर काम पर लौटने के लिए कहा था।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमने उनकी मांगे मान ली हैं।’’ सारंग ने बताया, ‘‘मूल्य सूचकांत के तहत जूनियर डॉक्टरों के स्टायपेंड (मानदेय) में 17 प्रतिशत की वृद्धि मान्य की गयी है, लेकिन वे 24 प्रतिशत वृद्धि पर अडे़ हुए हैं।

इसी बीच, मध्यप्रदेश जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन (जूडा) का कहना है कि सरकार जब तक हमारी मांगों के बारे में लिखित में आश्वासन नहीं देगी, तब तक हमारी हड़ताल जारी रहेगी। जूडा के अध्यक्ष अरविंद मीणा ने बताया, ‘‘अब तक राज्य सरकार के साथ हमारा कोई समझौता नहीं हुआ है। हमारी हड़ताल जारी है।’’ मीणा ने बताया कि हमारी छह मांगे हैं। इनमें मानदेय में बढ़ोतरी, कोविड में काम करने वाले डॉक्टरों एवं उनके परिजनों के लिए अस्पताल में इलाज की अलग व्यवस्था तथा कोविड ड्यूटी को एक साल की अनिवार्य ग्रामीण सेवा मानकर बांड से मुक्त करना आदि शामिल हैं।

उन्होंने दावा किया कि प्रदेश सरकार ने इस साल छह मई को उनकी मांगों को पूरा करने का वादा किया था, लेकिन तब से इस मामले में कुछ नहीं हुआ है। वहीं, भोपाल स्थित शासकीय हमीदिया अस्पताल के एक चिकित्सक ने कहा कि जूनियर डॉक्टरों के प्रदर्शन के कारण स्वास्थ्य सेवाएं बुरी तरह से प्रभावित हुई हैं। मालूम हो कि मध्यप्रदेश में कोरोना महामारी के बीच छह सरकारी मेडिकल कॉलेज –भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर, सागर एवं रीवा के लगभग 3,000 शासकीय जूनियर डॉक्टर अपनी छह मांगों को लेकर 31 मई से हड़ताल पर हैं।

तीन जून को मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने इस हड़ताल को अवैध करार देते हुए जूनियर डॉक्टरों को 24 घंटे के भीतर हड़ताल खत्म करने और चार जून दोपहर ढाई बजे तक काम पर लौटने का आदेश दिया था। अदालत ने कहा था कि निर्धारित समय सीमा पर जूनियर डॉक्टर हड़ताल समाप्त कर काम पर नहीं लौटते हैं तो राज्य सरकार उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करे। हालांकि, उच्च न्यायालय के आदेश देने के कुछ ही घंटों बाद तीन जून को ही करीब 3,000 जूनियर डॉक्टरों ने सामूहिक इस्तीफा दे दिया और अदालत के आदेश के बावजूद अब तक काम पर नहीं लौटे।

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