भारतीय ऑटो इंडस्ट्री अब सिर्फ घरेलू बाजार में ही नहीं, बल्कि विदेशी मार्केट में भी अपनी धाक जमा रही है। चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में भारतीय कारों का निर्यात रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है। अप्रैल से सितंबर 2025 के बीच देश से कुल 4,45,884 वाहन विदेशों में भेजे गए, जो पिछले साल इसी समय में 3,76,679 थे। यानी निर्यात में करीब 18% की बढ़ोतरी हुई है।
किस कंपनी की सबसे ज्यादा डिमांड
इस बढ़त में सबसे बड़ी हिस्सेदारी मारुति सुजुकी इंडिया की रही, जिसने 2,05,763 वाहन विदेशों में भेजे। यह पिछले साल के मुकाबले 40 प्रतिशत ज्यादा है। मारुति सुजुकी की यह निर्यात वृद्धि दर्शाती है कि भारतीय कारों की क्वालिटी और भरोसेमंद तकनीक विदेशी ग्राहकों को कितना आकर्षित कर रही है। इसके अलावा, हुंडई इंडिया ने 17% की बढ़त के साथ 99,540 गाड़ियां; निसान इंडिया ने 37,605; फॉक्सवैगन ने 28,011; टोयोटा ने 18,880; किआ ने 13,666 और होंडा ने 13,243 गाड़ियां विदेशों में भेजे। कंपनी और कैटेगरी के हिसाब से भी निर्यात में अच्छा प्रदर्शन देखने को मिला। यात्री कारों का निर्यात 12% बढ़कर 2,29,281 यूनिट हो गया, जबकि यूटिलिटी वाहन 26% बढ़कर 2,11,373 इकाई तक पहुंचे। वैन का निर्यात सबसे ज्यादा 36.5% बढ़ा और 5,230 इकाई तक पहुंचा।
भारतीय कारों की लोकप्रियता क्यों?
भारतीय कारों की बढ़ती लोकप्रियता का सबसे बड़ा कारण है पश्चिम एशिया और लैटिन अमेरिका जैसे देशों में मजबूत मांग। इस बार भारत ने कुल 24 देशों में निर्यात बढ़ाया है। इन देशों में दक्षिण कोरिया, संयुक्त अरब अमीरात, जर्मनी, टोगो, मिस्र, वियतनाम, इराक, मेक्सिको, रूस, केन्या, नाइजीरिया, कनाडा, पोलैंड, श्रीलंका, ओमान, थाईलैंड, बांग्लादेश, ब्राजील, बेल्जियम, इटली और तंजानिया शामिल हैं। हालांकि, सितंबर में अमेरिका में निर्यात में गिरावट आई, जिसका कारण वहां के हाई फीस बताई जा रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि भारतीय कारों का बढ़ता क्रेज न सिर्फ कंपनियों के लिए फायदे का सौदा है, बल्कि यह देश की ऑटो इंडस्ट्री की विश्वसनीयता और ब्रांड वैल्यू को भी बढ़ाता है। मारुति सुजुकी, हुंडई और अन्य कंपनियों की निर्यात रणनीति ने भारतीय वाहनों को ग्लोबल मार्केट में मजबूती से स्थापित कर दिया है।






































