Highlights
- छोटी कारों के दबदबे वाले भारत कार बाजार का मिजाज अब बदलने लगा है
- हैचबैक से परहेज करने वाली कंपनियों में ज्यादातर विदेशी हैं
- 2017 में भारतीय बाजार में 31 हैचबैक कारें थीं, वहीं अब 19 रह गई है
कभी मारुति 800 और हुंडई सेंट्रो जैसी छोटी कारों के दबदबे वाले भारतीय कार बाजार और भारतीय ग्राहकों का मिजाज अब बदलने लगा है। देश में छोटी कारों का बाजार अब सिमटने लगा है वहीं एसयूवी का बाजार तेजी से फलफूल रहा है। फॉक्सवैगन पोलो का बंद होना इस कड़ी का ताजा उदाहरण है। पिछले महीने निसान ने अपनी हैचबैक कार Datsun का प्रॉडक्शन बंद कर दिया। वहीं होंडा भी अपनी हैचबैक जैज को अगले साल तक बंद कर देगी।
एक रिपोर्ट के अनुसार 2017 में जहां भारतीय बाजार में 31 हैचबैक कारें थीं, वहीं अब इनकी संख्या घटकर 19 रह गई है। हालांकि मारुति, टाटा और हुंडई की बेस्ट सेलिंग कारें इसी सेगमेंट से हैं। मारुति की वैगनआर, स्विफ्ट, सैलेरियो के अलावा हुंडई की ग्रेंड आई 10 और सेंट्रो टाटा की टिआगो देश की बेस्ट सेलिंग कारों में से एक हैं।
अब SUV का दौर
महंगाई के बावजूद भारतीय ग्राहकों को मिजाज बदल रहा है, अब लोग कॉम्पेक्ट एसयूवी का रुख कर रहे हैं। वहीं कंपनियां भी ग्राहकों को हैचबैक के विकल्प के रूप में सस्ती कॉम्पेक्ट एसयूवी पेश कर रही हैं, जिनकी कीमत प्रीमियम हैचबैक से कम है। ताजा बिक्री आंकड़ों की बात करें तो पिछले वित्त वर्ष के उलट इस साल एसयूवी सेगमेंट हैचबैक को पीछे छोड़कर बिक्री के लिहाज से सबसे बड़ा सेगमेंट बन गया था।
हैचबैक से कतरा रही हैं विदेशी कंपनियां
बीते कुछ समय में हैचबैक से परहेज करने वाली कंपनियों में ज्यादातर विदेशी हैं। स्कोडा या फॉक्सवैगन जैसी कंपनियां इस सेगमेंट से पहले ही बाहर हो गई हैं। यह रुख सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया के कई मार्केट्स से हैचबैक मॉडल गायब हो रहे हैं। वहीं इस सेगमेंट में मारुति सुजुकी का दबदबा बढ़ा है। स्मॉल कार बाजार में कंपनी की हिस्सेदारी बढ़कर 60 फीसदी से अधिक हो गई है।