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Budget 2018 : आयकर छूट सीमा बढ़ाकर 3 लाख रुपये करने की है जरूरत, 75 लाख करदाताओं को होगा लाभ

सातवें वेतन आयोग के बाद व्यक्तिगत खर्च योग्य आय में वृद्धि के साथ आयकर छूट सीमा 50,000 रुपए बढ़ाकर 3 लाख रुपए किए जाने की जरूरत है। यह बात एसबीआई की एक रिपोर्ट में कही गई है।

Manish Mishra Edited by: Manish Mishra
Updated on: January 23, 2018 18:43 IST
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Income Tax Exemption Limit

नई दिल्ली। सातवें वेतन आयोग के बाद इस साल आम बजट क्तिगत खर्च योग्य आय में वृद्धि के साथ आयकर छूट सीमा 50,000 रुपए बढ़ाकर 3 लाख रुपए किए जाने की जरूरत है। यह बात एसबीआई की एक रिपोर्ट में कही गई है। इस कदम से करीब 75 लाख लोगों को लाभ होगा। एसबीआई ईकोरैप की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अगर मौजूदा मकान कर्जधारकों के लिए ब्याज भुगतान छूट की सीमा 2 लाख रुपए से बढ़ाकर 2.5 लाख रुपए की जाती है तो इससे 75 लाख मकान खरीदारों को सीधे लाभ होगा। जबकि सरकार के लिये इसकी लागत केवल 7,500 करोड़ रुपए होगी। आम बजट से जुड़ी हर हलचल को जानने के लिए यहां क्लिक करें... 

वित्त मंत्री अरुण जेटली राजग सरकार के मौजूदा कार्यकाल का पांचवां और अंतिम पूर्ण आम बजट  1 फरवरी को पेश करेंगे। रिपोर्ट में कहा गया है कि सातवें वेतन आयोग के कारण व्यक्तिगत खर्च योग्य आय बढ़ी है। इसीलिए हमारा मानना है कि छूट सीमा बढ़ाकर 3 लाख रुपए कर दी जाए। आयकर छूट सीमा बढ़ाए जाने से करीब 75 लाख करदाताओं को लाभ होगा।

बजट को लेकर जारी इस रिपोर्ट में बैंक जमा के जरिए बचत को प्रोत्साहन देने की भी वकालत की गई है। बचत को प्रोत्साहन देने के प्रयास के तहत सरकार बचत बैंक जमा के ब्याज पर छूट दे सकती है। साथ ही कर बचत वाली मियादी जमाओं की अवधि (लॉक इन पीरियड) पांच साल से घटाकर तीन वर्ष करने की जरूरत है तथा इन जमाओं को ईईई (छूट-छूट-छूट) कर व्यवस्था के अंतर्गत लाने की आवश्यकता है।

एसबीआई की रिपोर्ट के मुताबिक आगामी बजट के संदर्भ में ये उम्मीद समावेशी वृद्धि के सिद्धांतों पर आधारित है। इसमें यह भी कहा गया है कि हमारा अनुमान है कि बजट में कृषि, एमएसएमई, बुनियादी ढांचा तथा सस्ते मकान पर जोर दिया जाना चाहिए।

निवेश को गति देने के संदर्भ में रिपोर्ट में कहा गया है कि जिन परियोजनाओं में विलंब हुआ है, उसकी लागत में वृद्धि के बराबर पूंजी सब्सिडी दी जा सकती है। सरकार ऐसे मामलों में लागत में वृद्धि की फाइनेंसिंग रियायती ब्याज दर के जरिए की जा सकती है। साथ ही संगठित क्षेत्र में रोजगार सृजन के बारे में मासिक आंकड़ा प्रकाशित करने की जरूरत है क्योंकि इस बारे में सूचना नहीं आती।

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