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2016 में बंद हुए ये 5 बड़े स्‍टार्टअप, हासिल किया था करोड़ों रुपए का निवेश

सच्‍चा खिलाड़ी हमेशा आगे बढ़ेगा और बढ़ता ही जाएगा। 2016 को 5 बड़े स्‍टार्टअप के बंद होने के लिए याद रखा जाएगा। इन स्‍टार्टअप ने फंड भी हासिल किया था।

Abhishek Shrivastava Abhishek Shrivastava
Published on: December 31, 2016 10:19 IST
Bad Year: 2016 में बंद हुए ये 5 बड़े स्‍टार्टअप, हासिल किया था करोड़ों रुपए का निवेश- India TV Paisa
Bad Year: 2016 में बंद हुए ये 5 बड़े स्‍टार्टअप, हासिल किया था करोड़ों रुपए का निवेश

नई दिल्‍ली। विफलता के बावजूद, सच्‍चा खिलाड़ी हमेशा आगे बढ़ेगा और बढ़ता ही जाएगा। 2016 को 5 बड़े स्‍टार्टअप के बंद होने के लिए याद रखा जाएगा। इन स्‍टार्टअप ने  खूब फंड  भी  हासिल  किया था।

एक आंत्रप्रेन्‍योर के लिए, स्‍टार्टआप के लिए डिफॉल्‍ट स्‍तर है विफलता, इसमें कोई आश्‍चर्य नहीं है कि न केवल भारत में बल्कि पूरी दुनिया में 5 में से तीन स्‍टार्टअप विफल होते हैं।

भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा टेक स्टार्टअप हब है, भारत में कई स्‍टार्टअप विफल हो रहे हैं बावजूद इसके भारत सरकार द्वारा स्‍टार्टअप और युवा उद्यमियों को प्रोत्‍साहन देने में कोई कमी नहीं आई है।

यहां हम ऐसे 5 बड़े और निवेश हासिल करने वाले स्‍टार्टअप लेकर आए हैं, जो 2016 में फेल हो गए:

आस्‍कमी (AskMe)

इस साल अगस्‍त में मलेशिया की एस्‍ट्रो होल्डिंग्‍स समर्थित आस्‍कमी बंद हो गई। इससे तकरीबन 4,000 लोगों की नौकरी गई। 30 करोड़ डॉलर के निवेश वाली यह कंपनी रातों रात बंद हो गई। एक स्‍टार्टअप के विफल होने के पीछे कई सारे कारण होते हैं। लेकिन आस्‍कमी के बंद होने के पीछे प्रमुख कारण है कि उसने वेंचर फंड का प्रबंधन ठीक से नहीं किया और यहां जवाबदेही का भी काफी अभाव था।

2011-12 में कंपनी का रेवेन्‍यू 23.4 करोड़ रुपए था, जो 2014-15 में बढ़कर 51.2 करोड़ रुपए हो गया। इसी दौरान कंपनी का शुद्ध घाटा 54.3 करोड़ रुपए से बढ़कर 300 करोड़ रुपए हो गया। इस कंपनी में एस्‍ट्रो होल्डिंग्‍स ने अकेले निवेश किया था और उसे इस घाटे से उबरने का कोई रास्‍ता नहीं सूझ रहा था। इसलिए इसके फाउंडर्स और इन्‍वेस्‍टर्स एक-दूसरे पर आरोप लगा रहे थे। इसके परिणामस्‍वरूप भारत में एक हायपर लोकर स्‍टार्टअप का दुखत अंत हो गया।

पेपरटैप (Peppertap)

ग्रोफर्स और बिग बास्‍केट के बाद यह भारत का तीसरा सबसे बड़ा ग्रोसरी स्टार्टअप था। इस साल अप्रैल में अचानक पेपरटेप ने शटडाउन का निर्णय लिया। इसने 24 महीने में चार चरणों में 350 करोड़ रुपए के करीब फंड जुटाया था। इसमें सेक्यिओ कैपिटल, सैफ पार्टनर्स, स्‍नैपडील और अन्‍य निवेशकों ने निवेश किया था।

ग्राहकों का अधिग्रहण करने के लिए बिना सोचे-समझे पैसा खर्च करना और अनियंत्रित मार्केटिंग बजट इस स्‍टार्टअप के फेल होने की प्रमुख वजह रहा। अब यह अपने आप को रिवर्स लॉजिस्टिक कंपनी बनाने में जुटी है, जो दूसरे स्‍टार्टअप्‍स के ऑर्डर डिलीवरी करती है।

टिनीआउल (TinyOwl)

इस साल मई में फूड ऑर्डरिंग एप टिनीआउल ने एक साथ 11 शहरों में अपना ऑपरेशन बंद करने की घोषणा की। मुंबई को छोड़कर इसने पूरे देश से अपना कारोबार समेट लिया। सितंबर 2015 से जनवरी 2016 के बीच इसने अपने 600 कर्मचारियों को नौकरी से निकाला। 18 महीने में चार चरणों में इसने 152 करोड़ रुपए जुटाए थे, लेकिन अप्रैल के अंत तक इसके पास एक पैसा भी नहीं बचा। सेक्यिओ कैपिटल, नेक्‍सस वेंचर्स और मैट्रिक्‍स वेंचर्स पार्टनर्स जैसे निवेशकों ने इसमें अपना पैसा लगाया था।

बिना परीक्षण किए गए फीचर्स को जोड़ना और बहुत अधिक डिस्‍काउंट देना कंपनी को विफलता की ओर ले गए।

फ्रेंकलीमी (FranklyMe)

इसका आइडिया बहुत अच्‍छा था और परिचालन बहुत सरल। यह एक वीडियो माइक्रो-ब्‍लोगिंग पोर्टल था जिसका लक्ष्‍य भारत का पहला वीडियो ओनली सोशल नेटवर्क बनना था। इसने मैट्रिक्‍स पार्टनर्स से 6 लाख डॉलर सीड फंडिंग के तौर पर जुटाए थे। इसके बाद सिरीज ए चरण में इसने एक अन्‍य निवेशक से भी पैसे हासिल किए थे।

फरवरी 2016 में इसने अपना ऑपरेशन बंद करने का निर्णय लिया। इसके प्‍लेटफॉर्म को अरविंद केजरीवाल, जावेद अख्‍तर और अन्‍य लोग इस्‍तेमाल कर रहे थे। इसके को-फाउंडर निकुंज जैन ने इसे बंद करने के पीछे जो कारण बताया वो यह था कि उन्‍हें फंडिंग से ज्‍यादा धन की आवश्‍यकता है।

फैशनआरा (Fashionara)

फैशनआरा, एक फैशन स्‍टार्टअप था, जो इस साल मई में बंद हो गया। इसे रिलायंस ट्रेंड्स और टाइम्‍स इंटरनेट के पूर्व अधिकारियों ने शुरू किया था। 2014 और 2015 में इसने लोगों को ध्‍यान अपनी ओर खींचने में सफलता हासिल की। लेकिन 2016 में बढ़ती प्रतिस्‍पर्धा और ऑनलाइन फैशन क्षेत्र में नए खिलाडि़यों के प्रवेश के बाद यह विफल हो गया।

हालांकि, इसने हेलिओन वेंचर पार्टनर्स और लाइटस्‍पीड वेंचर पार्टनर्स से 40 लाख डॉलर की राशि जुटाई थी और इसने अपना विस्‍तार फुटवियर और एसेसरीज जैसे नए क्षेत्रों में किया था। फंडिंग के अभाव में यह अपनी यात्रा ज्‍यादा लंबे समय तक जारी नहीं रख सका।

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