नई दिल्ली। केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर व सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) ने कहा है कि अगर निर्यातकों का रिफंड शिपिंग बिल व रिटर्न फॉर्म में दर्ज जीएसटीआईएन में अंतर होने की वजह से रोका गया है तो उसे निर्यातकों के पैन के आधार पर मंजूरी दी जा सकती है।
उल्लेखनीय है कि विभिन्न कारणों के चलते निर्यातकों के 14,000 करोड़ रुपए मूल्य के रिफंड अटके हुए हैं। इसको ध्यान में रखते हुए सीबीआईसी 31 मई से 14 जून तक विशेष रिफंड पखवाड़े का आयोजन कर रहा है। इस पखवाड़े का उद्देश्य रिफंड मंजूरी में तेजी लाना है।
सीबीआईसी ने इस बारे में फील्ड अधिकारियों को एक परिपत्र भेजा है। इसमें कहा गया है कि अगर शिपिंग बिल व रिटर्न फॉर्म जीएसटीआर-3 बी/जीएसटीआर-1 में दर्ज पैन संख्या समान है तो रिफंड मंजूर कर दिया जाना चाहिए।
जीएसटी पहचान संख्या (जीएसटीआईएन) में अंतर उस हालत में हो जाता है, जबकि शिपिंग बिल दाखिल करने वाली इकाई कोई पंजीकृत कार्यालय हो तथा एकीकृत जीएसटी (आईजीएसटी) का भुगतान करने वाली कोई विनिर्माण इकाई हो। ऐसी स्थिति में जीएसटीआईएन अलग-अलग हो जाता है।
सीबीआईसी ने कहा है कि रिफंड का दावा करने वाली इकाई को यह हलफनामा देना होगा कि वह रिफंड या चुकाए गए आईजीएसटी की राशि का कोई दावा नहीं करेगी। सीबीआईसी ने कहा है कि महानिदेशक सिस्टम्स ने इस मामले में सुधार करते हुए नई प्रणाली तैयार कर ली है। इसके तहत शिपिंग बिल और जीएसटी व्यवस्था के तहत रिटर्न फॉर्म में यदि पैन संख्या समान होगी तो रिफंड को मंजूरी दे दी जाएगी।