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बैंकों की बैलेंस शीट्स को साफ-सुथरा बनाना RBI की पहली प्राथमिकता, 7 लाख करोड़ रुपए के NPA का है बोझ

RBI के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने शनिवार को कहा कि सार्वजनिक क्षेत्रों के बैंकों की बैलेंस शीट्स को साफ-सुथरा बनाना केंद्रीय बैंक की पहली प्राथमिकता है।

Abhishek Shrivastava Abhishek Shrivastava
Published on: July 22, 2017 19:37 IST
बैंकों की बैलेंस शीट्स को साफ-सुथरा बनाना RBI  की पहली प्राथमिकता, 7 लाख करोड़ रुपए के NPA का है बोझ- India TV Paisa
बैंकों की बैलेंस शीट्स को साफ-सुथरा बनाना RBI की पहली प्राथमिकता, 7 लाख करोड़ रुपए के NPA का है बोझ

नई दिल्‍ली। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने शनिवार को कहा कि सार्वजनिक क्षेत्रों के बैंकों की बैलेंस शीट्स को साफ-सुथरा बनाना केंद्रीय बैंक की पहली प्राथमिकता है। बैंकों पर फिलहाल सात लाख करोड़ रुपए की गैर निष्पादित आस्तियों (NPA) का बोझ है।

सरकार के अनुसार एनपीए अस्वीकार्य स्तर पर पहुंच गया है और उसके समाधान के लिए तत्काल कदम उठाने की जरूरत है। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का सकल एनपीए मार्च अंत में 6.41 लाख करोड़ रुपए से अधिक हो गया था। समूचे बैंकिंग क्षेत्र का सकल एनपीए करीब 7.28 लाख करोड़ रुपए है।

अभी हाल ही में भारतीय रिजर्व बैंक ने बैंकों पर एनपीए के बोझ को हल्का करने के लिए कई कदमों की घोषणा की है। आचार्य ने यहां दिल्ली इकोनॉमिक सम्मेलन में कहा, यह निश्चित ही हमारी पहली प्राथमिकता है। उनसे पूछा गया था कि क्या बैंकों के खातों को साफ-सुथरा बनाना आरबीआई के लिए ब्याजदर में कटौती से भी अधिक प्राथमिक है।

पिछले महीने आचार्य ने कहा था कि ब्याज दर में कटौती के बजाये होम लोन के लिए बैंकों में मानक संपत्ति प्रावधान कम करने जैसे लक्षित कदमों से सुस्त पड़ती वृद्धि में तेजी लाने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि नोटबंदी से समाज के कुछ वर्गों में कालेधन के प्रति नजरिये में बदलाव आया है, उसके बाद वित्‍तीय उत्पादों को लेकर वरीयता बढ़ी है। उन्होंने आगे कहा कि 80 प्रतिशत परिवारों की बचत वित्‍तीय बचत के बजाये संपत्ति के रूप में है।

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