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टेलीकॉम सुविधाओं के मामले में सबसे पीछे है बिहार, डिजिटल डिवाइड ने बढ़ाईं Digital India की मुश्किलें

भारत के राज्‍यों के बीच टेलीकॉम सुविधाओं के विस्‍तार में अंतर ने भारत सरकार के डिजिटल इंडिया मिशन के सामने चुनौती खड़ी कर दी हैं।

Sachin Chaturvedi Sachin Chaturvedi @sachinbakul
Published on: January 31, 2016 18:56 IST
टेलीकॉम सुविधाओं के मामले में सबसे पीछे है बिहार, डिजिटल डिवाइड ने बढ़ाईं Digital India की मुश्किलें- India TV Paisa
टेलीकॉम सुविधाओं के मामले में सबसे पीछे है बिहार, डिजिटल डिवाइड ने बढ़ाईं Digital India की मुश्किलें

नयी दिल्ली। भारत के राज्‍यों के बीच टेलीकॉम सुविधाओं के विस्‍तार में अंतर ने सरकार के डिजिटल इंडिया मिशन के सामने चुनौती खड़ी कर दी हैं। एसोचैम की ताजा रिपोर्ट के अनुसार देश के विभिन्‍न राज्‍यों के बीच टेली घनत्व में भारी अंतर है जो कि बड़े पैमाने पर डिजिटल विभाजन का इशारा करता है। टेली घनत्‍व के मामले में जहां दिल्ली 238 प्रतिशत के साथ सबसे आगे है वहीं बिहार और असम करीब 55 प्रतिशत के साथ पीछे हैं।

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बिहार, यूपी, एमपी टेलीफोन सेवाओं में पिछड़े

रिपोर्ट के अनुसार प्रति 100 व्यक्तियों पर टेलीफोन कनेक्शन की संख्या बताने वाला टेली घनत्व का आंकड़ा बड़े पैमाने पर डिजिटल विभाजन का संकेत देता है। बिहार, असम, मध्य प्रदेश तथा उत्तर प्रदेश में आबादी का बड़ा हिस्सा महत्वपूर्ण संचार सुविधा से वंचित है। इसमें कहा गया है कि सरकार के डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के लिये बेहतर टेली-घनत्व तथा गुणवत्ता सेवा महत्वपूर्ण है। डिजिटल इंडिया कार्यक्रम का मकसद ई-गर्वनेंस के जरिये नागरिकों तक सरकारी सेवाओं को पहुंचाना है।

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बुनियादी ढ़ांचे की कमी बनी कारण

एसोचैम ने कहा, विभिन्न राज्यों में डिजिटल अंतर साफ तौर पर दिखता है। कुछ पूर्वी राज्यों के मामले में सर्विस प्रावाइडर्स का रुख अनुकूल नहीं है। इसके अलग-अलग कारण हैं। इसमें बिजली की उपलब्धता जैसे बुनियादी ढांचे का अभाव तथा व्यापार अवसरों को लेकर उदासीनता भी है। एसोचैम की रिपोर्ट के अनुसार जहां राष्ट्रीय स्तर पर टेली-घनत्व 81.82 प्रतिशत है, वहीं बिहार के मामले में यह 54.25 प्रतिशत, असम में 55.76 प्रतिशत, मध्य प्रदेश में 62.33 प्रतिशत तथा उत्तर प्रदेश में 62.74 प्रतिशत है।

वहीं दिल्ली में टेली-घनत्व 238 प्रतिशत से अधिक है। जबकि हिमाचल प्रदेश में यह 123.19 प्रतिशत है। इसके अलावा तमिलनाडु, पंजाब, कर्नाटक और केरल की भी स्थिति बेहतर है।

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