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विदेश व्यापार नीति की समीक्षा में निर्यात बढ़ाने पर जोर, नए प्रोत्साहनों की हुई घोषणा

सरकार ने निर्यात बढ़ाने के लिये नये प्रोत्साहनों की घोषणा की है। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु ने विदेश व्यापार नीति (एफटीपी) 2015-20 की मध्यावधि समीक्षा करते हुए इन प्रोत्साहनों की घोषणा की।

Manish Mishra Edited by: Manish Mishra
Updated on: December 05, 2017 19:36 IST
Export Promotion- India TV Paisa
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नई दिल्ली सरकार ने निर्यात बढ़ाने के लिये नये प्रोत्साहनों की घोषणा की है। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु ने विदेश व्यापार नीति (एफटीपी) 2015-20 की मध्यावधि समीक्षा करते हुए इन प्रोत्साहनों की घोषणा की। उन्होंने कहा कि श्रमिकोन्मुखी उद्योगों और सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उपक्रमों (MSME) वाले समूचे क्षेत्र के लिए भारत से वस्तु निर्यात योजना (MEIS) के तहत प्रोत्साहन दर दो प्रतिशत बढ़ाई जाएगी।

सुरेश प्रभु ने ट्वीट किया कि,

सालाना प्रोत्साहन राशि 34 प्रतिशत बढ़कर 8,450 करोड़ रुपए होने से चमड़ा, हस्तशिल्प, कालीन, खेल का सामान, कृषि, समुद्री उत्पाद, इलेक्ट्रानिक कलपुर्जे तथा परियोजना निर्यात क्षेत्रों को फायदा होगा।

प्रभु ने कहा कि मध्यावधि समीक्षा का मकसद प्रक्रियाओं के सरलीकरण के जरिए निर्यात प्रोत्साहन, उच्च रोजगार वाले क्षेत्रों को समर्थन बढ़ाना, जीएसटी के लाभों का उपयोग, सेवाओं के निर्यात को बढ़ावा तथा अत्याधुनिक विश्लेषण के जरिए निर्यात प्रदर्शन की निगरानी करना है।

उन्होंने कहा कि विदेश व्यापार नीति में मुख्य जोर नए बाजारों और उत्पादों की संभावनाएं तलाशना और परंपरागत बाजारों तथा उत्पादों के निर्यात में भारत का हिस्सा बढ़ाना है। मंत्री ने कहा कि हमारा जोर वैश्विक और क्षेत्रीय मूल्य श्रृंखलाओं में भारतीय उद्योग की भागीदारी बढ़ाना है।

विदेश व्यापार नीति के तहत चमड़ा क्षेत्र को 749 करोड़ रुपये का अतिरिक्त वार्षिक प्रोत्साहन उपलब्ध होगा। वहीं हाथ से बने रेशम के कालीन, हथकरघा, नारियल रेशे और जूट उत्पादों के लिए 921 करोड़ रुपए, कृषि उत्पादों के लिए 1,354 करोड़ रुपए, समुद्री उत्पादों के लिए 759 करोड़ रुपए, दूरसंचार, इलेक्ट्रॉनिक कलपुर्जा क्षेत्र के लिए 369 करोड़ रुपए और चिकित्सा उपकरण क्षेत्र के लिए 193 करोड़ रुपए का अतिरिक्त प्रोत्साहन दिया जाएगा।

इसके अलावा कपड़े के दो उप-क्षेत्रों सिलेसिलाए परिधान और मेडअप्स के लिए MEIS को पहले ही दो से बढ़ाकर चार प्रतिशत किया गया है। इसमें अतिरिक्त वार्षिक प्रोत्साहन 2,743 करोड़ रुपए का दिया जाएगा। प्रभु ने कहा कि विदेश व्यापार नीति में केंद्रित कृषि निर्यात के जरिए किसानों की आय बढ़ाने पर भी जोर दिया गया है।

वस्‍तु एवं सेवा कर (GST) के क्रियान्वयन के बारे में प्रभु ने कहा कि इस नई अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था से निर्यात क्षेत्र में वृद्धि बढ़ाने में मदद मिलेगी। ज्यादातर उत्पादों पर शुल्कों में कमी तथा विभिन्न शुल्कों के गहरे प्रभाव में कमी से लागत घटेगी जिससे निर्यात प्रतिस्पर्धी हो सकेगा। प्रभु ने कहा कि निर्यात वृद्धि में अब उल्लेखनीय सुधार दिख रहा है। पिछले 14 में से 13 महीनों में निर्यात वृद्धि सकारात्मक रही है।

पांच साल की विदेश व्यापार नीति की घोषणा 1 अप्रैल, 2015 को हुई थी। इसमें 2020 तक देश से वस्तुओं और सेवाओं का निर्यात 900 अरब डॉलर पर पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है। इसके अलावा वैश्विक निर्यात में भारत का हिस्सा मौजूदा दो से बढ़ाकर 3.5 प्रतिशत करने का भी लक्ष्य रखा गया है।

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