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भारत में गैस पाइपलाइन, बुनियादी ढांचे पर 60 अरब डॉलर का निवेश: धर्मेंद्र प्रधान

भारत ऊर्जा संसाधनों के उपभोग में प्राकृतिक गैस की हिस्सेदारी बढ़ाने के लक्ष्य को हासिल करने के लिये गैस आपूर्ति और वितरण बुनियादी ढांचे को विकसित करने में 60 अरब डॉलर से अधिक का निवेश कर रहा है।

Written by: India TV Business Desk
Published : October 14, 2019 8:43 IST
Union Minister for Petroleum & Natural Gas and Steel Dharmendra Pradhan in a group photo at the 3rd - India TV Paisa
Photo:PTI

Union Minister for Petroleum & Natural Gas and Steel Dharmendra Pradhan in a group photo at the 3rd meeting of the International Think Tank, in New Delhi on Sunday

नयी दिल्ली। भारत ऊर्जा संसाधनों के उपभोग में प्राकृतिक गैस की हिस्सेदारी बढ़ाने के लक्ष्य को हासिल करने के लिये गैस आपूर्ति और वितरण बुनियादी ढांचे को विकसित करने में 60 अरब डॉलर से अधिक का निवेश कर रहा है। देश में ऊर्जा उपभोग में प्राकृतिक गैस की हिस्सेदारी 2030 तक दोगुनी करके 15 प्रतिशत तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है। पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने रविवार को यह बात कही। 

प्रधान ने गैस आधारित अर्थव्यवस्था विकसित करने पर जोर देते हुए कहा कि वर्तमान में देश में सभी ऊर्जा की खपत में प्राकृतिक गैस की हिस्सेदारी 6.2 प्रतिशत है। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक गैस धीरे-धीरे भारत में कम कार्बन उत्सर्जन अर्थव्यवस्था के लिए बेहतर ईंधन के रूप में अपनी जगह बना रही है। उन्होंने कहा कि सरकार गैस बुनियादी ढांचा विकसित करने के लिए विशेष प्रोत्साहन दे रही है। इसमें देश के उत्तरी भाग को दक्षिण और पूर्व को पश्चिम भाग से जोड़ा जा रहा है।

पेट्रोलियम मंत्री ने इंटरनेशनल थिंक टैंक की तीसरी बैठक में यहां कहा, मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि हम गैस पाइपलाइन और टर्मिनल बुनियादी ढांचे पर अनुमानित 60 अरब डॉलर का निवेश कर रहे हैं। यह काम पूरा होने के करीब या फिर उन्नत स्तर पर है। उन्होंने कहा, शहरी गैस वितरण नेटवर्क की पहुंच जल्द ही भारत की 70 प्रतिशत आबादी तक होगी। सरकार तेल और गैस क्षेत्र के समग्र विकास के लिए रणनीतिक साझेदारी का विकल्प तलाश रही है। देश में भविष्य के ऊर्जा स्त्रोतों के लिए जरूरी नवाचार के साथ निवेश लाने के लिए निजी क्षेत्र (घरेलू एवं विदेशी) की भूमिका अहम रहेगी। 

बैठक में मौजूद ऊर्जा कंपनियों के मुख्य कार्यपालक अधिकारियों ने कहा कि भारत विभिन्न स्त्रोतों से प्राप्त ऊर्जा में प्राकृतिक गैस, कोयला जैसे जीवाश्म ईंधन की खपत को बढ़ाना जारी रखेगा और एकीकृत ऊर्जा नीति की जरूरत है। प्रधान ने कहा कि 2024 तक भारतीय अर्थव्यवस्था को 5,000 अरब डॉलर पर पहुंचाने के लक्ष्य को हासिल करने में ऊर्जा की अहम भूमिका होगी। ऊर्जा क्षेत्र की चुनौतियों पर उन्होंने कहा,  हमारे समय की सबसे बड़ी चुनौती ऊर्जा के तीन कारक इसकी निरंतर, सुरक्षित और किफायती उपलब्धता है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि दूसरी बड़ी चिंता वैश्विक ऊर्जा बाजार में हाल में हुए घटनाक्रम है। उन्होंने कहा कि हमने इन दिनों ऊर्जा बाजार में काफी बड़े घटनाक्रम देखें। इनमें अमेरिका का ईरान एवं वेनेजुएला पर प्रतिबंध, सऊदी की तेल इकाइयों पर हमला, पश्चिमी एशिया में अशांति और अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध प्रमुख हैं।

प्रधान का वैश्विक ऊर्जा कंपनियों को निवेश निमंत्रण, स्थिर नीति का वादा 

पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने रविवार को वैश्विक ऊर्जा कंपनियों से देश में निवेश करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि वे दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती ऊर्जा उपभोक्ता अर्थव्यवस्था में निवेश करें। इसके लिए सरकार स्थिर नीति और बेहतर विनियामकीय प्रशासन मुहैया कराएगी।

सेरावीक सम्मेलन के रात्रिभोज के दौरान प्रधान ने कहा कि सरकार 2022 के नए भारत के लक्ष्य को लेकर आगे बढ़ रही है। 'मैं वैश्विक और घरेलू उद्योगों से आह्वान करता हूं कि वह उन समाधानों पर बातचीत करें जो देश के ऊर्जा लक्ष्य के चारों आधार स्तंभों का विस्तार करें। देश के ऊर्जा लक्ष्य के चार आधार स्तंभ ऊर्जा तक पहुंच, बेहतर क्षमता, निरंतरता और ऊर्जा सुरक्षा हैं।' भारत दुनिया की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और अमेरिका एवं चीन के बाद तीसरा सबसे बड़ा ऊर्जा उपभोक्ता है।

उन्होंने कहा, 'भारत आने वाले दशकों में वैश्विक ऊर्जा मांग को बनाए रखने वाला मुख्य देश बना रहेगा। भारत में हम हर चुनौती के लिए तैयार हैं।' उन्होंने कहा कि एक जीवंत लोकतंत्र, स्थायी राजनैतिक व्यवस्था, सुधार अपनाने वाले दृष्टिकोण और मजबूत संस्थागत ढांचे के साथ, 'मैं वैश्विक उद्योगों को आमंत्रित करता हूं कि वह हमारी प्रगति में हमारे साथी बनें और भारत में मौजूद ऊर्जा क्षेत्र की व्यापक निवेश संभावनाओं का लाभ उठाएं।' उन्होंने कहा कि सरकार ने निवेशकों को मित्रवत माहौल सुनिश्चित करने के लिए पूरी पेट्रोलियम नीति में आमूलचूल बदलाव के लिए कई कदम उठाए हैं। प्रधान ने कहा कि सऊदी अरामको, एडनॉक, बीपी, शैल, टोटल, रोजनेफ्ट और एक्सॉनमोबिल जैसी वैश्विक कंपनियां भारत में अपना कारोबार कर रही हैं। 

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