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Airtel, Jio, Vodafone और Idea ने TRAI के M2M प्रस्ताव के खिलाफ मिलाया हाथ, जानिए क्या है पूरा मामला

TRAI के मशीन टु मशीन सर्विसेज प्रस्ताव के खिलाफ टेलीकॉम सेक्टर की बड़ी कंपनी भारती एयरटेल, वोडाफोन इंडिया, आइडिया सेलुलर और रिलायंस जियो एक साथ आ गई है।

Ankit Tyagi Ankit Tyagi
Published on: April 27, 2017 14:27 IST
Airtel, Jio, Vodafone और Idea ने TRAI के M2M प्रस्ताव के खिलाफ मिलाया हाथ, जानिए क्या है पूरा मामला- India TV Paisa
Airtel, Jio, Vodafone और Idea ने TRAI के M2M प्रस्ताव के खिलाफ मिलाया हाथ, जानिए क्या है पूरा मामला

नई दिल्ली। टेलीकॉम रेग्युलेटर टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (TRAI) के मशीन टु मशीन (M2M) सर्विसेज प्रस्ताव के खिलाफ टेलीकॉम सेक्टर की बड़ी कंपनी भारती एयरटेल, वोडाफोन इंडिया, आइडिया सेलुलर और रिलायंस जियो एक साथ आ गई है। आपको बता दें कि टेलीकॉम रेग्युलेटर ने प्रीमियम 700 मेगाहर्ट्ज बैंड में से 10 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम को मशीन टु मशीन (M2M) सर्विसेज के लिए एलोकेट करने का प्रस्ताव रखा है।

क्या है मामला 

TRAI ने 700 मेगाहर्ट्ज बैंड में सुपर-एफिशंट 4G एयरवेव्स के प्रयोग में न लाए जा सकने वाले हिस्से की M2M कम्युनिकेशंस के लिए डीलाइसेंसिंग करने के बारे में कंसल्टेशन प्रोसेस शुरू किया है। हालांकि, अक्सर M2M टेक्नॉलजी वायर्ड और वायरलेस डिवाइसेज को सेंसर्स के जरिए एक-दूसरे से कनेक्ट होने में मदद करती है और ऐसे एप्लिकेशंस को स्मार्ट सिटी, स्मार्ट ग्रिड, स्मार्ट हेल्थ और स्मार्ट ट्रांसपोर्टेशन जैसे नए जमाने के इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में इस्तेमाल किया जा सकता है।

कंपनियों ने किया विरोध

भारती एयरटेल और जियो ने कंसल्टेशन पेपर पर अलग-अलग दी गई अपनी राय में बैंड के किसी भी हिस्से की डीलाइसेंसिंग के कदम का विरोध करते हुए कहा है कि इससे सबको बराबरी का मौका नहीं मिल पाएगा और एयरवेव्स के वैल्यूएशन पर असर पड़ेगा। सीओएआई के डायरेक्टर जनरल राजन एस मैथ्यूज ने ईटी से कहा कि एम2एम सर्विसेज के लिए अलग से स्पेक्ट्रम एलोकेशन की जरूरत नहीं है और इन सर्विसेज को टेलीकॉम कंपनियों को मिले लाइसेंस्ड स्पेक्ट्रम पर मुहैया कराया जा सकता है क्योंकि एम2एम और पर्सन टु पर्सन, दोनों कम्युनिकेशंस के लिए नेटवर्क रिसोर्सेज एक ही होंगे।

एयरटेल ने कहा

एयरटेल ने कहा है, कि अगर 700 मेगाहर्ट्ज बैंड के कुछ हिस्से को अनलाइसेंस्ड कर दिया गया तो इससे वैल्यूएशन पर बुरा असर पड़ेगा और सरकारी खजाने को बड़ी चपत लगेगी क्योंकि टेलीकॉम कंपनियां तब इस प्रीमियम स्पेक्ट्रम के लिए बड़ी रकम देने में हिचकेंगी क्योंकि इसमें इंटरफेरेंस का बड़ा रिस्क होगा।

जियो की प्रतिक्रिया

जियो ने कहा है कि एम2एम कम्युनिकेशंस के लिए इस बैंड से हिस्से अलग करना ठीक नहीं होगा और पहले इसकी पूरी कमर्शल संभावना का पता लगा लिया जाना चाहिए। जियो ने ट्राई के पेपर पर अपने कमेंट्स में कहा है, 700 मेगाहर्ट्ज बैंड में डीलाइसेंसिंग नहीं की जानी चाहिए। इस गैप बैंड के लिए किसी भी इंटरफेरेंस स्टडी के बिना इस बैंड को डीलाइसेंस करने का निर्णय अधकचरा होगा।

नहीं मिलेगा बराबरी का मौका

एयरटेल का यह भी मानना है कि इस कदम से सबको बराबरी का मौका नहीं मिल पाएगा क्योंकि एक ऑपरेटर एक मेगाहर्ट्ज के लिए पिछले ऑक्शन में बेस प्राइस के मुताबिक 11435 करोड़ रुपये दे रही होगी, तो एम2एम मोबाइल सर्विसेज देने के लिए दूसरी ऑपरेटर को उसी बैंड में अनलाइसेंस्ड हिस्से के लिए कुछ भी नहीं देना होगा।

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