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Blessings in Waiting: गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम पर श्रद्धालुओं की भावना भारी, सोना पिघलाने से हिचक रहे मंदिर

सोने के आयात को कम करने के लिए मोदी सरकारी की गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम पर श्रद्धालुओं की भावना भारी पड़ रही है। मंदिर सोना जमा कराने से बच रहे हैं।

Dharmender Chaudhary Dharmender Chaudhary
Updated on: December 21, 2015 10:32 IST
Blessings in Waiting: गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम पर श्रद्धालुओं की भावना भारी, सोना पिघलाने से हिचक रहे मंदिर- India TV Paisa
Blessings in Waiting: गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम पर श्रद्धालुओं की भावना भारी, सोना पिघलाने से हिचक रहे मंदिर

नई दिल्ली। सोने के आयात को कम करने के लिए मोदी सरकारी की गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम पर श्रद्धालुओं की भावना भारी पड़ रही है। देश में बेकार पड़े 1,000 अरब डॉलर मूल्य के सोने को बाजार में लगाने के लिए सभी की नजरें ऐसे सोने के बड़े बड़े भंडार रखने वाले मंदिरों पर है। लेकिन इनमें से कई मंदिरों के संचालकों को इस बात की आशंका है कि श्रद्धालुओं से दान में प्राप्त सोना, ज्वैलरी और प्रोडक्ट को सरकारी योजना के लिए गलाने से कहीं धार्मिक भावनाएं तो नहीं आहत होंगी।

मोदी के स्कीम को नहीं मिल रहा मंदिरों का आशिर्वाद

देशभर में विभिन्न स्थानों के अमीर और प्रसिद्ध मंदिरों के अधिकारियों ने इस विषय में बातचीत में कहा कि सरकार की गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम में तत्काल भागीदारी करना उनके लिए शायद ही संभव हो। हालांकि, कुछ मंदिरों के अधिकारियों ने कहा कि यह स्कीम गौर करने लायक है पर उन्हें इस पर अभी कोई पक्का निर्णय नहीं किया है। केरल में श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर और महाराष्ट्र में शिरडी साई बाबा मंदिर जैसे कुछ मंदिरों के लिए अदालत में चल रहे मामले रास्ते में रोड़ा बन रहे हैं। केरल, कर्नाटक, तेलंगाना और राजस्थान में प्रमुख मंदिरों से इस स्कीम के प्रति ठंडी प्रतिक्रिया मिली है, जबकि आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल और गुजरात में कुछ मंदिरों ने इसमें रूचि दिखाई है। हालांकि, इनमें से ज्यादातर मंदिर, ज्वैलरी को गलाने की प्रक्रिया में मूल्य क्षरण एवं मंदिर के देवी-देवताओं के नाम पर स्वर्ण ज्वैलरी दान करने वाले श्रद्धालुओं की धार्मिक भावना आहत होने जैसे मुद्दों को लेकर चिंतित हैं।

सिद्धिविनायक करेंगे स्कीम का बेड़ा पार

मुंबई में प्रसिद्ध सिद्धिविनायक मंदिर ने स्कीम में दिलचस्पी दिखाई है और वह अपने 160 किलोग्राम सोने के भंडारों का उपयोग करने के विभिन्न विकल्पों पर विचार कर रहा है। इसमें से करीब 10 किलो सोना पहले ही एक बैंक के पास जमा किया जा चुका है। तिरुमला तिरुपति देवस्थानम की उच्च स्तरीय निवेश समिति इस स्कीम के तहत सोना जमा करने के मुद्दे पर विचार के लिए जल्द ही बैठक करेगा। वहीं आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा में कनकदुर्गाम्मा मंदिर की इस योजना में भागीदारी करने की कोई योजना नहीं है।

गुजरात के मंदिरों ने सोना जमा करने से किया इंकार

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ओर से पिछले महीने शुरू की गई महत्वाकांक्षी गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम का लक्ष्य मकानों, धार्मिक संस्थानों और अन्य जगहों पर पड़े अनुमानित 22,000 टन सोने को वित्तीय प्रणाली में लाना है। सोने को ज्वैलरी के रूप में भी जमा किया जा सकता है, लेकिन बैंक उसे पिघला कर उसकी शुद्धता की जांच के बाद जमा ज्वैलरी का मूल्य तय करते हैं। गुजरात में विभिन्न मंदिरों में प्रसिद्ध अंबाजी मंदिर ने फिलहाल इस स्कीम के लिए सोना जमा करने से मना कर दिया है, जबकि सोमनाथ मंदिर ने इस संबंध में एक प्रस्ताव तैयार किया है और अंतिम निर्णय मंदिर के ट्रस्टियों की ओर से किया जाएगा। देवभूमि द्वारका में द्वारकाधीश मंदिर को इस पर निर्णय करना है, लेकिन मंदिर न्यास समिति के चेयरमैन एच.के. पटेल ने कहा कि स्कीम विचार करने योग्य है।

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