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उपलब्धि: 22 करोड़ लोगों को मिल रहा आयुष्मान भारत योजना का लाभ: आर्थिक सर्वेक्षण

वित्तीय वर्ष 23 में सामाजिक क्षेत्र का व्यय वित्त वर्ष 2016 में 9.1 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 21.3 लाख करोड़ रुपये हो गया।

Alok Kumar Edited By: Alok Kumar @alocksone
Updated on: January 31, 2023 15:58 IST
Aayushman Yojana- India TV Paisa
Photo:FILE Aayushman Yojana

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा मंगलवार को पेश आर्थिक सर्वेक्षण में सामाजिक क्षेत्र में सरकारी खर्च में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है। 4 जनवरी, 2023 तक आयुष्मान भारत योजना के तहत लगभग 22 करोड़ लोगों को लाभ मिल रहा था। इसके साथ ही देश में 1.54 लाख से अधिक स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र भी संचालित किए जा रहे हैं। सर्वेक्षण में कहा गया है कि स्वास्थ्य क्षेत्र पर केंद्र और राज्य सरकार का बजटीय खर्च वित्त वर्ष 2023 में सकल घरेलू उत्पाद का 2.1 प्रतिशत और वित्त वर्ष 22 में 2.2 प्रतिशत तक पहुंच गया, जबकि वित्त वर्ष 21 में यह 1.6 प्रतिशत था।

सामाजिक क्षेत्र पर खर्च तेजी से बढ़ा 

वित्तीय वर्ष 23 में सामाजिक क्षेत्र का व्यय वित्त वर्ष 2016 में 9.1 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 21.3 लाख करोड़ रुपये हो गया। सर्वेक्षण में बहुआयामी गरीबी सूचकांक पर यूएनडीपी की 2022 की रिपोर्ट के निष्कर्षों पर प्रकाश डाला गया है। इसमें कहा गया है कि 2005-06 और 2019-20 के बीच भारत में 41.5 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकले। एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट्स प्रोग्राम सुशासन के लिए एक टेम्प्लेट के रूप में उभरा है। विशेष रूप से दूरस्थ और कठिन क्षेत्रों में और असंगठित श्रमिकों का एक राष्ट्रीय डेटाबेस बनाने के लिए ईश्रम पोर्टल विकसित किया गया है, जो आधार के साथ सत्यापित है। 31 दिसंबर, 2022 तक 28.5 करोड़ से अधिक असंगठित श्रमिकों को ईश्रम पोर्टल पर पंजीकृत किया गया है।

इन सरकारी योजनाओं का फायदा मिला

जेएएम (जन-धन, आधार, और मोबाइल) को डीबीटी की शक्ति के साथ मिलाकर व लोगों को सशक्त बनाकर पारदर्शी और जवाबदेह शासन के मार्ग में क्रांति लाते हुए समाज के हाशिए पर पड़े वर्गों को औपचारिक वित्तीय प्रणाली में लाया है। आधार ने को-विन प्लेटफॉर्म को विकसित करने और 2 बिलियन से अधिक वैक्सीन खुराक के पारदर्शी प्रशासन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में श्रम बाजार पूर्व-कोविड स्तरों से आगे निकल गए हैं। बेरोजगारी दर 2018-19 में 5.8 प्रतिशत से गिरकर 2020-21 में 4.2 प्रतिशत हो गई है।

शिशु मृत्यु दर में गिरावट आई

वित्तीय वर्ष 22 में स्कूलों में सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) में सुधार और लैंगिक समानता में सुधार देखा गया। 6 से 10 वर्ष की आयु में जनसंख्या के प्रतिशत के रूप में कक्षा एक से पांच में लड़कियों के साथ-साथ लड़कों के प्राथमिक-नामांकन में सुधार हुआ है। स्वास्थ्य पर सरकार द्वारा उठाए गए कई कदमों के कारण स्वास्थ्य व्यय के प्रतिशत के रूप में आउट-ऑफ-पॉकेट व्यय वित्त वर्ष 14 में 64.2 प्रतिशत से घटकर वित्त वर्ष 19 में 48.2 प्रतिशत हो गया। शिशु मृत्यु दर (आईएमआर), पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों की मृत्यु दर (यू5एमआर) और नवजात मृत्यु दर (एनएमआर) में लगातार गिरावट देखी गई है। 6 जनवरी, 2023 तक 220 करोड़ से अधिक कोविड वैक्सीन की खुराक दी गई।

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