Friday, April 26, 2024
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अमेरिका को सस्ती दरों पर स्टील-एल्यूमीनियम प्रोडक्ट्स के निर्यात की होगी निगरानी, सरकार सेट अप करेगी इंटरनल सिस्टम

आठ अमेरिकी प्रोडक्ट्स पर जवाबी शुल्क हटाने के भारत के फैसले के बाद अब अमेरिका अतिरिक्त 25 प्रतिशत और 10 प्रतिशत शुल्क का भुगतान किए बिना भारत से इन आयातों की परमिशन दे रहा है।

Sourabha Suman Edited By: Sourabha Suman @sourabhasuman
Updated on: January 02, 2024 13:33 IST
खान, इस्पात मंत्रालयों और डीपीआईआईटी के अधिकारी व्यवस्थाओं की समीक्षा के लिए साल में दो बार मीटिंग क- India TV Paisa
Photo:REUTERS खान, इस्पात मंत्रालयों और डीपीआईआईटी के अधिकारी व्यवस्थाओं की समीक्षा के लिए साल में दो बार मीटिंग करेंगे।

भारत से अमेरिका को सस्ती दरों पर निर्यात किए जाने वाले स्टील-एल्यूमीनियम प्रोडक्ट्स की निगरानी करने की तैयारी है। खान, इस्पात मंत्रालय और उद्योग संवर्धन एवं आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) इसके लिए एक इंटरनल सिस्टम सेट अप करने का फैसला किया है। भाषा की खबर के मुताबिक, एक अधिकारी ने मंगलवार को यह जानकारी दी। इन प्रोडक्ट्स के भारतीय निर्यात पर पहले अमेरिका में अतिरिक्त शुल्क लग रहा था।

भारत के एक्शन के बाद अमेरिका आया रास्ते पर

खबर के मुताबिक, अमेरिका ने साल 2018 में राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देते हुए स्टील प्रोडक्ट्स पर 25 प्रतिशत और एल्यूमीनियम के कुछ प्रोडक्ट्स पर 10 प्रतिशत इम्पोर्ट ड्यूटी लगाया था। भारत ने जवाबी कार्रवाई में जून 2019 में 28 अमेरिकी प्रोडक्ट्स पर अतिरिक्त कस्टम ड्यूटी लगाया था। इसका असर हुआ। सेब और अखरोट जैसे आठ अमेरिकी प्रोडक्ट्स पर जवाबी शुल्क हटाने के भारत के फैसले के बाद अब अमेरिका अतिरिक्त 25 प्रतिशत और 10 प्रतिशत शुल्क का भुगतान किए बिना भारत से इन आयातों की परमिशन दे रहा है।

शर्तों को आखिरी रूप दे दिया गया है

अधिकारी ने बताया कि दोनों देश अतिरिक्त शुल्क चुकाए बिना एक साल में कम से कम 3.36 लाख टन इस्पात और एल्यूमीनियम के कुछ प्रोडक्ट्स के अमेरिका को घरेलू निर्यात को सक्षम बनाने के लिए एक संयुक्त निगरानी सिस्टम स्थापित करने पर सहमत हुए हैं। वाणिज्य विभाग ने इस संबंध में शर्तों को आखिरी रूप दे दिया है और अमेरिका ने प्रस्तावित पाठ पर सहमति व्यक्त की है।

निगरानी को लेकर ये हुआ है तय

खान, इस्पात मंत्रालयों और डीपीआईआईटी के अधिकारी व्यवस्थाओं की समीक्षा के लिए साल में दो बार मीटिंग करेंगे। अगर भारतीय निर्यातकों को किसी भी बाधा या समस्या का सामना करना पड़ा, तो वाणिज्य मंत्रालय को सूचित किया जाएगा और संयुक्त निगरानी तंत्र (जेएमएम) की बैठकों के दौरान अमेरिका के समक्ष उठाया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पिछले साल जून में यात्रा के दौरान दोनों देशों ने व्यापार संबंधी अड़चनों को दूर करने का फैसला किया था। इसके तहत ही दोनों पक्ष विश्व व्यापार संगठन में छह व्यापार विवादों का निपटारा करने पर सहमत हुए थे।

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