Wednesday, December 11, 2024
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म्यूचुअल फंड्स और स्टॉक ने बैंकों की नींद उड़ाई, रुठे निवेशक, गिरा डिपॉजिट और गड़बड़ हुआ CD रेशियो, जानें असर

बैंकिंग एक्सपर्ट का कहना है कि बैंकों में डिपॉजिट बढ़ाने के लिए नए ऑफर लाने होंगे। वैसे प्रोडक्ट लॉन्च करने होंगे जो ज्यादा रिटर्न देने में सक्षम हो। लोगों को अब म्यूचुअल फंड जैसा रिटर्न चाहिए।

Edited By: Alok Kumar @alocksone
Published : Aug 14, 2024 12:27 IST, Updated : Aug 14, 2024 12:27 IST
Bank Deposit down- India TV Paisa
Photo:FILE बैंक डिपॉजिट लुढ़का

कुछ साल पहले तक छोटे निवेशकों की पहली पसंद बैंकों की डिपॉजिट स्कीम हुआ करती थी। निवेशक अपनी जरूरत के मुताबिक, बैंकों के FD और स्मॉल सेविंग स्कीम में निवेश किया करते थे। लेकिन वक्त इतना तेजी से बदला कि अब बैंकों को भी यकीन नहीं हो रहा है। आज छोटे निवेशकों की पहली पसंद म्यूचुअल फंड और स्टॉक हो गए हैं। शहरों से लेकर गांवों के निवेश SIP के जरिये म्यूचुअल फंड में निवेश कर रहे हैं। 

इतना ही नहीं डीमैट खातों की संख्या 16 करोड़ के पार निकल गई है। युवा वर्ग जमकर सीधे शेयरों में पैसा लगा रहे हैं। इसका असर बैकों की डिपॉजिट पर हुआ। आम लोगों द्वारा बैंकों में कम पैसा जमा करने से डिपॉजिट गिरा है। इससे बैंकों का क्रेडिट-टू-डिपॉजिट (CD) रेशियो गड़बड़ हो गया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारणम और RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने बैंकों को डिपॉजिट सुधारने की सलाह दी है। आइए जानते हैं कि घटता डिपॉजिट बैंकों की सेहत के लिए कैसे सही नहीं है। इसका क्या असर आप पर पड़ सकता है?

बैंकों की जमा वृद्धि घटकर 10.6% रह गई

मौजूदा समय में भारतीय बैंकों को कठिन समय का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि शहरी निवेशक तेजी से म्यूचुअल फंड और स्टॉक जैसे उच्च रिटर्न देने वाले निवेशों की ओर आकर्षित हो रहे हैं, जिससे बैंकों के कम लागत वाले डिपॉजिट स्कीम में पैसा नहीं आ रहा है। शेयरों के प्रति आकर्षण इतना है कि देश के सबसे बड़े ऋणदाता, भारतीय स्टेट बैंक के प्रमुख को लगता है कि कैपिटल गेन टैक्स में बदलाव से भी डिपॉजिट में वृद्धि को बढ़ावा मिलने की संभावना नहीं है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा जारी आंकड़ों से पता चलता है कि 28 जून को समाप्त पखवाड़े के लिए वाणिज्यिक बैंकों की जमा वृद्धि और धीमी होकर 10.64 प्रतिशत हो गई।  

क्या कर्ज मिलने में होगी मुश्किल? 

बैंक भले ही कह रहे हैं कि अभी सबकुछ कंट्रोल में है लेकिन अमेरिकी रेटिंग एजेंसी एसएंडपी इससे सहमत नहीं है। S&P का मानना है कि घटते डिपॉजिट को देखते हुए बैकों को मजबूरन अपनी लोन ग्रोथ कम करनी पड़ सकती है। बैंक डिपॉजिट उस रफ्तार से नहीं बढ़ रहा। इससे क्रेडिट-टू-डिपॉजिट (CD) रेशियो गड़बड़ हो रहा है। मतलब कि लोग बैकों में ज्यादा पैसे नहीं जमा कर रहे हैं। हालांकि, जानकारों का कहना है कि अभी ऐसी स्थिति नहीं आई है। आरबीआई की नजर सभी बैंकों पर है। इस तरह के हालात बनने से पहले आरबीआई कदम उठा लेगा। 

बैंकों को  नए ऑफर लाने होंगे

बैंकिंग एक्सपर्ट का कहना है कि बैंकों में डिपॉजिट बढ़ाने के लिए नए ऑफर लाने होंगे। वैसे प्रोडक्ट लॉन्च करने होंगे जो ज्यादा रिटर्न देने में सक्षम हो। लोगों को अब म्यूचुअल फंड जैसा रिटर्न चाहिए। उसके लिए वो जोखिम लेने को भी तैयार हैं। बैंक में लोग इसलिए भी पैसा जमा करने से बच रहे हैं कि टैक्स चुकाने और महंगाई को एडजस्ट करने के बाद बैंकों से मिलने वाला रिटर्न बहुत कम रह जाता है। बैंकों के पास डिपॉजिट बढ़ाने के लिए ज्यादा ब्याज देने के अलावा दूसरा रास्ता नहीं है।

बैंक लाएं आकर्षक डिपॉजिट स्कीम

बैंकों में घटते डिपॉजिट को पूरा करने के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बैंकों को आकर्षक सेविंग स्कीम लाने की सलाह दी है। सीतारमण ने कहा, जमा और उधार एक गाड़ी के दो पहिए हैं और जमा धीरे-धीरे रही है। उन्होंने कहा कि बैंकों को कोर बैंकिग यानी मुख्य कारोबार पर ध्यान देने की जरूरत है। इसमें जमा राशि जुटाना और जिन्हें कोष की जरूरत है, उन्हें कर्ज देना शामिल है। 

ब्याज बढ़ाने के लिए बैंक स्वतंत्र 

हाल ही में आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने RBI के केंद्रीय निदेशक मंडल के सदस्यों की बैठक में कहा था कि बैंक ब्याज दरें तय करने के लिए स्वतंत्र हैं। उन्होंने कहा कि बैंक बढ़ती लोन की मांगों को पूरा करने के लिए शॉर्ट टर्म, नॉन-रेटेल डिपॉजिट और अन्य वित्तीय साधनों पर तेजी से निर्भर हो रहे हैं। दास ने चेतावनी दी कि इस निर्भरता से बैंकिंग सिस्टम में संभावित तरलता की समस्याएं पैदा हो सकती हैं। ऐसे में उन्होंने कहा कि बैंक इनोवेटिव तरीके अपनाएं। साथ ही बैंक अपने नेटवर्क का लाभ उठाकर घरेलू वित्तीय बचत को जुटाने पर अधिक ध्यान केंद्रित कर सकते हैं। इस दौरान उन्होंने भी बैंकिंग क्षेत्र में जमा-उधार के बीच असंतुलन के बारे में चिंता जताई।

बैंक में जमा गिरा: दोष किसे देना चाहिए?

जानकारों का कहना है कि बैंकों में जमा गिरने के लिए आम लोगों को दोषी नहीं ठहराया जा सकता क्योंकि वे केवल वहीं पैसा जमा करेंगे जहां उन्हें सबसे ज़्यादा ‘रिटर्न’ मिलेगा। वाणिज्यिक बैंकों के लिए, CASA (चालू खाता बचत खाता) अनुपात FY22 में 45% से गिरकर FY24 में 41% हो गया है। बैंकर्स और विश्लेषक टर्म डिपॉजिट पर ब्याज दरों के बीच बढ़ती असमानता की ओर इशारा करते हैं। CASA अनुपात बैंकों के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह कम लागत वाली, स्थिर जमाराशियों की हिस्सेदारी को मापता है, जो उनके फंड की कुल लागत को कम करता है। उच्च CASA अनुपात ऋण पर अर्जित ब्याज और जमाराशियों पर दिए गए ब्याज के बीच अंतर को बढ़ाकर लाभप्रदता को बढ़ाता है।

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