
आरबीआई ने न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक के खिलाफ कार्रवाई बैंक कर्मचारियों द्वारा धन की हेराफेरी के आरोपों के कारण की। सूत्रों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। मुंबई स्थित इस बैंक के 1.3 लाख जमाकर्ताओं में 90 प्रतिशत से अधिक के खातों में पांच लाख रुपये तक जमा हैं। ऐसे में वे जमा बीमा के माध्यम से अपना पूरा धन हासिल कर सकेंगे। सूत्रों के अनुसार, भारतीय रिजर्व बैंक ने न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक के खातों की जांच में कुछ खामियां पाई थी। इसके बाद बैंक के मुख्य अनुपालन अधिकारी (सीसीओ) ने गुरुवार को मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा से संपर्क किया। उन्होंने कहा कि यह मामला बैंक के कुछ कर्मचारियों द्वारा धन के दुरुपयोग से जुड़ा है, हालांकि उन्होंने कुल राशि या इसमें शामिल लोगों की पहचान का खुलासा नहीं किया।
6 महीने के लिए लगाया बैन
आरबीआई ने गुरुवार को न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक पर कई प्रतिबंध लगाए थे, जिसमें जमाकर्ताओं द्वारा धन की निकासी भी शामिल है। रिजर्व बैंक के निर्देश छह महीने के लिए लागू रहेंगे। आरबीआई ने कहा, ''बैंक की मौजूदा नकदी स्थिति को देखते हुए निर्देश दिया गया है कि वह जमाकर्ता के बचत बैंक या चालू खातों या किसी अन्य खाते से किसी भी राशि की निकासी की अनुमति न दे।'' बैंक कर्मचारियों के वेतन, किराए और बिजली के बिल जैसी कुछ आवश्यक मदों के संबंध में व्यय कर सकता है।
बोर्ड को किया भंग
आरबीआई ने न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स को 12 महीने के लिए भंग कर दिया है। आरबीआई ने एसबीआई के पूर्व चीफ जनरल मैनेजर श्रीकांत को इस अवधि के दौरान बैंक का प्रशासक नियुक्त किया है। भारतीय रिजर्व बैंक ने प्रशासक को असिस्ट करने के लिए एक एडवाइजर्स की कमेटी भी गठित की है। एडवाइजर्स की कमेटी में जो सदस्य हैं, उनमें एसबीआई के पूर्व जनरल मैनेजर रविंद्र सपरा और अभिजीत देशमुख (सीए) शामिल हैं।