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फिच रेटिंग ने भारती एयरटेल को नकारात्मक निगरानी सूची से हटाया, 'बीबीबी-' रेटिंग को रखा बरकरार

साख निर्धारण एजेंसी फिच रेटिंग्स ने भारती एयरटेल को नकारात्मक निगरानी सूची से हटा दिया और स्थिर परिदृश्य के साथ उसकी 'बीबीबी-' रेटिंग को बरकरार रखा है।

Written by: India TV Business Desk
Published : February 21, 2020 7:26 IST
Bharti Airtel, Fitch Ratings, India- India TV Paisa

Fitch Ratings takes Bharti Airtel off watch negative, affirms BBB- rating

नयी दिल्ली। साख निर्धारण एजेंसी फिच रेटिंग्स ने भारती एयरटेल को नकारात्मक निगरानी सूची से हटा दिया और स्थिर परिदृश्य के साथ उसकी 'बीबीबी-' रेटिंग को बरकरार रखा है। रेटिंग एजेंसी ने एक बयान में कहा, 'स्थिर परिदृश्य का कारण जनवरी 2020 में 2 अरब डॉलर की इक्विटी पूंजी डालना और मार्च 2020 को समाप्त वित्त वर्ष और 2020- 21 के दौरान ब्याज, कर, मूल्य ह्रास और संपत्ति लागत कटौती से पहले होने वाली कमाई (ईबीआईटीडीए) में वृद्धि के साथ यह सांविधिक 4.9 अरब डॉलर के बकाये के भुगतान के मद्देनजर कर्ज बढ़ोतरी के प्रभाव से निपटने के लिये पर्याप्त होगी।' 

उच्चतम न्यायालय के सांविधिक बकाया और भुगतान समयसारणी मामले में दूरसंचार कंपनियों की याचिका खारिज करने के बाद भारती एयरटेल ने 17 फरवरी को दूरसंचार विभाग को 10,000 करोड़ रुपए का भुगतान किया। न्यायालय ने अक्टूबर में सकल समायोजित आय के बारे में दूरसंचार विभाग के पक्ष में फैसला सुनाया था और कंपनियों को लाइसेंस शुल्क और स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क पर बकाये का भुगतान करने को कहा। दूरसंचार विभाग की मांग एजीआर की परिभाषा के संदर्भ में 14 साल पुराने विवाद से जुड़ी है। इस बारे में उच्चतम न्यायालय ने सहमति जताते हुए कहा कि शुल्क निर्धारण में दूरसंचार कंपनियों की सभी प्रकार की आय को शामिल किया जाना चाहिए। 

फिच ने कहा, 'नकरात्मक निगरानी रेटिंग को कंपनी की सभी रेटिंग से हटा लिया गया है।' कंपनी के 2 अरब डॉलर (14,000 करोड़ रुपये से अधिक) की इक्विटी पूंजी डाले जाने से सांवधिक बकाये के कारण बही-खाते पर दबाव कम हुआ है। भारती ने यह भी कहा कि वह निवेश स्तर की रेटिंग के लिये प्रतिबद्ध है। भारती ने राइट इश्यू और अफ्रीकी अनुषंगी इकाई में हिस्सेदारी बेचकर करीब 7.6 अरब डॉलर जुटाआ है। फिच के अनुसार, 'हमारा अनुमान है कि भारती का एकीकृत ईबीआईटीडीए में 2019-20 और 2020- 21 में 20 से 25 प्रतिशत की वृद्धि होगी। इसका कारण भारत के मोबाइल बाजार में प्रतिस्पर्धा कम होना और अफ्रीका बाजारों में मजबूत वृद्धि होना है।'

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