नई दिल्ली। सोने की खरीदारी और कारोबार को पारदर्शी बनाने के लिए सरकार तेजी से काम कर रही है। केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के संयुक्त सचिव मनोज कुमार द्विवेदी ने कहा कि सरकार का उद्देश्य सोने के उद्योग को अधिक पारदर्शी बनाना है। हमें पारदर्शिता के मापदंड को अधिक पारदर्शी बनाने के लिए बहुत कुछ करने की जरूरत है। द्विवेदी उद्योग मंडल एसोचैम द्वारा 10वें अंतर्राष्ट्रीय गोल्ड सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे।
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उन्होंने कहा कि सरकार बाजार में सोने की उपलब्धता को सुलभ बनाने, कारोबार आसान बनाने और वित्तीय सहयोग के तरीकों पर विचार कर रही है। इसी तरह उपभोक्ता मोर्चे पर सोने की गुणवत्ता और मानक सुनिश्चित करने और इसकी कीमत में पारदर्शिता बरतने पर विचार कर रही है। सोने के बजाय अन्य वित्तीय उत्पादों की ओर ग्राहकों का ध्यान ले जाने के सरकार के भरसक प्रयासों के बावजूद लोग अभी भी सोने में भारी निवेश कर रहे हैं।
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डब्ल्यूजीसी के प्रबंध निदेशक सोमसुंदरम पीआर ने कहा, “हम हर साल 900 टन सोने का आयात करते हैं। भारत में 100 करोड़ डॉलर के मूल्य का 24,000 टन का सोने का भंडार है।” भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर सी.रंगराजन ने कहा कि सरकार द्वारा पेश की गई सोने की कई योजनाओं के बावजूद लोग अभी भी सोना खरीद रहे हैं। उन्होंने कहा, “लोग काले धन को छिपाने के लिए सोना खरीदते हैं। सोने के लेनदेन को पारदर्शी होना चाहिए।” रंगराजन ने सोने की अधिक खरीदारी के लिए उसे पैन कार्ड से जोड़ने के सरकार के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि सोने पर तीन फीसदी जीएसटी बहुत कम है और इसका विरोध नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, “यह पूरी तरह से न्यायोचित है।”



































