
Why Share Market Crash Today : भारतीय शेयर बाजार में बिकवाली का दबाव बढ़ता ही जा रहा है। निफ्टी-50 और सेंसेक्स अपने उच्च स्तर से 16% टूट चुके हैं। सेंसेक्स आज 1414 अंक की जबरदस्त गिरावट के साथ 73,198 पर बंद हुआ। वहीं, निफ्टी 422 अंक गिरकर 22,122 पर बंद हुआ। धीमी आर्थिक वृद्धि, कंपनियों की सुस्त कमाई, ट्रम्प की टैरिफ पॉलिसी और विदेशी निवेशकों की लगातार बिकवाली जैसे कारणों से शेयर बाजार में भारी गिरावट दर्ज की गई है। निवेशक दिसंबर तिमाही के जीडीपी डेटा पर भी बारीकी से नजर रख रहे हैं, जो शुक्रवार शाम जारी होगा। आइए जानते हैं कि आज आई इस बड़ी गिरावट के पीछे क्या कारण हैं।
टैरिफ पर ट्रंप के रुख को लेकर अनिश्चितता
ट्रंप ने गुरुवार को घोषणा की है कि कनाडा और मेक्सिको से आने वाले सामान पर 25% टैरिफ 4 मार्च से लागू हो जाएगा। पहले यह टैरिफ 2 अप्रैल से लागू होना था। इसके अलावा ट्रंप ने चीनी सामानों पर 10% ड्यूटी लगाई है और यूरोपीय यूनियन से आने वाले शिपमेंट पर 25% टैरिफ के वादे को दोहराया है। व्यापार नीतियों को लेकर इस अनिश्चितता से भारतीय बाजार में अस्थिरता देखने को मिल रही है।
आईटी शेयरों पर है दबाव
शुक्रवार को वर्ल्ड स्टॉक्स गिरकर 4 हफ्ते के निचले स्तर पर आ गए हैं। दिग्गज एआई कंपनी Nvidia और दूसरे "मैग्निफिसेंट सेवन" वॉल स्ट्रीट मेगा-कैप शेयरों में भारी गिरावट के बाद टेक्नोलॉजी स्टॉक्स को अतिरिक्त झटका लगा है। इसका असर घरेलू बाजार पर भी पड़ा। निफ्टी आईटी इंडेक्स में आज सबसे अधिक 4.2 फीसदी गिरावट दर्ज की गई है। टेक महिंद्रा, विप्रो और Mphasis 5% से 6.5% तक गिरकर सबसे बड़े नुकसान उठाने वाले स्टॉक्स में शामिल थे।
बढ़ता डॉलर इंडेक्स
ट्रेड वॉर की बढ़ती चिंताओं ने निवेशकों के सेंटीमेंट को प्रभावित किया है, जिससे अमेरिकी डॉलर प्रमुख करेंसीज की तुलना में कई हफ्तों के उच्च स्तर पर पहुंच गया है। यूएस डॉलर इंडेक्स शुक्रवार को 107.36 पर पहुंच गया। एक मजबूत डॉलर भारत जैसे उभरते बाजारों के लिए नकारात्मक संकेत है, क्योंकि यह विदेशी निवेश को महंगा बनाता है, जिससे शेयर बाजारों से पूंजी का आउटफ्लो होता है।
लगातार FII की बिकवाली
NSDL डेटा के अनुसार, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने 2025 में अब तक शुद्ध आधार पर 1,13,721 करोड़ रुपये के भारतीय शेयर बेचे हैं। फरवरी में अब तक, एफआईआई ने 47,349 करोड़ रुपये के भारतीय शेयर बेचे हैं। जबकि डीआईआई ने 52,544 करोड़ रुपये की शुद्ध खरीदारी की है।
हायर लेवल्स पर फंसे हैं DII
प्रोफिटमार्ट सिक्योरिटीज के अविनाश गोरक्षकर के अनुसार, एफआईआई भारतीय बाजारों में लगातार बिकवाली कर रहे हैं। फिर भी डीआईआई यानी घरेलू संस्थागत निवेशक उस तरह से आगे नहीं आ रहे हैं, जैसे हम पहले देखते थे। एफआईआई की बिक्री को डीआईआई द्वारा चुनौती न देने का एक प्रमुख कारण हाई लेवल्स पर फंसे होना है। डीआईआई उच्च स्तर पर फंसे हुए हैं, इसलिए जब तक उन्हें बाजारों की स्पष्ट तस्वीर नहीं मिल जाती, तब तक वे अपनी पोजीशन बदलने की जल्दी में नहीं हैं।