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Small savings schemes Interest Rate : PPF और SSY जैसी छोटी बचत योजनाओं पर कितना मिलेगा ब्याज? सरकार ने लिया फैसला

Small savings schemes Interest Rate : स्मॉल सेविंग स्कीम्स में पीपीएफ, सुकन्या समृद्धि योजना, पोस्ट ऑफिस आरडी, महिला समृद्धि सेविंग सर्टिफिकेट, किसान विकास पत्र, नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट और सीनियर सिटीजन सेविंग स्कीम जैसी योजनाएं आती हैं।

Written By: Pawan Jayaswal
Published : Jun 28, 2024 18:38 IST, Updated : Jun 28, 2024 18:38 IST
स्मॉल सेविंग स्कीम्स- India TV Paisa
Photo:FILE स्मॉल सेविंग स्कीम्स

Small savings schemes Interest Rate : सरकार ने जुलाई से सितंबर 2024 तक की अवधि के लिए स्मॉल सेविंग स्कीम्स की ब्याज दरें तय कर दी हैं। सरकार ने इन योजनाओं की ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया है। यानी निवेशकों को पुरानी ब्याज दरें ही ऑफर होती रहेंगी। स्मॉल सेविंग स्कीम्स में पीपीएफ, सुकन्या समृद्धि योजना, पोस्ट ऑफिस आरडी, महिला समृद्धि सेविंग सर्टिफिकेट, किसान विकास पत्र, नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट और सीनियर सिटीजन सेविंग स्कीम जैसी योजनाएं आती हैं।  सरकार हर तिमाही के लिए इन योजनाओं की ब्याज दरें तय करती हैं।

जुलाई से सितंबर तक ये रहेंगी ब्याज दरें

  • पीपीएफ - पीपीएफ पर ब्याज दर 7.1% है।
  • एससीएसएस - वरिष्ठ नागरिक बचत योजना (एससीएसएस) 8.2% की ब्याज दर प्रदान करती है।
  • सुकन्या योजना - सुकन्या समृद्धि योजना के तहत जमा राशि पर 8.2% की ब्याज दर मिलती है।
  • एनएससी - एनएससी का मतलब नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट से है, जो 7.7% की ब्याज दर प्रदान करता है।
  • पोस्ट ऑफिस-मंथली इनकम स्कीम - पोस्ट ऑफिस मंथली इनकम स्कीम  7.4% की ब्याज दर प्रदान करती है।
  • किसान विकास पत्र - किसान विकास पत्र (KVP) एक सरकार समर्थित बचत योजना है, जो वर्तमान में 7.5% की ब्याज दर प्रदान करती है।
  • 1-ईयर डिपॉजिट - 1-साल के डिपॉजिट पर ब्याज दर 6.9% है।
  • 2-ईयर डिपॉजिट - 2-ईयर डिपॉजिट के लिए ब्याज दर 7.0% है।
  • 3-ईयर डिपॉजिट - 3-ईयर डिपॉजिट के लिए ब्याज दर 7.1% है।
  • 5-ईयर डिपॉजिट - 5-ईयर डिपॉजिट में ब्याज दर 7.5% है।
  • 5-ईयर आरडी - 5-ईयर आरडी स्कीम में ब्याज दर 6.7% है।

पहले भी नहीं किया था बदलाव

सरकार ने अप्रैल-जून तिमाही में इन योजनाओं की ब्याज दरों को यथावत रखा था। अगर ब्याज दर में बढ़ोतरी होती, तो यह घरलू बचत को प्रोत्साहित करने का संकेत होता, जो कि पिछले कुछ वर्षों से सुस्त पड़ी है। हालांकि, सरकार को यह भी देखना होता है कि उसके पास उच्च ब्याज भुगतान को मैनेज करने की कितनी क्षमता है। एक्सपर्ट्स के अनुसार, वैश्विक स्थिति को भी देखना होता है। क्योंकि अधिकतर देशों ने जमा पर अभी भी अपेक्षाकृत कम ब्याज दरें रखी हुई हैं। भारत ब्याज दरों में अच्छा-खासा इजाफा करता, तो इससे देश को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर नुकसान हो सकता था।

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