केंद्र सरकार ने देश में वनस्पति तेल आयात को काबू करने के लिए जो उपाय किए थे वह सभी असफल होते नजर आ रहे हैं। तमाम उपायों के बावजूद वनस्पति तेल आयात घटने के बजाय बढ़ रहा है। अप्रैल के दौरान देश में वनस्पति तेल आयात 7 महीने के ऊपरी स्तर तक पहुंच गया है। सरकार ने किसानों के हितों की रक्षा के लिए वनस्पति तेल आयात कम करने के लिए तेल और तिलहन पर भारी आयात शुल्क लगाया था।
देश में खाने के तेल की जरूरत आयात से पूरी होती है, ऐसे में आयात घटने की वजह से खाने के तेल की कीमतों में बढ़ोतरी की आशंका हो गई है
केंद्र सरकार ने किसानों की तिलहन का अच्छा दाम दिलाने के लिए सभी वनस्पति तेल और तिलहन पर आयात शुल्क में बढ़ोतरी की थी लेकिन इसके बावजूद आयात बढ़ा है
आयात शुल्क से सरकार को जो कमाई होगी उसके कुछ हिस्से का इस्तेमाल तिलहन विकास फंड के तौर पर इस्तेमाल करने की मांग
थोक मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई नवंबर में बढ़कर 3.93 प्रतिशत पर पहुंच गई है। प्याज और अन्य सब्जियों के दाम बढ़ने से महंगाई में इजाफा हुआ है।
वनस्पति तेल पर आयात शुल्क बढ़ने के बावजूद नवंबर में 7 प्रतिशत ज्यादा वनस्पति तेल का आयात हुआ है
अक्टूबर में खत्म हुए ऑयल वर्ष 2016-17 के दौरान देश में 150.77 लाख टन खाने के तेल का आयात हुआ है जो अबतक का सबसे अधिक वार्षिक आयात है
थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति आगामी महीनों में और नीचे आएगी। 2018 में यह औसतन 2.8 प्रतिशत पर रहेगी। नोमूरा ने यह अनुमान जताया गया है।
केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को तेल और तिलहन पर स्टॉक लिमिट लगाने के अधिकार से सितंबर 2018 तक अधिकृत कर दिया है
थोक मूल्य आधारित महंगाई दर में पांच महीने के बाद पहली बार इजाफा देखने को मिला है। इसकी प्रमुख वजह खाने-पीने की चीजों की कीमतों का बढ़ना है।
सरकार ने आज यह स्पष्ट किया कि धार्मिक संस्थानों द्वारा संचालित अन्न क्षेत्र में दिए जाने वाले मुफ्त भोजन को जीएसटी के दायरे से बाहर रखा गया है।
सरकार ने गुरुवार को कहा कि एक जुलाई से जीएसटी व्यवस्था लागू हो जाने के बाद खाद्यान्न, आटा, दूध, सब्जियां और फल पांच प्रतिशत तक सस्ते हो जाएंगे।
तमिलनाडु सरकार ने वैट में बड़े बदलाव के किए है। राज्य में पेट्रोल 3.78 रुपए महंगा हो गया है। वहीं, डीजल में 1.70 रुपए प्रति लीटर की बढ़ोतरी हुई है।
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में किफायती दाम पर ताजे फल और सब्जियां उपलब्ध कराने के लिए वेजिटेबल मार्ट ने अपना पहला स्टोर गाजियाबाद के इंद्रापुरम में खोला।
जनवरी में थोक महंगाई दर बढ़कर 30 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है। दिसंबर के मुकाबले जनवरी में थोक महंगाई दर 3.39 फीसदी से बढ़कर 5.25 फीसदी हो गई।
सब्जियों, दालों और दूसरे खाने-पीने की चीजों में आई नरमी से रिटेल महंगाई दर घटकर 3.17 फीसदी पर आ गई है। दिसंबर 2016 में सीपीआई 3.41 फीसदी पर थी।
राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड द्वारा जारी किए गए आंकड़े दर्शाते हैं कि महाराष्ट्र के एपीएमसी में नवंबर माह के दौरान सब्जियों की कीमतों में भारी गिरावट आई।
नवंबर में थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई दर (डब्ल्यूपीआई) लगातार तीसरे महीने गिरकर 3.15 फीसदी पर आ गई है। अक्टूबर में थोक महंगाई दर 3.39 फीसदी थी।
अक्टूबर में थोक मुद्रास्फीति की दर घटकर 3.39 प्रतिशह रही, यह लगातार दूसरा महीना है जब थोक महंगाई दर में गिरावट दर्ज की गई है।
सब्जियों के साथ अन्य खाद्य वस्तुओं के दामों में कमी से सितंबर माह में थोक मुद्रास्फीति घटकर 3.57 प्रतिशत पर आ गई है। अगस्त में यह 3.74 प्रतिशत पर थी।
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