Sunday, April 28, 2024
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नवजोत सिंह सिद्धू ने पंजाब और दिल्ली सरकार की एक्साइज पॉलिसी पर उठाए सवाल

दिल्ली और पंजाब में आम आदमी पार्टी सरकार द्वारा लाई गई शराब पॉलिसी को लेकर जारी विवाद में अब नवजोत सिंह सिद्धू की एंट्री हो गई है। उन्होंने सरकार की एक्साइज पॉलिसी पर सवाल खड़े किए हैं।

Reported By : Puneet Pareenja Edited By : Amar Deep Updated on: November 02, 2023 17:59 IST
नवजोत सिंह सिद्धू ने दिल्ली और पंजाब की सरकारों पर लगाए आरोप।- India TV Hindi
Image Source : PTI नवजोत सिंह सिद्धू ने दिल्ली और पंजाब की सरकारों पर लगाए आरोप।

चंडीगढ़ : पंजाब और दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार की एक्साइज पॉलिसी को लेकर पंजाब प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा कि वो इसे चोरी और सीनाजोरी का नाम देते हैं। ये बड़ी चोरी है और इसे सही ठहराने की कोशिश में सीनाजोरी की जा रही है। दिल्ली में आम आदमी पार्टी ने यह कहकर सरकार बनाई थी कि स्कूल, कॉलेज और धार्मिक स्थानों के आगे शराब नहीं बेचेंगे। जब ये एक्साइज पॉलिसी आयी तो महज ढाई से तीन महीने ही चली और फिर इसे वापिस ले लिया गया। जब कोई पॉलिसी वापिस ली जाती है तो साफ है कि दाल में काला है। अगर ये जनहित में थी तो वापिस क्यों ली गई। यही एक्साइज पॉलिसी पंजाब में लागू हुई और अब भी जारी है।

सिद्धू ने कहा कि ये एक्साइज चोरी करीब 30 से 40 हजार करोड़ रुपए की है। इस पॉलिसी से एक साल पहले दिल्ली में 7860 करोड़ रुपए की शराब की सेल थी। इसमें से एक्साइज का मुनाफा 3378 करोड़ रुपए था। जब पॉलिसी लागू की गई तो 13 हजार 500 करोड़ रुपए की सेल हुई। इसमें स्टेट को 312 करोड़ रुपए मिले।

शराब ठेकेदारों के दबाव में आ गए मुख्यमंत्री

पंजाब की एक्साइज पॉलिसी के बारे में सिद्धू ने कहा कि आम आदमी पार्टी की सरकार बनने पर शराब की बिक्री के लिए कॉर्पोरेशन बनाने की बात की गई थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। मुख्यमंत्री शराब के ठेकेदारों के दबाव में आ गए। जिन राज्यों में शराब की बिक्री के लिए कॉर्पोरेशन हैं, उनमें तमिलनाडू एक साल में 44098 करोड़ रुपए, कर्नाटक 29920 करोड़ रुपए, तेलंगाना 31 हजार करोड़ रुपए, केरल 16 हजार करोड़ रुपए कमाते हैं। इसके विपरीत पंजाब महज चार से साढ़े चार हजार करोड़ रुपए कमाता है। 

राज्य में 2600 ठेके
उन्होंने कहा कि अगर पंजाब सरकार कॉर्पोरेशन बनाकर शराब की बिक्री करेगी तो राजस्व बढ़ेगा, जिससे सारा कर्ज ही माफ हो जाएगा। राज्य में 2600 ठेके हैं। एक साल के 3500 करोड़ रुपए शराब के ठेकों की लाइसेंस फीस से ही जुट जाते हैं, लेकिन इनका कोई हिसाब नहीं। पंजाब में ठेकेदारी सिस्टम है तो सरकार अपनी मर्जी से एल-1 के लाइसेंस जारी करती है।

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