
Shani Pradosh 2025: हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। यह दिन भगवान शिव को समर्पित है। प्रदोष के दिन जो भी भक्त व्रत कर भोलेनाथ की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करता है उसे मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है। प्रत्येक महीने के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत करने का विधान है। इस बार प्रदोष व्रत 24 मई, शनिवार को रखा जाएगा। बता दें कि प्रदोष व्रत सप्ताह के जिस दिन पड़ता उसका नाम भी उसी के हिसाब से होता है। इस बार प्रदोष व्रत शनिवार के दिन रखा जाएगा इसलिए इसे शनि प्रदोष कहा जाएगा। शनि प्रदोष के दिन महादेव के साथ ही शनि देव की भी पूजा की जाती है। शनि प्रदोष के दिन इन कामों को करने से व्यक्ति को ढैय्या और साढ़ेसाती जैसे दोषों से छुटकारा मिलता है।
शनि प्रदोष के दिन करें ये काम
1. शनि प्रदोष के दिन सुबह के समय पीपल पेड़ में जल अर्पित करें और पूजा के बाद 11 बार परिक्रमा भी करें। इसके बाद शाम के समय पीपल पेड़ के नीचे सरसों तेल का दीया भी जरूर जलाएं। ऐसा करने से शनि ढैय्या और साढ़ेसाती जैसे दोष से मुक्ति मिलती है।
2. शनि प्रदोष के दिन गरीब और जरूरतमंदों को काला तिल, काली उड़द, सरसों का तेल, वस्त्र, कंबल और लोहे के सामान का दान करें। इन चीजों का दान करने से व्यक्ति को शनि देव की विशेष कृपा प्राप्त होती है। साथ ही शनि मंदिर में शनि देव से जुड़ी चीजों का दान करें।
3. शनि प्रदोष के दिन व्रत रख कर भगवान शिव की विधिपूर्वक पूजा करें। साथ ही महामृत्युंजय मंत्र का जप और शिव चालीसा का पाठ भी करें। महादेव की पूजा करने से भी ढैय्या और साढ़ेसाती का अशुभ प्रभाव कम होता है।
4. शनि प्रदोष के दिन शनि चालीसा, शनि स्तोत्र का पाठ करें। सात ही शनि देव को सरसों का तेल, नीला फूल और काला तिल चढ़ाएं। इस उपाय को करने से व्यक्ति पर शनि देव की कृपा दृष्टि बरसती है।
5. शनि प्रदोष के दिन काली गाय, कौवा और कुत्ते को रोटी खिलाएं। ऐसा करने से शनि देव प्रसन्न होते हैं और जातक को साढ़ेसाती, ढैय्या जैसे शनि दोष से छुटकारा मिलता है।
शनि प्रदोष मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि का आरंभ 24 मई को शाम 7 बजकर 20 मिनट पर होगा। त्रयोदशी तिथि समाप्त 25 मई को दोपहर 3 बजकर 51 मिनट पर होगा। त्रयोदशी के दिन प्रदोष काल के समय भगवान शंकर की पूजा का विधान है। बता दें कि सूर्यास्त के ठीक बाद वाले समय और रात्रि के प्रथम प्रहर को प्रदोष काल कहा जाता है। तो शनि प्रदोष के दिन प्रदोष काल में भगवान शिव के साथ शनि देव की पूजा जरूर करें। ऐसा करने से आपको जल्द साढ़ेसाती और शनि ढैय्या से छुटकारा मिल जाएगा।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)
ये भी पढ़ें-