
13 जनवरी से शुरू हुआ प्रयागराज के महाकुंभ अब धीरे-धीरे अपने समापन की ओर बढ़ रहा है। लाखों लोग रोजाना महाकुंभ में स्नान कर रहे हैं, 13 फरवरी से अब तक महाकुंभ में 53 करोड़ से अधिक लोग स्नान कर चुके हैं। महाकुंभ के दौरान संगम का स्नान अत्यंत शुभ माना गया है। धार्मिक मान्यताओं की मानें तो महाकुंभ के दौरान गंगा और अन्य पवित्र नदियों के संगम में स्नान करने से पाप धुल जाते हैं और मृत्यु पश्चात मोक्ष की प्राप्ति होती है।
कब होगा समापन?
माना जाता है कि महाकुंभ में विधिपूर्वक स्नान करने से अश्वमेध यज्ञ के समान पुण्यफलों की प्राप्ति होती है। महाकुंभ का आरंभ पौष पूर्णिमा को हुआ था, जो फाल्गुन माह की चतुर्दशी को खत्म होगा यानी कि 26 फरवरी को महाशिवरात्रि के दिन होगा। इस दिन स्नान का शुभ समय ब्रह्म मुहूर्त में प्रातः 05.09 से 05.59 बजे तक है, गोधूलि मुहूर्त शाम 06.16 बजे से शाम 06.42 बजे तक है। वही, निशिता मुहूर्त रात्रि 12.09 से 12.59 बजे तक रहेगा।
पवित्र स्नान के नियम
महाकुंभ में स्नान के दौरान जातक को गंगा में पैर डालने से पहले मां को प्रणाम करना चाहिए। फिर 5 बार पवित्र डुबकी लगानी चाहिए। इसके बाद मां गंगा को प्रणाम करें और सूर्य देव व अपने पितरों को जल दें। इसके बाद मां गंगा की धूप आरती करें। इसके बाद श्रद्धानुसार गरीबों व जरुरतमंद अन्न व धन का दान करना चाहिए। मान्यता है कि दान करने से जातक के जीवन में कभी भी किसी चीज की कमी नहीं रहेगी।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)
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