महाशिवरात्रि इस बार 26 फरवरी की तारीख को मनाई जाएगी, इसे लेकर देश के सभी बड़े मंदिरों शिव भगवान की विशेष पूजा-आराधना की जाएगी। मान्यता है कि महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव निराकार से साकार रूप में अवतरित हुए थे यानी कि वे शिवलिंग रूप में प्रकट हुए थे। इसके बाद ब्रह्मा और भगवान विष्णु ने निशित काल में पूजा की थी। इसके अलावा, इसी तिथि पर शिव-शक्ति एक हुए थे यानी कि भगवान शिव और मां पार्वती का विवाह हुआ था। इसी के बाद से फाल्गुन माह की कृष्ण पक्ष चतुर्दशी तिथि पर महाशिवरात्रि मनाई जाती है।
इस दिन काशी, उज्जैन, वैद्यनाथ धाम, नासिक समेत सभी शिव मंदिरों में शिव बारात निकाली जाती है और रात्रि पहर की पूजा की जाती है। साथ ही पूजा के दौरान ही पुजारी तीन बार शिवलिंग के सामने ताली भी बजाता है। अक्सर लोग जलाभिषेक और पूजा के दौरान ताली बजाना भूल जाते हैं, ऐसे में उनकी पूजा अधूरी मानी जाती है। ऐसे में आइए जानते हैं कि पूजा के दौरान ताली क्यों बजानी चाहिए?
क्यों बजानी चाहिए ताली?
कहा जाता है कि महाशिवरात्रि पर ही नहीं सामान्य दिनों में भी शिव मंदिर में पूजा करने के बाद शिवलिंग के सामने ताली जरूर बजाना चाहिए, इसके अलग-अलग अर्थ होते हैं। तीन बार ताली बजाने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं। शास्त्रों के मुताबिक, पहली ताली का अर्थ है भोलेनाथ के सामने अपनी उपस्थिति दर्ज कराना। दूसरी ताली का अर्थ है अपनी मनोकामना भगवान शिव तक पहुंचाना ताकि आपके जीवन की दुख वह हर लें। तीसरी ताली का मतलब होता है भगवान शिव से क्षमा याचना करना कि आपसे जो भी भूल हुई हो वह माफ करें और आपको अपनी शरण में बनाएं रखें।
रावण और राम ने बजाई थी ताली
जानकारी दे दें कि शिव मंदिर में तीन बार ताली जरूर बजानी चाहिए, इससे भगवान आपकी हर इच्छा पूरी करते हैं। कहा जाता है कि सबसे पहले शिवलिंग के सामने लंकापति रावण ने ताली बजाई थी, जिसके बाद भगवान शिव ने उन्हें सोने के लंका दान में दे दी थी। इसके अलावा, भगवान राम ने रामेश्वरम में भगवान शिव के सामने भी तीन बार ताली बजाई थी।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)
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