13 जनवरी की पौष पूर्णिमा को शुरू हुआ महाकुंभ अब धीरे-धीरे अपने समापन की ओर बढ़ रहा है। महाकुंभ में स्नान और दान का काफी महत्व है। इस भव्य समागम में अब तक कुल 57 करोड़ लोगों ने स्नान कर लिया है और ये आकंड़ा अभी भी लगातार बढ़ रहा है। 26 फरवरी को महाकुंभ का आखिरी स्नान है। धार्मिक मान्यता है कि महाकुंभ के दौरान स्नान करने से जातक के पापों का नाश हो जाता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। ऐसे में आइए जानते हैं कि संगम के जल में स्नान के दिन कैसे देवों को प्रसन्न करें?
वरुण देव हैं जल के देव
हिंदू धर्म में हर चीज किसी न किसी देवता से जुड़ी हुई है। ऐसे में जल के देवता और समुद्र के अधिपति वरुण देव को माना गया है। धार्मिक ग्रंथों की मानें तो वरुण देव धरती पर सभी जल स्त्रोतों की शुद्धता बनाए रखते हैं। वरुण देव की ही कृपा से जातक को स्नान के बाद मानसिक और शारीरिक शांति की प्राप्ति होती है, इस कारण महाकुंभ के पवित्र स्नान से पहले वरुण देव की पूजा करना बेहद जरूरी माना गया है। वहीं, मां गंगा को शास्त्रों में मोक्ष दायनी के नाम से पुकारा गया और जल में ही भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार लिया था।
इस पूजा विधि से करें प्रसन्न
महाकुंभ में स्नान से पहले श्रद्धालुओं को गंगाजल लेकर वरुण देव का ध्यान करना चाहिए। फिर मां गंगा का ध्यान करना चाहिए और इसके बाद भगवान विष्णु व महादेव का भी ध्यान करना चाहिए। ध्यान करने के लिए जातक को स्नान से पहले तांबे के पात्र में जल लेकर उसमें फूल, चंदन और तुलसी का पत्ता डालना चाहिए, फिर वरुण देव, मां गंगा, भगवान विष्णु और भोलेनाथ का ध्यान करना चाहिए। ध्यान के दौरान ओम वरुणाय नम:, गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती, नर्मदे सिन्धु कावेरी जले अस्मिन् सन्निधिम् कुरु।।, ओम नमो नारायणाय नमः और ओम नम: शिवाय का जप करना चाहिए।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)
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