नई दिल्ली: अमेरिकी दूतावास ने H-1B और H-4 वीज़ा आवेदकों के लिए एक अलर्ट जारी कर कहा है कि वह स्टैंडर्ड वीज़ा स्क्रीनिंग के हिस्से के रूप में सभी H-1B और H-4 आवेदकों के लिए ऑनलाइन प्रेजेंस रिव्यू को बढ़ा रहा है। ट्रंप प्रशासन का यह आदेश दुनिया भर के सभी देशों के आवेदकों पर लागू होता है। यह 15 दिसंबर से शुरू हो चुका है। अब एक बयान जारी कर दूतावास ने आवेदकों को सलाह दी कि वे जितनी जल्दी हो सके आवेदन करें और चेकिंग बढ़ने के कारण प्रोसेसिंग में लगने वाले अतिरिक्त समय के लिए तैयार रहें। अमेरिकी दूतावास की ओर से एक्स पर इस संबंध में एक पोस्ट भी शेयर किया गया है।
आवेदकों के लिए दुनिया भर में अलर्ट
इसमें कहा गया है, "H-1B और H-4 वीज़ा आवेदकों के लिए दुनिया भर में अलर्ट। 15 दिसंबर से, विदेश विभाग ने स्टैंडर्ड वीज़ा स्क्रीनिंग के हिस्से के रूप में सभी H-1B और H-4 आवेदकों के लिए ऑनलाइन प्रेजेंस रिव्यू का विस्तार किया है। यह जांच H1-B और H-4 वीज़ा के लिए सभी राष्ट्रीयताओं के सभी आवेदकों के लिए विश्व स्तर पर की जा रही है।
दूतावास के अनुसार इस जांच का मकसद H-1B कार्यक्रम के कथित दुरुपयोग को रोकना है ताकि अमेरिकी कंपनियों को "सर्वश्रेष्ठ" अस्थायी विदेशी श्रमिकों की भर्ती कर सकें। जबकि दूतावास और वाणिज्य दूतावास आवेदन स्वीकार करना और संसोधित करना जारी रखे हुए हैं, आवेदकों को जल्दी आवेदन करने और लंबे प्रोसेसिंग समय के लिए तैयार रहने की सलाह दी गई है।
दुरुपयोग पर कार्रवाई, सुरक्षा पर ध्यान
यह घोषणा H-1B सिस्टम के कथित दुरुपयोग पर अमेरिका की व्यापक कार्रवाई और अवैध आप्रवासन और राष्ट्रीय सुरक्षा चिंताओं से जुड़ी कड़ी जांच के बीच आई है। H-1B वीज़ा का बड़े पैमाने पर अमेरिकी प्रौद्योगिकी फर्मों द्वारा उपयोग किया जाता है, और भारतीय पेशेवर - विशेष रूप से टेक्नोलॉजी और हेल्थ सर्विसमें - प्राप्तकर्ताओं के सबसे बड़े समूहों में से एक हैं।
क्यों सख्ती कर रहा अमेरिका?
- अमेरिका वीज़ा आवेदकों के लिए जांच को सख्त करने के कई कारण हैं, जो खास तौर से राष्ट्रीय सुरक्षा, आव्रजन कार्यक्रमों के दुरुपयोग को रोकने, और फ्री स्पीच की रक्षा से जुड़े हैं। अमेरिका में ये बदलाव दिसंबर 2025 में ट्रंप प्रशासन के तहत तेजी से लागू हो रहे हैं। अमेरिकी दूतावास के अनुसार, हर वीज़ा निर्णय को राष्ट्रीय सुरक्षा के रूप में देखा जाता है।
- नए नियमों में सोशल मीडिया और ऑनलाइन उपस्थिति की विस्तृत जांच शामिल है, ताकि आतंकवादी खतरे, राष्ट्रीय सुरक्षा जोखिम, या घृणित विचारधारा वाले व्यक्तियों को रोका जा सके। यह जांच अब H-1B, H-4, छात्र वीज़ा (F, J, M), और यहां तक कि वीज़ा वेवर प्रोग्राम के तहत पर्यटकों पर लागू हो रही है, जहां 5 साल की सोशल मीडिया हिस्ट्री, ईमेल, फोन नंबर, और परिवार के पते की जांच की जा रही है।
- दूतावास ने स्पष्ट किया कि यह कदम राष्ट्रीय सुरक्षा को सुरक्षित रखने के लिए है, और वीज़ा को एक विशेषाधिकार के रूप में देखा जाता है, न कि अधिकार के रूप में।
- इसके अलावा, तकनीकी क्षेत्र में काम करने वालों की जांच में रिज्यूमे और लिंक्डइन प्रोफाइल की समीक्षा शामिल है, खासकर अगर वे मिसइनफॉर्मेशन, कंटेंट मॉडरेशन, या सेंसरशिप से जुड़े हों, क्योंकि ट्रंप प्रशासन इसे अमेरिकियों की फ्री स्पीच पर हमला मानता है।
- वर्क परमिट की वैधता अवधि को कम करके (जैसे EAD को 5 साल से 18 महीने तक), अधिक बार जांच की जा रही है। अपराधिक रिकॉर्ड (यहां तक कि पुराने या खारिज मामले) की निरंतर निगरानी से वीज़ा रद्दीकरण बढ़ सकता है। यह बदलाव राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करने और आव्रजन निगरानी को बढ़ाने के लिए हैं।
- 30 से अधिक देशों पर ट्रैवल बैन बढ़ाया जा रहा है, जहां उच्च ओवरस्टे दरें या जांच की कमी के कारण प्रतिबंध लगाए जा रहे हैं। USCIS का नया वेटिंग सेंटर (अटलांटा में स्थापित) DHS संसाधनों का उपयोग करके जांच को बढ़ावा दे रहा है।
- भारत में हजारों H-1B इंटरव्यू रद्द हो चुके हैं, और रीशेड्यूलिंग मार्च या मई 2026 तक हो रही है, जिससे आवेदक अमेरिका लौटने में असमर्थ हैं।
अमेरिका की H-1B वीजा जांच को सख्त करने वाले कदम के बारे में यह कहा जा रहा है कि ये ट्रू क्रिश्चियन पॉलिटिक्स का हिस्सा है। यह बहस उपराष्ट्रपति जेडी वेंस के उस बयान से उभरी जिसमें उन्होंने ने H-1B वीज़ा पर सख्ती को "true Christian politics" कहा। उन्होंने कहा कि अमेरिकी वर्कर्स की गरिमा (dignity of labor) और आर्थिक नीति में नैतिकता को प्राथमिकता देता है। ईसाई राजनीति श्रम और अर्थव्यवस्था में भी लागू होनी चाहिए। बता दें कि ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में क्रिश्चियन नेशनलिज्म का प्रभाव बढ़ा है कुछ विश्लेषक कहते हैं कि आव्रजन नीतियां अप्रत्यक्ष रूप से "व्हाइट क्रिश्चियन अमेरिका" को बनाए रखने से जुड़ी हैं, क्योंकि सख्त आव्रजन से गैर-ईसाई या गैर-यूरोपीय प्रवासियों की संख्या कम हो सकती है। हालांकि निष्पक्षता से देखें तो ये नीतियां ट्रंप प्रशासन की व्यापक आव्रजन, राष्ट्रीय सुरक्षा और एंटी-एक्सट्रीमिज्म एजेंडा का हिस्सा हैं।