Navaratra Maha Navami 2025 Shubh Yog: शारदीय नवरात्रि का हर दिन जगत जननी जगदंबा के अलग-अलह स्वरूप को समर्पित है। इसी कड़ी में हम बात करेंगे नवमी तिथि के बारे में, जो मां दुर्गा के सिद्धिदात्री रूप को समर्पित है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, इस बार की नवमी तिथि बेहद खास है।
इसकी वजह है महानवमी बन बनने वाले शुभ संयोग। आश्विन मास की शुक्ल पक्ष नवमी तिथि शिवदास और रवि योग जैसे अदुभुत संयोग में मनाई जाएगी। ज्योतिषियों के अनुसार, यह समय देवी सिद्धिदात्री की साधना और आराधना के लिए बहुत शुभ है।
महानवमी का महत्व
नवरात्रि की नवमी तिथि देवी सिद्धिदात्री की पूजा के लिए खास मानी जाती है। मान्यता है कि इस दिन की गई साधना से जीवन में हर प्रकार के सुख और सफलता की प्राप्ति होती है। मां सिद्धिदात्री भक्तों को सिद्धियां और मनचाही इच्छाओं की पूर्ति का आशीर्वाद देती हैं।
शुभ मुहूर्त
वैदिक पंचांग के अनुसार, आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि 30 सितंबर की शाम 6 बजकर 8 मिनट से शुरू होकर 1 अक्टूबर की शाम 7 बजकर 2 मिनट तक रहेगी। ऐसे में उदया तिथि के हिसाब से महानवमी का पर्व 1 अक्टूबर को मनाया जाएगा। इस दिन भक्त सुबह से लेकर पूरे दिन पूजन-अर्चन कर सकते हैं।
महानवमी पर बन रहे दो बड़े योग
शिववास योग: इस योग में भगवान शिव कैलाश पर मां पार्वती के साथ विराजमान रहते हैं। यह योग 1 अक्टूबर की शाम 07:01 बजे तक रहेगा। इस दौरान मां सिद्धिदात्री की पूजा करने से साधक को दोगुना पुण्य मिलेगा।
रवि योग: यह योग सुबह 08:06 बजे से बन रहा है। मान्यता है कि रवि योग में देवी की पूजा करने से आरोग्यता का वरदान मिलता है और हर मनोकामना पूरी होती है।
पंचांग के अनुसार समय
| सूर्योदय | सुबह 06:14 बजे |
| सूर्यास्त | शाम 06:08 बजे |
| चंद्रोदय | दोपहर 02:28 बजे |
| चंद्रास्त | रात 12:51 बजे |
| ब्रह्म मुहूर्त | सुबह 04:37 से 05:26 बजे तक |
| विजय मुहूर्त | दोपहर 02:09 से 02:57 बजे तक |
| गोधूलि मुहूर्त | शाम 06:07 से 06:31 बजे तक |
| निशिता मुहूर्त | रात 11:46 से 12:35 बजे तक |
माता रानी को प्रसन्न करने सुनहरा मौका
वैसे तो नवरात्रि की नवमी तिथि अपने आप में ही बहुत महत्वपूर्ण होती है, लेकिन इस बार शिववास और रवि योग के कारण यह और भी खास है। ऐसे में देवी के भक्तों के पास माता रानी को प्रसन्न करने का यह बहुत ही सुनहरा मौका है। इस दिन देवी सिद्धिदात्री की विधिवत पूजा-अर्चना करने से साधक के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आएगी।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)
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