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Vishwakarma Puja 2022: 17 सितंबर को है विश्वकर्मा पूजा, जानिए शुभ मुहूर्त, महत्व और मंत्र

Vishwakarma Puja 2022: हिन्दू धर्म में विश्वकर्मा पूजा का अधिक महत्व होता है। इस बार यह जयंती 17 सिंतबर को मनाई जाएगी। जानिए विश्वकर्मा पूजा का शुभ मुहूर्त, महत्व और पूजा विधि।

Sushma Kumari Written By: Sushma Kumari @ISushmaPandey
Updated on: September 16, 2022 21:00 IST
Vishwakarma Puja 2022- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV Vishwakarma Puja 2022

Vishwakarma Puja 2022: हिन्दू धर्म में विश्वकर्मा पूजा का अधिक महत्व होता है क्योंकि विश्वकर्मा जी को हिन्दू ग्रंथों के मुताबिक सबसे पहले वास्तुकार माने गए हैं। विश्वकर्मा पूजा के दिन भगवान विश्वकर्मा की पूजा की जाती है। इन्होंने कई राज्य जैसे हस्तिनापुर, स्वर्गलोक,लंका और इंद्रपुरी आदि का निर्माण किया। यही कारण है कि इस दिन कारखाने और कार्यालय आदि में पूजा किया जाता है। इस बार यह जयंती 17 सिंतबर को मनाई जाएगी। वहीं, मान्यताओं के अनुसार इस दिन फैक्ट्री, शस्त्र, बिजनेस आदि की पूजा करने से बिजनेस और रोजगार में तरक्की होती है। आइए जानते हैं विश्वकर्मा पूजा का शुभ मुहूर्त, महत्व और पूजा विधि।

विश्वकर्मा पूजा 2022 का शुभ मुहूर्त

कन्या संक्रांति के दिन भगवान विश्वकर्मा की पूजा की जाती है। इस बार  विश्वकर्मा पूजा 2022 का शुभ मुहूर्त 17 सितंबर को सुबह 7 बजकर 36 मिनट से लेकर रात के 9 बजकर 38 मिनट तक रहेगी।

विश्वकर्मा पूजा विधि

  1. विश्वकर्मा पूजा के दिन सबसे पहले प्रातः काल उठकर स्नान कर लें।
  2. उसके बाद औजार की साफ-सफाई करें। 
  3. साथ ही जहां पर पूजा करनी है वहां पर साफ-सफाई करके उस जगह को सजा दें। 
  4. उसके बाद पूजा करने वाली जगह पर गंगा जल छिड़क दें। 
  5. अब एक साफ चौकी पर पीले रंग का कपडा बिछाकर विश्वकर्मा जी की मूर्ति स्थापित करें।
  6. फिर चौकी पर बिछे पीले कपड़े पर लाल रंग के कुमकुम से स्वास्तिक का चिन्ह बनाएं। 
  7. इसके बाद विश्वकर्मा जी को तिलक लगाएं और दीपक जलाएं।
  8. साथ ही विश्वकर्मा जी को साबुत चावल, फल, रोली, सुपारी, धूप, दीपक, रक्षा सूत्र, दही, मिठाई, शस्त्र अर्पित करें। 
  9. इसके बाद विश्वकर्मा जी को फूल चढ़ाते हुए बोले -हे विश्वकर्मा जी आएं और हमारी पूजा को स्वीकार करें।  इसके बाद अपनी बिजनेस से जुड़ी चीजें, शस्त्र, आभूषण, औजार आदि में रोली और अक्षत लगाकर फूल चढ़ाएं और सतनजा पर कलश रख दें।
  10. अब इस कलश में रोली-अक्षत लगाएं और दोनों चीजों को हाथों में लेकर -'ऊं पृथिव्यै नम: ऊं अनंतम नम: ऊं कूमयि नम: ऊं श्री सृष्टतनया सर्वासिद्धया विश्वकर्माया नमो नम:' मंत्र पढ़कर सभी चीजों पर रोली और अक्षत छिड़क दें। इसके बाद फूल चढ़ाएं। इसके बाद भगवान को भोग लगाएं और फिर जल पिलाएं। अब इस प्रसाद को सभी लोगों को बांटना चाहिए।

विश्वकर्मा पूजा का महत्व

हिन्दू धर्म में विश्वकर्मा पूजा का अधिक महत्व होता है क्योंकि विश्वकर्मा जी को हिन्दू ग्रंथों के मुताबिक सबसे पहले वास्तुकार माने गए हैं। मान्यताओं के अनुसार, इस दिन लोहे की वस्तुओं और मशीनों की पूजा करना शुभ माना जाता है। साथ ही कहा जाता है कि विश्वकर्मा पूजा के दिन विधि-विधान से पूजा करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और घर में सुख-समृद्धि  प्राप्त होती है। इसके अलावा इस दिन पूजा करने से कारोबार और व्यापार में भी सफलता प्राप्त होती है।

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