
Amavasya Yog: ज्योतिष शास्त्र में माना जाता है कि सूर्य और चंद्रमा एक दूसरे से जितने दूर होंगे, जातक को उतने ही शुभ फल मिलेंगे। चंद्रमा सूर्य से जितना दूर होगा, उतना ही शक्तिशाली होगा। जब भी कुंडली में ये दोनों ग्रह युति बनाते हैं, तो इसे अमावस्या योग कहते हैं। यह योग जातकों के लिए अच्छा नहीं माना जाता है, क्योंकि चंद्रमा तभी शुभ फल देता है, जब वह सूर्य से दूर होता है। लेकिन जैसे-जैसे वह सूर्य के करीब आने लगता है, वह अपनी शीतलता खोने लगता है और जातक के लिए अशुभ स्थितियां पैदा करता है। अमावस्या योग के कारण जातक को चंद्रमा के शुभ फल नहीं मिल पाते हैं। जबकि जब कुंडली में ये दोनों ग्रह दृष्टि संबंध यानी प्रतियुति बनाते हैं, तो जातक को शुभ फल मिलते हैं। इस स्थिति में दोनों ग्रह एक दूसरे से दूर रहते हैं।
अमावस्या का महत्व
अमावस्या का दिन पापों से मुक्ति पाने का अवसर माना जाता है। अमावस्या पर विशेष रूप से तर्पण, पिंडदान और दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। यह दिन अपने पूर्वजों को श्रद्धांजलि देने का दिन है। इस दिन पूर्वजों का श्राद्ध कर्म श्रद्धापूर्वक किया जाता है। अमावस्या की रात्रि साधना, ध्यान और तंत्र-मंत्र साधना के लिए उपयुक्त मानी जाती है। इसे आत्मा की शुद्धि का दिन भी माना जाता है।
सूर्य चंद्रमा का अमावस्या योग का ज्योतिषीय प्रभाव
जब सूर्य और चंद्रमा एक साथ होते हैं, तो यह ऊर्जा का मिश्रित प्रभाव पैदा करता है। इस समय मानसिक स्थिरता, आंतरिक शांति और समृद्धि प्राप्त होती है। इस दिन सूर्य और चंद्रमा की किसी विशेष राशि में उपस्थिति व्यक्ति के व्यक्तित्व, स्वास्थ्य और जीवन की दिशा को प्रभावित कर सकती है। उदाहरण के लिए, यदि यह योग किसी व्यक्ति की जन्म राशि से प्रतिकूल स्थिति में बनता है, तो यह मानसिक तनाव और भावनात्मक असंतुलन पैदा कर सकता है।
अमावस्या योग इन 3 राशियों के लिए चुनौतीपूर्ण- सूर्य और चंद्रमा का अमावस्या योग मीन राशि के लिए सबसे प्रतिकूल साबित हो सकता है, क्योंकि इसी राशि में अमावस्या योग बनेगा। इसके अलावा कर्क और सिंह राशि के जातकों को भी इस दिन सावधान रहना होगा। 29 मार्च के दिन अगर ये तीनों राशियां योग-ध्यान करती हैं, यथासंभव दान करती हैं तो अच्चे प्रभाव इनको प्राप्त हो सकते हैं।
ज्योतिष शास्त्र में माना जाता है कि अमावस्या पर सूर्य और चंद्रमा की युति नकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न कर सकती है, लेकिन अगर सही तरीके से पूजा, साधना और ध्यान किया जाए तो इस समय का सकारात्मक प्रभाव भी प्राप्त किया जा सकता है।अमावस्या के दिन कुछ व्यक्तियों को मानसिक और भावनात्मक अस्थिरता का अनुभव हो सकता है। यह समय आत्मनिरीक्षण और आत्मविश्लेषण के लिए उपयुक्त है, ताकि व्यक्ति भय और चिंताओं को पहचान सके और उनसे मुक्त हो सके। यह दिन चंद्रमा की ऊर्जा को महसूस करने और उससे जुड़ने का एक अच्छा अवसर है। अमावस्या की रात को चंद्रमा और सूर्य की शक्ति के दर्शन एक विशेष संतुलन बनाते हैं, जो व्यक्ति को मानसिक और शारीरिक रूप से सशक्त बना सकता है।
अमावस्या योग के बुरे प्रभावों से बचने के लिए करें ये उपाय
- अमावस्या के दिन व्रत रखने से मन की शुद्धता और आत्मा को शांति मिलती है।
- यदि संभव हो तो इस दिन पितरों का तर्पण और श्राद्ध करें, जिससे परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
- इस दिन गरीबों को दान देना और जल चढ़ाना शुभ होता है।
- इस दिन प्रार्थना और ध्यान करने से मानसिक शांति और आध्यात्मिक संतुलन मिलता है।
- इस दिन मौन व्रत धारण करने से आपको आंतरिक शक्ति का अनुभव होता है और अच्छे परिणाम आपको प्राप्त होते हैं।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)
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