Friday, December 13, 2024
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आखिर क्यों नहीं होती सृष्टि के रचनाकार ब्रह्मा जी की पूजा? पूरी दुनिया में है इनका केवल एक मंदिर

ब्रह्मा जी को सृष्टि का रचनाकार कहा जाता है, इसके बावजूद भी इनकी पूजा नहीं की जाती। इसके पीछे का कारण क्या है आज हम आपको विस्तार से बताएंगे।

Written By: Naveen Khantwal
Published : Jun 14, 2024 16:23 IST, Updated : Jun 14, 2024 16:23 IST
Brahma Ji- India TV Hindi
Image Source : FILE Brahma Ji

हिंदू धर्म में ब्रह्मा, विष्णु और महेश को सर्वोच्च देवताओं का दर्जा प्राप्त है। इन त्रिदेवों में आपको भगवान शिव और विष्णु जी के कई मंदिर दुनिया भर में मिल जाएंगे। प्रतिदिन इन दोनों देवताओं की पूजा भक्तों के द्वारा की जाती है, और इनके मंदिरों में दर्शन करने भी भक्त जाते हैं। लेकिन त्रिदेवों में से एक ब्रह्मा जी की पूजा नहीं की जाती, दुनिया भर में इनका एक मात्र मंदिर राजस्थान में है। क्या आप जानते हैं कि, आखिर क्यों ब्रह्मा जी की पूजा नहीं की जाती और क्यों इनके मंदिर नहीं बनवाए जाते? अगर नहीं तो आज हम आपको इसी बारे में आपको अपने इस लेख में विस्तार से जानकारी देंगे। 

इस श्राप के कारण नहीं होती ब्रह्मा जी की पूजा

पुराणों में वर्णित एक कथा के अनुसार, एक बार ब्रह्मा जी अपने वाहन में सवार होकर अग्नि यज्ञ के लिए उचित स्थान की तलाश कर रहे थे। इस दौरान एक कमल का फूल भी उनके हाथ में था। यात्रा के दौरान एक जगह पर कमल का फूल उनके हाथ से छूट गया, माना जाता है कि जहां पर ये कमल का पुष्प गिरा वहां पर 3 सरोवरों का निर्माण हो गया। जिन जगहों पर यह सरोवर बने उसी जगह पर ब्रह्मा जी ने अग्नि यज्ञ करने का निर्णय लिया। इन सरोवरों को ब्रह्म, विष्णु और शिव पुष्कर के नाम से जाना जाता है। ब्रह्मा जी इसी स्थान पर यज्ञ करने की तैयारी करने लगे, लेकिन इस यज्ञ में शर्त ये भी थी कि, यज्ञ बिना पत्नी के संपन्न नहीं होगा। ब्रह्मा जी अपनी पत्नी सावित्री का इंतजार कर रहे थे, लेकिन समय पर सावित्री जी नहीं पहुंच पायीं। इसलिए सही मुहूर्त न बित जाए इसलिए वहीं एक स्त्री के साथ ब्रह्मा जी ने विवाह कर लिया और उस स्त्री को अपने साथ यज्ञ में शामिल कर दिया। 

ब्रह्मा जी की पत्नी सावित्री को जब पता चला कि, उनके पति ने दूसरा विवाह कर लिया है तो वो बहुत नाराज हुईं। उन्होंने ब्रह्मा जी को श्राप दे दिया कि, भले ही तुम सृष्टि के रचनाकार हो लेकिन पूरे जगत में कहीं भी तुम्हारी पूजा नहीं की जाएगी। आज भी राजस्थान के पुष्कर को छोड़कर पूरी दुनिया में ब्रह्मा जी का कोई भी मंदिर नहीं है। माना जाता है कि देवी सावित्री के श्राप के कराण ही ब्रह्मा जी की पूजा नहीं की जाती।

ब्रह्मा जी की पूजा न होने के पीछे यह भी है वजह

माना जाता है कि, एक बार भगवान विष्णु और ब्रह्मा जी के बीच श्रेष्ठता को लेकर युद्ध छिड़ गया। युद्ध इतना प्रचंड था कि देवताओं ने शिव जी से अनुरोध किया कि, इस युद्ध को रोक लें नहीं तो सृष्टि का विनाश हो जाएगा। देवताओं के कहने पर भगवान शिव एक अग्नि स्तंभ के रूप में ब्रह्मा और विष्णु जी के बीच खड़े हो गए। अग्नि स्तंभ को देखकर विष्णु और ब्रह्मा जी ने ये निर्णय लिया कि जो इस स्तंभ के अंतिम छोर को ढूंढ लेगा वही श्रेष्ठ होगा। इसके बाद स्तंभ के अंतिम छोर को ढ़ूंढने का कार्य शुरू हुआ, विष्णु जी को जब अंतिम छोर नहीं मिला तो वो वापस लौट आए। वहीं ब्रह्मा जी ने एक योजना बनाई, उन्होंने एक केतकी के फूल से कहा कि तुम ऊपर चलकर बताना कि मैंने अंतिम छोर को ढूंढ लिया। 

स्तंभ से बाहर निकलकर ब्रह्मा जी ने कहा कि, वो अंतिम छोर को ढूंढ चुके हैं, केतकी के फूल ने भी उनकी इस बात का समर्थन किया। तभी वहां शिवजी प्रकट हुए और उन्होंने कहा कि, आपने झूठ कहा है। श्रेष्ठता के मद में आपने सत्य का भी त्याग कर दिया है। भगवान शिव बोले कि, आपने झूठ बोला है इसलिए मैं आपको श्राप देता हूं कि आपकी पूजा संसार में कभी नहीं की जाएगी। साथ ही केतकी के फूल ने भी ब्रह्मा जी के झूठ में साथ दिया था इसलिए, शिव जी ने उसे भी श्राप दिया कि मेरी पूजा में कभी केतकी के फूल को नहीं चढ़ाया जाएगा। 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)

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