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जब बद्री और केदारनाथ धाम हो जाएंगे विलुप्त, तब यहां होंगे भोलेनाथ और भगवान विष्णु विराजमान

शास्त्रों के अनुसार एक ऐसा समय भी आएगा जब बद्रीनाथ और केदारनाथ की यात्रा संभव नहीं होगी। तब किस जगह भगवान विष्णु और महेश की पूजा होगी, आइए जानते हैं।

Written By: Naveen Khantwal
Published : Apr 29, 2025 13:27 IST, Updated : Apr 29, 2025 13:27 IST
Chardham Yatra 2025
Image Source : SOCIAL बद्रीनाथ-केदारनाथ धाम

चारधाम की यात्रा में केदारनाथ और बद्रीनाथ के दर्शनों का बड़ा महत्व है। यमुनोत्री से शुरू होने वाली चारधाम यात्रा गंगोत्री और केदारनाथ होते हुए बद्रीनाथ में समाप्त होती है। हालांकि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भविष्य में केदारनाथ और बद्रीनाथ धाम की यात्रा करना संभव नहीं होगा और तब भगवान शिव और विष्णु जी की पूजा दो अलग स्थानों पर होगी। आज हम आपको इसी के बारे में अपने इस लेख में जानकारी देने जा रहे हैं। 

यहां होंगे भगवान शिव और विष्णु जी के दर्शन

शास्त्रों में वर्णित है कि एक समय ऐसा आएगा जब उत्तराखंड में बद्रीनाथ और केदारनाथ के पास स्थित नर और नारायण (इन पर्वतों को जय और विजय के नाम से भी जाना जाता है) पर्वत आपस में मिल जाएंगे। इसके बाद बद्रीनाथ और केदारनाथ की यात्रा करना असंभव हो जाएगा और धीरे-धीरे ये विलुप्त हो जाएंगे। तब जिन स्थानों पर विष्णु महेश की पूजा होगी उन स्थानों को भविष्य बद्री और भविष्य केदार कहा जाएगा। इन दोनों स्थानों से जुड़ी क्या-क्या मान्यताएं हैं आइए जानते हैं। 

भगवान नरसिंह से जुड़ी मान्यता

उत्तराखंड के जोशीमठ में भगवान नृसिंह का एक मंदिर है। इस मंदिर भगवान नृसिंह की जो मूर्ति है उसका एक हाथ दिन-ब-दिन पतला होता जा रहा है। स्कंद पुराण में वर्णित है कि भगवान नृसिंह के इस हाथ के टूटने के बाद ही नर और नारायण पर्वत आपस में मिल जाएंगे और बद्रीनाथ-केदारनाथ का रास्ता बंद हो जाएगा। इसके बाद भविष्य बद्री और भविष्य केदार में धार्मिक यात्रा की जाएगी। 

भविष्य बद्री 

भविष्य बद्री मंदिर जोशीमठ से लगभग 25 किलोमीटर की दूरी पर है। वहीं बद्रीनाथ धाम से इसकी दूरी लगभग 55 किलोमीटर है। धौलीगंगा के रास्ते भविष्य बद्री तक पहुंचा जाता है। यहां पहुंचने के लिए 3 किलोमीटर की चढ़ाई चढ़नी पड़ती है। जब अधर्म बढ़ेगा, नर-नरायण पर्वत मिलेंगे तो इस स्थान पर बद्रीनाथ भगवान की पूजा की जाएगी। भविष्य बद्री में भगवान विष्णु को नृसिंह के रूप में पूजा जाएगा। आपको बता दें कि उत्तराखंड में सतोपंथ क्षेत्र के दक्षिण में नंदप्रयाग क्षेत्र को बद्री क्षेत्र कहते हैं। यहां भगवान विष्णु के पांच मंदिर हैं जिन्हें पंच बद्री के नाम से जाना जाता है। पंच बद्री में सबसे पहले नाम आता है बद्रीविशाल यानि बद्रीनाथ का। इसके अलावा योगध्यान बद्री, वृद्ध बद्री, आदि बद्री और भविष्य बद्री भी इस क्षेत्र में स्थित हैं। 

भविष्य केदार

पौराणिक शास्त्रों में वर्णित है कि केदारनाथ धाम की यात्रा करना जब संभव नहीं होगा तो भविष्य केदार में भोलेनाथ की पूजा की जाएगी। भविष्य केदार मंदिर उत्तराखंड के जोशीमठ में स्थित है। इस मंदिर में एक शिवलिंग और माता पार्वती की एक प्रतिमा स्थित है। इस स्थान को भी केदारनाथ की ही तरह आध्यात्मिक ऊर्जा का केंद्र माना जाता है। माना जाता है कि भविष्य केदार मंदिर में आदि शंकराचार्य ने तपस्या की थी। इस मंदिर के पास शंकराचार्य गुफा और नृसिंह मंदिर भी है। भविष्य में जब अधर्म के बढ़ने से केदारनाथ धाम के दर्शन दुर्लभ होंगे तो शिव भक्त इसी स्थान पर शिव पूजन करेंगे। 

 

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